Contents
- 1 पादप हार्मोन के प्रकार
- 2 ऑक्सिन (Auxin) (वृद्धिकारक हॉर्मोन)
- 3 संश्लेषित ऑक्सिन (Auxin)
- 4 प्राकृतिक ऑक्सिन (Auxin) के कार्य
- 5 जिबरेलिन (Gibberellins) (वृद्धिकारक हार्मोन)
- 6 जिबरेलिन (Gibberellins) के कार्य
- 7 साइटोकाइनिन (Cytokinin) (वृद्धिकारक हॉर्मोन)
- 8 साइटोकाइनिन (Cytokinin) के कार्य
- 9 एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) (वृद्धिरोधक हॉमोन)
- 10 एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) के कार्य
- 11 इथाइलीन (Ethylene) (वृद्धिरोधक हॉर्मोन)
- 12 इथाइलीन या एथिलीन (Ethylene) के कार्य
- 13 फ्लोरिजिन्स Florigens
- 14 फ्लोरिजिन्स Florigens के कार्य
- 15 अन्य हॉर्मोन
पादप हार्मोन शब्द स्टर्लिंग द्वारा दिया गया। पौधों में उसकी वृद्धि और विकास को नियंत्रित करने रासायनिक पदार्थों का समूह पादप हार्मोन कहलाता है। पादप हार्मोन को फाइटोहार्मोन भी कहते हैं।
ये पौधों की वृद्धि एवं विभिन्न उपापचयी क्रियाओं को नियन्त्रित तथा प्रभावित करते हैं। यह पौधों की विभज्योतकी कोशिकाओं एवं विकास करती हुई पत्तियों एवं फलों में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होती है।
एब्सीकिक एसिड, एथिलीन ,साइटोका़निन, ऑक्सिन और जिबरेलिन आदि पादप हार्मोन कहलाते हैं।
ये पादप हार्मोन विभिन्न प्रकार से पौधों में वृद्धि और विकास को प्रभावित करते हैं और नियंत्रण रखते हैं।
पादप हार्मोन के प्रकार
ऑक्सिन (Auxin)
जिबरेलिन्स (Gibberellins)
साइटोकाइनिन (Cytokinin)
ऐबसिसिक एसिड (Abscisic Acid)
एथीलीन (Ethylene)
ऑक्सिन (Auxin) (वृद्धिकारक हॉर्मोन)
इसका खोज डार्विन ने की थी। इसका निर्माण पौधे के ऊपरी भाग में होता है। यह हॉर्मोन प्राकृतिक एवं संश्लेषित दोनों रूपों में मिलते हैं। ऑक्सिन (Auxin) कार्बनिक यौगिकों का समूह है जो पौधों में कोशिका विभाजन (Cell division) तथा कोशिका दीर्घन (Cell elongation) में भाग लेता है।
इन्डोल एसीटिक एसिड (Indole acetic acid—I.A.A) एवं नैफ्थेलीन (Naphthalene acetic acid—N.A.A) इसके प्रमुख उदाहरण हैं। तने में जिस ओर ऑक्सिन (Auxin) की अधिकता होती है, उस ओर वृद्धि अधिक होती है। जड़ में इसकी अधिकता वृद्धि को कम करती है।
प्राकृतिक ऑक्सिन
1. इन्डोल एसीटिक एसिड (IAA)
2. इन्डोल 3 – एसिटेल्डिहाइड
3. इन्डोल 3 – पाइरुविक एसिड
संश्लेषित ऑक्सिन (Auxin)
1. 2, 4 – डाइक्लोरो फिनॉक्सी एसोटिक अम्ल
2. ट्राइक्लोरो फिनॉक्सी एसीटिक अम्ल
प्राकृतिक ऑक्सिन (Auxin) के कार्य
यह वृद्धि नियन्त्रक हॉर्मोन है।
ऑक्सिन के कारण पौधों में शीर्ष प्रमुखता हो जाती है तथा पाश्र्वय कक्षीय कलिकाओं की वृद्धि रुक जाती है। यह पत्तियों के विलगन (abscission) को रोकता है। 2, 4-D खरपतवार को नष्ट करता है।
इसके द्वारा अनिषेक फल (parthenocarpic); जैसे-सन्तरा, नीबू, अंगूर, केला आदि में बीजरहित फल बनते हैं। द्वितीयक वृद्धि के समय ऑक्सिन कैम्बियम में विभाजन को बढ़ाता है।
कटे पौधों, कलम इत्यादि में कटे सिरे पर ऑक्सिन का घोल लगा देने पर अपस्थानिक जड़ें बनने लगती हैं।
यह पुष्प बनाने पर रोक लगाता है, परन्तु अनानास नॅ ऑक्सिन छिड़कने से पूरे पौधों में एक साथ पुष्पन होता है।
यह प्रसुप्ता नियन्त्रक (control of dormancy) का कार्य करता है। ऑक्सिन तथा साइटोकाइनिन का निश्चित अनुपात पादप ऊतक संवर्धन (plant tissue culture) नें प्रयोग होता है |
जिबरेलिन (Gibberellins) (वृद्धिकारक हार्मोन)
एक दुर्बल अम्लीय पादप हार्मोन है | इस हॉर्मोन को घान के खेत मे अत्यधिक लम्बे पौधे को देखा। इस बीमारी को बेकेन (Bakane) या फूलिश सोडलिंग (Foolish seedling) कहा जाता है, जिसका कारण जिवरेला फ्यूजीकोराई नामक फफूंद है। याबुता एवं हमाशी नामक वैज्ञानिक ने इसी फफूंद से एक वृद्धि नियन्त्रक प्राप्त किया, जिसे जिबरेलिन – A नाम दिया गया।
यह हार्मोन पौधों में कोशिका वृध्दि को नियंत्रित करता है। जिबरेलिन पादप हार्मोन पत्तियों की वृद्धि प्रक्रिया को भी नियंत्रित करता है यह पौधों में पुष्पन को प्रारंभ करता है। फलों की पार्थेनोकॉपी में जिबरेलिन महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
जिबरेलिन (Gibberellins) के कार्य
जिबरैलिन्स बौने पौधों को लम्बा कर देता है तथा फूल बनने में मदद करता है।
जिबरेलिन्स हार्मोन बीजो की प्रसुप्ति भंग कर अंकुरित होने हेतु प्रेरित करता है।
जिबरेलिन्स हार्मोन काष्ठीय पौधों में कैम्वियम की सक्रियता को बढ़ाता है।
जिबरेलिन-3 मुख्य रूप से प्रयोग में आने वाला जिबरेलिन है।
साइटोकाइनिन (Cytokinin) (वृद्धिकारक हॉर्मोन)
साइटोकाइनिन क्षारीय प्रकृति का हार्मोन है। इस हॉर्मोन को स्कूग एवं जबलोंस्की ने खोजा मिलर ने मक्का के अपरिपक्व बीज से एक साइटोकाइनिन प्राप्त किया, जिसे जीयाटिन (zeatin) नाम दिया गया। काइनिटीन (Kinetin) एक संश्लेषित साइटोकाइनिन है। साइटोकाइनिन का संश्लेषण जड़ों के अग्र सिरों पर होता है, जहाँ कोशिका-विभाजन (Cell division) होता है।
साइटोकाइनिन (Cytokinin) के कार्य
• साइटोकाइनिन कोशिका विभाजन के लिए एक आवश्यक हार्मोन है।
• साइटोकाइनिन ऑक्सिन की उपस्थिति में कोशिका विभाजन एवं विकास में योगदान देता है।
• साइटोकाइनिन जीर्णता अर्थात् पर्णहरित का विलोपन एवं प्रोटीन के नष्ट होने की क्रिया को रोकता है।
• साइटोकाइनिन RNA एवं प्रोटीन बनने में मदद करती है। इसके द्वारा शीर्ष प्रमुखता की समाप्ति तथा पाश्र्वय वृद्धि होती है।
एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) (वृद्धिरोधक हॉमोन)
यह एक वृद्धरोधी (Growth inhibitor) हार्मोन है, अर्थात् यह पौधे की वृद्धि को रोकता है। इस हॉर्मोन को कॉर्न्स और एडिकोट (कपास के पौधे से) में पाया जाता है
एब्सिसिक अम्ल (Abscisic Acid) के कार्य
एब्सिसिक अम्ल बीजों को सुषुप्तावस्था में रखता है।
एब्सिसिक अम्ल पत्तियों के विलगन तथा जीर्णावस्था को बढ़ावा देता है।
एब्सिसिक अम्ल पुष्पन में बाधक होता है।
एब्सिसिक अम्ल वाष्पोत्सर्जन नियन्त्रण के रूप में काम करता है अर्थात् रन्ध्रों को बन्द करता है फलतः वाष्पोत्सर्जन कम होता है।
इथाइलीन (Ethylene) (वृद्धिरोधक हॉर्मोन)
इथाइलीन की खोज बुर्ग है | इथाइलीन गैसीय रूप में पाया जाने वाला एकमात्र पादप हॉर्मोन है। यह इथेफोन (2-chlorethyl phosphoric acid) से निकलती है, जिसका प्रयोग फलों को कृत्रिम रूप से पकाने में किया जाता है।
इथाइलीन या एथिलीन (Ethylene) के कार्य
• इथाइलीन फल पकाने वाला हॉर्मोन है।
• इथाइलीन तने की लम्बाई का वृद्धिरोधक, तने के फूलने से सहायक तथा गुरूत्वानुवर्तन गति को नष्ट करता है ।
• इथाइलीन पत्तियों, फूलों एवं फलों के विलगन को तीव्र करता है ।
• इथाइलीन मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि, जबकि नर पुष्पों की संख्या में कमी करता है।
फ्लोरिजिन्स Florigens
फ्लोरिजिन्स का संश्लेषण पत्तियों में होता है, परन्तु ये फूलों के खिलने (Blooming) में मदद करते हैं। इसलिए फ्लोरिजिन्स को फूल खिलाने वाला हार्मोन (Flowering hormone) भी कार्य करते हैं।
फ्लोरिजिन्स Florigens के कार्य
इस हार्मोन के द्वारा फलों का खिलना नियंत्रित होता है।
अन्य हॉर्मोन
मोर्फेक्टिन (Morphactins) ये कृत्रिम वृद्धिरोधक है।
क्लोरोकोलीन क्लोराइड (Chlorocholine Chloride CCC) यह जिबरेलिन संश्लेषण को रोकता है।
मैलिक हाइड्राजाइड (Maleic hydrazide) यह पौधों की वृद्धि को रोकता है