What is Chemical Bonding ?
किसी अणु में उपस्थित अवयवी परमाणुओं को परस्पर बांधकर अणु को विशेष ज्यामितीय आकार में रखने वाले बल को रासायनिक बंधन कहते हैं।
रासायनिक बंधन मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं
1. विद्युत संयोजन बंधन या आयनिक बंधन (Electrovalent or lonic Bond)
जब एक परमाणु से दूसरे परमाणु में इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण होने से उन दोनों परमाणुओं के बीच बंधन बनता है, तो उसे ‘विद्युत संयोजन बंधन’ कहते हैं।
इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण इस प्रकार होता है, कि प्राप्त आयनों की बाह्यतम कक्षाओं की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था अक्रिय गैसों की भांति स्थायी बन जाती है। उदाहरणार्थ, सोडियम क्लोराइड का बनना।
सोडियम परमाणु (Na) अपनी बाह्यतम कक्षा के एक इलेक्ट्रॉन का त्याग कर अक्रिय गैस निऑन जैसी स्थायी इलेक्ट्रॉनिक संरचना प्राप्त करता है। क्लोरीन परमाणु (CI) एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर अक्रिय गैस ऑर्गन जैसे स्थायी इलेक्ट्रॉनिक संरचना प्राप्त करता है। अब Na+ और CI– आयनों पर विपरीत आवेशों की उपस्थिति के कारण ये दोनों आयन स्थिर विद्युत आकर्षण बल (Electrostatic force of attraction) द्वारा परस्पर जुड़कर सोडियम क्लोराइड (Na+, CI– या NaCI) बनाते हैं।
विद्युत संयोजन यौगिकों के गुण (Characters of Electrovalent Compounds)
जिन रासायनिक यौगिक के अणु में विद्युत संयोजन बंधन या आयनिक बंधन रहता है। उन्हें विद्युत संयोजन या आयनिक यौगिक कहते है। जैसे—NaCI, MgCI2, CaO, आदि। विद्युत संयोजनकों में निम्नलिखित गुण पाये जाते हैं:
(a) विद्युत संयोजन यौगिक या आयनिक यौगिक दो विपरीत आवेशयुक्त आयनों से निर्मित होते हैं, जैसे—Na+CL (b) वैद्यत् संयोजन या आयनिक यौगिकों में विपरीत आवेश वाले आयनों के बीच मजबूत अंतर आणविक विद्युत आकर्षण बल लगने के कारण ये उच्च घनत्व वाले ठोस होते हैं। ये कठोर और भंगुर होते हैं।
(c) मजबूत अंतर आण्विक विद्युत आकर्षण बल से जुड़े आयनों को एक-दूसरे से पृथक करने में अत्यधिक ऊष्मीय ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं इस कारण आयनिक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होते हैं।
(d) आयनिक प्रकृति वाले विद्युत संयोजन यौगिक प्रायः ध्रुवीय घोलकों (जल, द्रव, अमोनिया, आदि) में घुलनशील होते हैं, परन्तु कार्बनिक घोलकों (बेंजीन, ईथर, कार्बन टेट्राक्लोराइड, आदि) जो अध्रुवीय होते हैं, में अघुलनशील होते हैं। उदाहरण के लिए, सोडियम क्लोराइड, पोटैशियम आयोडाइड, आदि जल में घुलनशील होते हैं, परन्तु ये बेंजीन, किरोसीन तेल, पेट्रोल, आदि में अघुलनशील होते हैं।
(e) ठोस अवस्था में आयनिक यौगिकी के अवयवी आयनों के बीच मजबूत आकर्षण बल कार्यरत रहने के कारण इनके आयन एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर गमन नहीं कर सकते हैं। इस कारण ठोस अवस्था में ये यौगिक विद्युत के कुचालक होते हैं।
(f) आयनिक यौगिकों के अवयवी आयन गलित अवस्था में या जलीय विलयन में आयनीकृत होकर एक-दूसरे के आकर्षण बल में मुक्त हो जाते हैं। इस कारण गलित अवस्था में या जलीय विलयन में ये यौगिक विद्युत के सुचालक होते हैं तथा विद्युत अपघटन होता है।
(g) विद्युत संयोजन यौगिकी की अभिक्रियाएँ आयनिक प्रकृति की और प्रायः तीव्र गति वाली होती हैं।
2. सहसंयोजन बंधन (Covalent Bond)
जब दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फलस्वरूप रासायनिक बंधन बनता है, तब उसे सहसंयोजक बंधन कहते हैं। सहसंयोजन बंधन के बनने में दोनों परमाणु इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी इस प्रकार से करते हैं, कि निर्मित अणु में प्रत्येक परमाणु एक अक्रिय गैस का स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त कर लेता है।
दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी के फलस्वरूप बने रासायनिक यौगिक को ‘सहसंयोजक यौगिक’ कहते हैं। सहसंयोजक यौगिक के निम्नलिखित गुण होते हैं:
1. अधिकांश सहसंयोजक यौगिक साधारण अवस्था में गैस या द्रव या वाष्पशील ठोस होते हैं।
2. सहसंयोजक यौगिकों के द्रवणांक और क्वथनांक निम्न होते हैं, इसका कारण यह है, कि इनमें अंतराण्विक बल विद्युत आकर्षण बल की अपेक्षा बहुत कमजोर होते हैं।
3. सहसंयोजक यैगिक जल में प्राय: अविलेय, परन्तु कार्बनिक विलायकों में विलेय होते हैं।
4. सहसंयोजक यौगिक द्रवित अवस्था या विलयन की अवस्था में विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि इन अवस्थाओं में ये आयन उत्पन्न नहीं करते हैं। किन्तु HCI और NH, के जलीय विलयन विद्युत के सुचालक होते हैं, क्योंकि इन विलयनों में आयन उपस्थित होते हैं।
5. सहसंयोजन यौगिकों के साथ अभिक्रियाएँ प्रायः धीरे-धीरे होती है।
6. सहसंयोजक यौगिक अणुओं के रूप में रहते हैं।
इलेक्ट्रॉन की निर्जन जोड़ी
इलेक्ट्रॉनों का ऐसा जोड़ा जो सहसंयोजन बंधन के बनने में भाग नहीं लेता है। इलेक्ट्रॉन की निर्जन जोड़ी कहलाता है। उदाहरण के लिए, जल (H2O) के बनने में ऑक्सीजन परमाणु के पास दो जोड़े इलेक्ट्रॉन शेष रह जाते हैं, जिनका साझा किसी भी परमाणु के साथ नहीं होता है। इसी प्रकार अमोनिया (NH3) में नाइट्रोजन परमाणु के पास एक जोड़ा इलेक्ट्रॉन शेष रह जाता है।