इस आर्टिकल में हम प्रकाश-विद्युत प्रभाव (Photo-electric Effect) क्या है ? आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत प्रभाव (फोटो इलेक्ट्रिक इफ़ेक्ट) क्या है? प्रकाश-विद्युत प्रभाव के नियम और विशेषताएँ क्या है ? आइंस्टीन के प्रकाश विद्युत समीकरण की स्थापना कैसे हुई ? प्रकाश विद्युत उत्सर्जन का आशय और उसके नियम क्या है ?
प्रकाश-विद्युत प्रभाव की परिभाषा

किसी धातु की सतह पर प्रकाश पड़ने से इलेक्ट्रॉन निकलने की क्रिया ‘प्रकाश-विद्युत प्रभाव’ कहलाती है। सभी क्षारीय धातुएं एवं जिंक प्रकाश के साथ विद्युत प्रभाव दिखाती हैं। सभी धातुएं एक्स-किरणों एवं गामा-किरणों के साथ भी प्रकाश-विद्युत प्रभाव दिखाती है।
दुसरे शब्दों में, फोटो इलेक्ट्रिक प्रभाव, वह घटना है जिसमें विधुत आवेशित कण, विद्युत चुम्बकीय किरण(electromagnetic radiation) को अवशोषित करने पर किसी पदार्थ ((धातु, अधातु ठोस, द्रव एवं गैसें) से या उसके भीतर निकलते हैं। इस प्रभाव में अक्सर किसी मेटल प्लेट पर प्रकाश पड़ने पर उसमे से इलेक्ट्रॉनों का डिस्चार्ज होता है ।
व्यापक परिभाषा में, दीप्तिमान ऊर्जा (radiant energy) इन्फ्रारेड, दृश्य (visible), या पराबैंगनी प्रकाश, एक्स-रे, या गामा किरणों के रूप में हो सकती हैं; पदार्थ ठोस, तरल या गैस हो सकते है; और जो पार्टिकल रिलीज़ होते है वो विद्युत आवेशित परमाणु या अणु के साथ-साथ इलेक्ट्रॉन भी हो सकते हैं। यह घटना आधुनिक भौतिकी के विकास में मौलिक रूप से महत्वपूर्ण थी क्योंकि इसने प्रकाश की प्रकृति के बारे में महत्वपुर्ण प्रश्नों को उठाया था
प्रकाश-विद्युत प्रभाव की खोज हर्ट्स (Heinrich Rudolf Hertz) ने की थी। रेडियो तरंगों पर करने के दौरान, हर्ट्ज ने देखा कि, जब दो धातु इलेक्ट्रोड पर पराबैंगनी प्रकाश चमकता है, तो प्रकाश जिस पर स्पार्किंग होती है उसके वोल्टेज को बदल देता है । प्रकाश और बिजली (इसलिए फोटोइलेक्ट्रिक) के बीच इस संबंध को 1902 में एक अन्य जर्मन भौतिक विज्ञानी फिलिप लेनार्ड (Philipp Lenard) ने स्पष्ट किया था। इसकी विस्तृत व्याख्या आइन्सटीन (Albert Einstein) एवं मिलिकन (Robert A. Millikan) ने की जिसके लिए उन्हें क्रमश: 1921 एवं 1923 में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुए।
विद्युत-चुम्बकीय तरंगें छोटे-छोटे कणों से बनी होती हैं, जिन्हें फोटॉन कहते हैं। ये फोटॉन धातु की सतह से टकराते हैं तब एक फोटॉन की कुछ ऊर्जा धातु के एक-एक इलेक्ट्रॉन में स्थानान्तरित हो जाती है।
प्रकाश-विद्युत प्रभाव के नियम
1. जब प्रकाश के विशेष रंग की कोई किरण धातु की सतह पर पड़ती है, तब प्रति सेकण्ड धातु की सतह से निकलने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
2. उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का मान शून्य से महत्तम के बीच बदलता रहता है। इलेक्ट्रॉन की इस गतिज ऊर्जा का मान प्रकाश की आवृत्ति पर निर्भर करता है, प्रकाश की तीव्रता पर नहीं।
3. धातु की सतह पर पड़ने वाले प्रकाश की आवृत्ति का मान एक निश्चित मान से कम होता है, तो इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन धातु की सतह से नहीं हो पाता है। आवृत्ति के इस न्यूनतम निश्चित मान को ‘देहली आवृत्ति’ (Threshold frequency) कहते हैं। भिन्न-भिन्न धातुओं के लिए इसका मान भिन्न-भिन्न होता है। क्षारीय धातुओं के लिए इस आवृत्ति का मान वर्णक्रम के दृश्य क्षेत्र में होता है।
आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत प्रभाव
आइन्स्टीन ने बताया कि प्रकाश-विद्युत प्रभाव के लिए आपतित फोटॉन की ऊर्जा का मान धातु के कार्यफलन (Work function) और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा के मान के योग के बराबर होता है।