इस आर्टिकल में हम महान वैज्ञानिक माइकल फैराडे (Michael Faraday) की जीवनी और उनके द्वारा बनाये गये प्रमुख आविष्कारों के बारे में बात करेगे |
माइकल फैराडे (Michael Faraday) – परिचय
माइकल फैराडे का पोर्ट्रेट (1791-1867)। हेनरी विलियम पिकर्सगिल (1782-1875) के द्वारा
माइकल फैराडे Michael Faraday (22 सितंबर 1791 – 25 अगस्त 1867) एक ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी, रसायनज्ञ एवं दार्शनिक थे जिन्होंने विद्युत चुंबकत्व ((electromagnetism) और विद्युत रसायन विज्ञान (electrochemistry) के अध्ययन में योगदान दिया था। उनकी मुख्य खोजों में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electromagnetic Induction), प्रतिचुम्बकत्व (Diamagnetism) और इलेक्ट्रोलिसिस (Electrolysis) के अंतर्निहित सिद्धांत शामिल हैं। हालाँकि फैराडे ने बहुत कम औपचारिक शिक्षा प्राप्त की, फिर भी वह इतिहास के सबसे प्रभावशाली वैज्ञानिकों में से एक थे।
प्रत्यक्ष धारा (direct current) ले जाने वाले कंडक्टर के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र पर अपने शोध से फैराडे ने भौतिकी में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र की अवधारणा स्थापित की। फैराडे ने यह भी स्थापित किया कि चुंबकत्व प्रकाश की किरणों को प्रभावित कर सकता है और दोनों घटनाओं के बीच एक अंतर्निहित संबंध (underlying relationship) है।
उन्होंने इसी तरह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण, प्रतिचुंबकत्व और इलेक्ट्रोलिसिस के नियमों की खोज की। विद्युत चुम्बकीय रोटरी उपकरणों (electromagnetic rotary devices) के उनके आविष्कारों ने इलेक्ट्रिक मोटर प्रौद्योगिकी (electric motor technology) की नींव रखी, और यह काफी हद तक उनके प्रयासों के कारण बिजली प्रौद्योगिकी में उपयोग के लिए व्यावहारिक बन पाई |
एक रसायनज्ञ (Chemist) के रूप में, फैराडे ने बेंजीन (benzene) की खोज की, क्लोरीन (chlorine) के क्लैथ्रेट हाइड्रेट (clathrate hydrate) की जांच की, बन्सन बर्नर (Bunsen burner) के प्रारंभिक रूप और ऑक्सीकरण (oxidation) संख्याओं की प्रणाली का आविष्कार किया, और “एनोड (anode)”, “कैथोड (cathode)”, “इलेक्ट्रोड (electrode)” और “आयन (ion)” जैसी शब्दावली को लोकप्रिय बनाया। . फैराडे अंततः रॉयल इंस्टीट्यूशन (Royal Institution) में रसायन विज्ञान के पहले और अग्रणी फुलेरियन प्रोफेसर (Fullerian Professor) बन गए, जो एक आजीवन पद था।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने अध्ययन की दीवार पर आर्थर शोपेनहावर (Arthur Schopenhauer) और जेम्स क्लर्क मैक्सवेल (James Clerk Maxwell) की तस्वीरों के साथ फैराडे की एक तस्वीर रखते थे ।
माइकल फैराडे का प्रारंभिक जीवन – Early Life of Michael Faraday
माइकल फैराडे का जन्म 22 सितंबर, 1791 को इंग्लैंड के न्युविंगटन बट्स (Newington Butts), सरे (जो अब साउथवार्क के लंदन बरो का हिस्सा है) में हुआ था। उनका परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी | उनके पिता का नाम जेम्स फैराडे (James Faraday) था और माँ का नाम मार्गरेट (Margaret) (नी हेस्टवेल) (Née Hastwell) था | उनके पिता एक गरीब लोहार थे ।
बचपन में पढ़ाई के साथ-साथ यह अपने पिता के साथ काम भी करते थे। माइकल फैराडे अपने माता पिता के चार बच्चो में तीसरे नंबर पर थे। स्कूल से माइकल फैराडे को सिर्फ बेसिक एजुकेशन ही ले पाए | खुद को शिक्षित करने के लिए फैराडे रसायन एव विद्युत् भौतिकी पर पुस्तकें पढ़ते रहते थे।
14 साल की उम्र में वह ब्लैंडफोर्ड स्ट्रीट में एक स्थानीय बुकबाइंडर और बुकसेलर जॉर्ज रीबाऊ के प्रशिक्षु बन गए। अपनी सात साल की प्रशिक्षुता के दौरान फैराडे ने कई किताबें पढ़ीं, जिनमें आइजैक वॉट्स की द इम्प्रूवमेंट ऑफ द माइंड (Isaac Watts’s The Improvement of the Mind) भी शामिल है, और उन्होंने उत्साहपूर्वक उनमें निहित सिद्धांतों और सुझावों को लागू किया ।
इस अवधि के दौरान, फैराडे ने सिटी फिलॉसॉफिकल सोसाइटी (City Philosophical Society) में अपने साथियों के साथ चर्चा की, जहां उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक विषयों पर व्याख्यान में भाग लिया। उन्होंने विज्ञान, विशेषकर बिजली में भी रुचि विकसित की। फैराडे विशेष रूप से जेन मार्सेट की पुस्तक कन्वर्सेशन्स ऑन केमिस्ट्री (Conversations on Chemistry by Jane Marcet) से प्रेरित थे।
माइकल फैराडे का वैज्ञानिक जीवन (Scientific life of Michael Faraday)
1812 में, 20 साल की उम्र में और अपनी प्रशिक्षुता (apprenticeship) के अंत में, फैराडे ने रॉयल इंस्टीट्यूशन (Royal Institution) और रॉयल सोसाइटी (Royal Society) के प्रख्यात अंग्रेजी रसायनज्ञ हम्फ्री डेवी (Humphry Davy) और सिटी फिलॉसॉफिकल सोसाइटी (City Philosophical Society) के संस्थापक जॉन टैटम (John Tatum) के व्याख्यान में भाग लिया। इन व्याख्यानों के कई टिकट फैराडे को विलियम डांस(William Dance) द्वारा दिए गए थे, जो रॉयल फिलहारमोनिक सोसाइटी (Royal Philharmonic Society) के संस्थापकों में से एक थे। फैराडे ने बाद में डेवी को इन व्याख्यानों के दौरान लिए गए नोट्स के आधार पर 300 पन्नों की एक किताब भेजी। इसलिए 1813 में, जब नाइट्रोजन ट्राइक्लोराइड के साथ एक दुर्घटना में डेवी की आँखे ख़राब हो गई थी, तो उन्होंने फैराडे को एक सहायक के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया। इस प्रकार उन्होंने 1 मार्च 1813 को फैराडे को रॉयल इंस्टीट्यूशन में रासायनिक सहायक (Chemical Assistant) के रूप में नियुक्त किया।
वर्ष 1820 में हैंड्स क्रिस्चियन ओर्स्टेड (Hans Christian Ørsted) ने अपनी खोज में बताया कि विद्युत धारा से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सकता है। उनकी इस खोज से माइकल फैराडे को विचार आया कि यदि विद्युत धारा के प्रवाह से चुम्बकीय प्रभाव पैदा हो सकता है तो चुम्बकीय प्रभाव से विद्युत धारा को भी उत्पन्न कर सकते है।
इसके लिए इन्होने एक प्रयोग किया जिसमें तार की एक कुंडली बनाकर चुम्बक के पास रखी गई। लेकिन उन्हें कुंडली में कोई बिजली बनती हुई नहीं दिखाई दी। उन्होंने कई बार अपने प्रयोग को दोहराया किन्तु उन्हें हर बार नाकामी हाथ लगी। तंग आकर एक दिन उन्होंने कुंडली को फेंकने के लिए चुंबक के पास से खींचा और उसी समय धारामापी ने विद्युत बनते हुए दिखा दिया। उस समय फैराडे को यह ज्ञात हुआ कि यदि कुंडली तथा चुंबक के बीच में आपेक्षिक गति होती है तभी उससे बिजली पैदा होती है। इसी को चुम्बकीय प्रेरण का सिद्धान्त (Principal of Electromagnetic Induction) कहते हैं। आज पूरे विश्व में इसी तरीके से बिजली का उत्पादन होता है।
वर्ष 1831 में माइकल फैराडे ने ‘विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत (Principal of Electromagnetic Induction)’ की खोज की थी। चुम्बकीय क्षेत्र में एक चालक को घुमाकर विद्युत-वाहक-बल उत्पन्न किया। इसी सिद्धांत पर आने वाले समय में जनित्र (generator) बना था। फैराडे ने लगन के साथ कार्य किया और निरंतर प्रगति कर सन् 1833 में रॉयल इंस्टिट्यूट (Royal Institution) में रसायन के प्राध्यापक हो गए ।
प्रेरण को प्रदर्शित करने वाले फैराडे के 1831 प्रयोगों में से एक। तरल बैटरी (दाएं) छोटे कुंडल (ए) के माध्यम से विद्युत प्रवाह भेजती है। जब इसे बड़े कुंडल (बी) के अंदर या बाहर ले जाया जाता है, तो इसका चुंबकीय क्षेत्र कुंडल में एक क्षणिक वोल्टेज उत्पन्न करता है, जिसे गैल्वेनोमीटर द्वारा पता लगाया जाता है
चुम्बकीय प्रेरण पर कार्य करते हुए फैराडे ने एक और खोज की कि यदि दो कुंडलियों को पास में रखते हुए एक में ए-सी- विद्युत प्रवाहित की जाये तो दूसरे में स्वयं ए.सी. विद्युत बनने लगती है । ट्रांसफार्मर इसी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं ।
रसायन विज्ञान मे फैराडे ने बेन्जिन (Benzene) की खोज की, जिसका आज व्यापक पैमाने मे इस्तेमाल होता हैं। साथ उन्होने आक्सिकरण संख्या (Oxidation Number) का कॉन्सेप्ट दिया जिसका इस्तेमाल रासायनिक समीकारो को बैलेंस करने मे होता हैं ।
बनसन बर्नर (Bunsen burner) की शुरुआती फॉर्म की खोज के साथ एनोड, कैथोड, इलेक्ट्रोड और आयन जैसी टर्मिनोलॉजी की भी खोज का श्रेय इन्हें जाता है। क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी ये सफल हुए। फैराडे ही ऐसे पहले शख्स थे जिन्होंने गैसों के डिफ्यूजन संबंधी एक्सपेरीमेंट किये। कहा जाता है कि आइंस्टाइन ने अपने अध्ययन कक्ष में माइकल फैराडे की तस्वीर न्यूटन और जेम्स क्लार्क मैक्सवेल के साथ लगा रखी थी।
अपने जीवनकाल में फैराडे ने अनेक खोजें कीं। इन्होंने विद्युद्विश्लेषण (electrolysis) पर महत्वपूर्ण कार्य किए तथा विद्युद्विश्लेषण के नियमों की स्थापना की, जो फैराडे के नियम कहलाते हैं। विद्युद्विश्लेषण में जिन तकनीकी शब्दों का उपयोग किया जाता है, उनका नामकरण भी फैराडे ने ही किया।
क्लोरीन गैस का द्रवीकरण करने में भी ये सफल हुए। परावैद्युतांक, प्राणिविद्युत्, चुंबकीय क्षेत्र में रेखा ध्रुवित प्रकाश का घुमाव, आदि विषयों में भी फैराडे ने योगदान किया। इन्होने अनेक पुस्तकें लिखीं, जिनमें सबसे उपयोगी पुस्तक “विद्युत् में प्रायोगिक गवेषणाएँ” (Experimental Researches in Electricity) है। फैराडे को लेक्चर देना काफ़ी पसंद थे, उन्होने रॉयल इंस्टीटयूट में रसायन और भौतिकी पर लगातार लेक्चर दिया। इसे ‘केमिकल हिस्ट्री ऑफ कैंडल’ नाम दिया गया। उन्होंने 1827 से लेकर 1860 तक रिकार्ड 19 बार लेक्चर दिये।
माइकल फैराडे का निजी जीवन (Personal life of Michael Faraday)
फैराडे ने 12 जून 1821 को सारा बरनार्ड (Sarah Barnard) (1800-1879) से शादी की। वे सैंडेमेनियन चर्च (Sandemanian church) में अपने परिवारों के माध्यम से मिले थे | उनके कोई संतान नहीं थी।
माइकल फैराडे – पुरस्कार और सम्मान
जून 1832 में, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने फैराडे को डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्रदान की। अपने जीवनकाल के दौरान, विज्ञान के प्रति उनकी सेवाओं के सम्मान में उन्हें नाइटहुड की उपाधि की पेशकश की गई थी, जिसे उन्होंने धार्मिक आधार पर यह मानते हुए ठुकरा दिया कि धन संचय करना और सांसारिक पुरस्कार प्राप्त करना बाइबल के शब्दों के विरुद्ध है | रॉयल सोसाइटी के फेलो चुने जाने पर, उन्होंने दो बार अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया। वह 1833 में रॉयल इंस्टीट्यूशन में रसायन विज्ञान के पहले फुलेरियन प्रोफेसर बने।
1832 में, फैराडे को अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज का विदेशी मानद सदस्य चुना गया। उन्हें 1838 में रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज (American Academy of Arts and Sciences ) का एक विदेशी सदस्य (Foreign Honorary Member) चुना गया था। 1840 में, उन्हें अमेरिकन फिलॉसॉफिकल सोसायटी के लिए चुना गया था। वह 1844 में फ्रेंच एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए चुने गए आठ विदेशी सदस्यों में से एक थे। 1849 में उन्हें नीदरलैंड के रॉयल इंस्टीट्यूट के एसोसिएट सदस्य के रूप में चुना गया, जो दो साल बाद रॉयल नीदरलैंड एकेडमी ऑफ आर्ट्स एंड साइंसेज बन गया और बाद में उन्हें Honorary Member बनाया गया।
माइकल फैराडे की मृत्यु (Death of Michael Faraday)
1839 में फैराडे को नर्वस ब्रेकडाउन का सामना करना पड़ा लेकिन अंततः वे विद्युत चुंबकत्व की अपनी जांच में लौट आए।[ 1848 में, प्रिंस कंसोर्ट के अभ्यावेदन के परिणामस्वरूप, फैराडे को सभी खर्चों और रखरखाव से मुक्त, मिडलसेक्स के हैम्पटन कोर्ट में एक ग्रेस और फेवर हाउस से सम्मानित किया गया था। यह मास्टर मेसन हाउस था, जिसे बाद में फैराडे हाउस कहा गया, ब्रिटिश सरकार के लिए कई विभिन्न सेवा परियोजनाएं प्रदान करने के बाद, जब सरकार ने उन्हें क्रीमियन युद्ध (1853-1856) में उपयोग के लिए रासायनिक हथियारों के उत्पादन पर सलाह देने के लिए कहा, तो फैराडे ने नैतिक कारणों का हवाला देते हुए भाग लेने से इनकार कर दिया ।
फैराडे की 75 वर्ष की आयु में 25 अगस्त 1867 को हैम्पटन कोर्ट में उनके घर पर मृत्यु हो गई। अपनी मृत्यु से कुछ वर्ष पहले उन्होंने अपनी मृत्यु पर वेस्टमिंस्टर एब्बे में दफ़नाने के प्रस्ताव को ठुकराने के कारण उन्हें हाईगेट कब्रिस्तान में दफनाया गया था | लेकिन उनके सम्मान में वेस्टमिंस्टर एब्बे में आइजैक न्यूटन की कब्र के पास उनकी एक स्मारक पट्टिका बनाई गई ।
माइकल फैराडे के सम्मान में दिए जाने वाले प्रमुख पुरस्कार
फैराडे के वैज्ञानिक योगदान के सम्मान और स्मृति में, कई संस्थानों ने उनके नाम पर पुरस्कार दिए जाते हैं। जिनमे प्रमुख है :
1. आईईटी फैराडे मेडल (The IET Faraday Medal)
2. रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लंदन माइकल फैराडे पुरस्कार (The Royal Society of London Michael Faraday Prize)
3. भौतिकी संस्थान माइकल फैराडे पदक और पुरस्कार (The Institute of Physics Michael Faraday Medal and Prize)
4. रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री फैराडे लेक्चरशिप पुरस्कार (The Royal Society of Chemistry Faraday Lectureship Prize)