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तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) | मानव तंत्रिका तन्त्र (Human Nervous System) | मस्तिष्क (Brain)

in बायोलॉजी
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Contents

  • 1 तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System)
  • 2 तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन्स – Neurons)
  • 3 (i) कोशिका काय (Cell Body)
  • 4 (ii) द्रुमाक्ष्य (Dendron)
  • 5 (iii) तंत्रिकाक्ष (Axon)
  • 6 मानव तन्त्रिका तन्त्र (Human Nervous System)
  • 7 केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nervous System)
  • 8 मस्तिष्क (Brain)
  • 9 अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)
  • 10 थैलेमस (Thalamus)
  • 11 हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)
  • 12 मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)
  • 13 पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)
  • 14 मेरूरज्जु (Spinal Cord)
  • 15 सिनेप्स
  • 16 परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral Nervous System)
  • 17 ( A ) कायिक तंत्रिका तन्त्र ( Somatic Nervous System )
  • 18 (B) स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Autonomic Nervous System)
  • 19 (i) अनुकम्पी तंत्रिका तन्त्र (Sympathetic Nervous System)
  • 20 (ii) परानुकम्पी तंत्रिका तन्त्र (Parasympathetic Nervous System)
  • 21 तंत्रिका तन्त्र की कार्यिकी (Physiology of Nervous System)
  • 22 तन्त्रिका आवेग का संचरण
  • 23 इलेक्ट्रोएन्सिफेलोग्राम (EEG)
  • 24 न्यूरोट्रान्समीटर (Neurotransmitter)
  • 25 प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)
  • 26 मानव तंत्रिका तंत्र का महत्त्व
  • 27 मानव तंत्रिका तन्त्र ( Human Nervous System) से जुड़े प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर
    • 27.1 मानव तंत्रिका क्या है?
    • 27.2 मानव तंत्रिका तंत्र के कितने भाग होते हैं?
    • 27.3 मानव शरीर में तंत्रिका तंत्र का क्या महत्व है?
    • 27.4 मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में कौन कौन से अंग होते हैं?
    • 27.5 मानव शरीर में तंत्रिका कहां है?
    • 27.6 न्यूरॉन्स क्या होते है ?
    • 27.7 न्यूरॉन्स के कितने भाग होते है ?
    • 27.8 न्यूरॉन का क्या कार्य है?
    • 27.9 मस्तिष्क का कार्य क्या है?
    • 27.10 मस्तिष्क का सोचने वाला भाग कौन सा होता है?
    • 27.11 अग्रमस्तिष्क (Fore Brain) के कितने भाग है ?
    • 27.12 न्यूरोट्रान्समीटर (Neurotransmitter) क्या है ?

इस आर्टिकल में हम जानेगे की तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System) क्या होता है, तन्त्रिका कोशिका क्या है और उसके प्रमुख भाग कोनसे है, मानव तन्त्रिका तन्त्र (Human Nervous System) क्या है, मानव तन्त्रिका तन्त्र (Human Nervous System) के कितने भाग होते है, केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nervous System) क्या है, केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र के कोन कोनसे भाग है, मस्तिष्क (Brain) किस प्रकार कार्य करता है, मस्तिष्क (Brain) के प्रमुख भाग कोनसे है, अग्रमस्तिष्क (Fore Brain), मध्यमस्तिष्क (Mid Brain) और पश्चमस्तिष्क (Hind Brain) क्या है, मेरूरज्जु (Spinal Cord) क्या है, परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral Nervous System) क्या है, स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Autonomic Nervous System) क्या है, मानव तंत्रिका तंत्र का महत्त्व आदि

तन्त्रिका तन्त्र (Nervous System)

जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र कहते हैं। मनुष्य शरीर में तंत्रिकाएँ शरीर के लगभग हर भाग को मस्तिष्क या मेरूरज्जु से जोड़कर उनमें आपसी संपर्क रखतीं हैं।तन्त्रिका तन्त्र सिर्फ जन्तुओं में पाया जाता है, जबकि पौधों में अनुपस्थित होता है। इसका निर्माण एक्टोडर्म से होता है। तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है।

तन्त्रिका तन्त्र की कार्यात्मक इकाई न्यूरॉन (neuron) होती है, जो एक महीन धागे के रूप में जाल सदृश सम्पूर्ण शरीर में फैली होती है। तंत्रिका कोशिका एवं इसकी सहायक अन्य कोशिकाएँ मिलकर तन्त्रिका तन्त्र के कार्यों को सम्पन्न करती हैं। तन्त्रिका कोशिकाएँ वातावरणीय परिवर्तनों की सूचनाओं को संवेदी अंगों से प्राप्त कर विद्युत रासायनिक आवेगों (electrochemical impulses) के रूप में इनका प्रसारण करती है। विद्युतरोधी तन्त्रिकाएँ चारों ओर से माइलिन आच्छाद से घिरी होती हैं।

इससे प्राणी को वातावरण में होने वाले परिवर्तनों की जानकारी प्राप्त होती है |

एककोशिकीय प्राणियों जैसे अमीबा इत्यादि में तन्त्रिका तन्त्र नहीं पाया जाता है। हाइड्रा, प्लेनेरिया, तिलचट्टा आदि बहुकोशिकीय प्राणियों में तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है। मनुष्य में सुविकसित तन्त्रिका तन्त्र पाया जाता है।

नोट: मनुष्य में, नियंत्रण और समन्वय, तंत्रिका तंत्र (nervous system) और हार्मोनल प्रणाली (hormonal system) के माध्यम से होता है जिसे अंत: स्रावी प्रणाली (endocrine system) कहा जाता है। हमारे शरीर की पांच इंद्रियों, आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा को रिसेप्टर्स (receptors) कहते है।  हमारे शरीर की पांच इंद्रियों, आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा को रिसेप्टर्स (receptors) कहते है। इसका कारण यह है कि वे हमारे आसपास के माहौल से जानकारी प्राप्त करते हैं। इसलिए, रिसेप्टर भावना अंग में कोशिकाओं का एक समूह है जो प्रकाश, ध्वनि, गंध, स्वाद, गर्मी, आदि के प्रति विशेष प्रकार से संवेदनशील है।

सभी रिसेप्टर्स संवेदी तंत्रिकाओं (sensory nerves) के माध्यम से रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को विद्युत तरंगों के रूप में संदेश भेज सकते हैं। नसों  के अन्य प्रकार को मोटर तंत्रिका (motor nerves ) कहा जाता है जो कि मस्तिष्क और प्रभावोत्पादक करने के लिए रीढ़ की हड्डी को प्रतिक्रिया पहुंचाता है। प्रेरक शरीर का वह हिस्सा है जो तंत्रिका तंत्र से भेजे गए निर्देशों के अनुसार एक उत्तेजना को प्रतिक्रिया देता है। मांसपेशियां और ग्रंथियां शरीर के एफ्फेक्टर्स (effectors ) हैं।

तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन्स – Neurons)

कोशिकाएं जो कि तंत्रिका तंत्र को बनाती हैं, उसको तंत्रि कोशिका या तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन्स) ( neurons) कहते है। न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र की सरंचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है जिसके द्वारा यह तन्त्र शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजता है । ये कोशिकाएँ शरीर के लगभग हर ऊतक / अंगों को केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र से जोड़कर रखती हैं । न्यूरॉन्स शरीर में सबसे बड़ा सेल है। न्यूरॉन्स की संरचना ऐसी है कि यह जल्दी से शरीर में संदेशों को ले जा सकती है। यह संदेश विद्युत के तरंगों या तंत्रिका आवेग के रूप में होते हैं।

तंत्रिका कोशिकाएँ (Neurons) शरीर के बाहर से अथवा भीतर से उद्दीपनों ( Stimuli ) को ग्रहण करती है । आवेगों ( संकेतो ) के माध्यम से उद्दीपन एक से दूसरी तंत्रिका कोशिका में अभिगमन करते हुए केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र तक पहुँचते हैं । केन्द्रीय तन्त्र से प्राप्त प्रतिक्रियात्मक संदेशों को वापस पहुँचाने का कार्य भी तंत्रिका कोशिका के माध्यम से ही संपादित होता है । प्रत्येक तंत्रिका कोशिका तीन भागों में मिल कर बनी होती है :

(i) कोशिका काय (Cell Body)

इस भाग को साइटोन (Cytone) भी कहा जाता है । कोशिका काय में एक केन्द्रक तथा प्रारूपिक कोशिकांग पाए जाते हैं । कोशिका द्रव्य में अभिलक्षणिक अति – अभिरंजित निसेल ग्रेन्यूल ( Nissl’S Granules ) पाए जाते है ।

(ii) द्रुमाक्ष्य (Dendron)

ये कोशिका काय से निकले छोटे तन्तु होते हैं । जो कोशिका काय की शाखाओं के तौर पर पाये जाते है । ये तन्तु उद्दीपनों को कोशिका काय की ओर भेजते है ।

(iii) तंत्रिकाक्ष (Axon)

यह लम्बा बेलनाकार प्रवर्ध है जो कोशिकाकाय के एक हिस्से से शुरू होकर धागेनुमा शाखाएँ बनाता है। तंत्रिकाक्ष की प्रत्येक शाखा एक स्थूल संरचना का निर्माण करती है जिसे अवग्रथनीघुण्डी या सिनैप्टिक नोब ( Synaptic Konb ) कहा जाता है।

सिनैप्सिस (Synapsis) – सिनैप्टिक नोब में सिनेप्टिक पुटिकाएँ पाई जाती है। सिनैप्टिक पुटिकाओं में न्यूरोट्रांसमीटर नामक पदार्थ पाए जाते हैं तंत्रिका आवेगों के सम्प्रेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। तंत्रिकाक्ष के माध्यम से आवेग न्यूरोन सेबाहर निकलते हैं।  एक न्यूरोन के द्रुमाक्ष्य के दूसरे न्यूरोन के तंत्रिकाक्ष से मिलने के स्थान को सन्धिस्थल (Synapse) कहा जाता है।

मानव तन्त्रिका तन्त्र (Human Nervous System)

मानव तंत्रिका तन्त्र एक ऐसा तंत्र है जो अगों व वातावरण के मध्य तथा विभिन्न अंगो के मध्य सा मंजस्य स्थापित करता है साथ ही विभिन्न अंगों के कार्यों को नियंत्रित करता है ।

मानव तन्त्रिका तन्त्र (Human Nervous System) के तीन भाग होते हैं :

1. केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र – केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र में मुख्य रूप से मस्तिष्क , मेरूरज्जू तथा इसमें निकलने वाली तंत्रिका कोशिकाएँ शामिल होती है ।

2. परिधीय तन्त्रिका तन्त्र – परिधीय तंत्रिका तन्त्र दो प्रकार की तंत्रिकाओं से मिलकर बना है (i) संवेदी या अभिवाही ( Sensory nerves) – ऐसी तंत्रिकाएँ जो उदीपनों ( Stimulus) को ऊतको व अंगो से केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र तक लाती हैं । (ii)प्रेरक या अपवाही ( Motor nerve): ये ऐसी तंत्रिकाएँ हैं जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से नियामक उद्दीपनों ( Regulatory stimulus)को सबंधित अंगों तक पहुँचाती हैं ।

3. स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र – यह तन्त्र उन अंगों की क्रियाओं का संचालन करता है जो व्यक्ति की इच्छा से नहीं वरन् स्वतः ही कार्य करते है जैसे ह्रदय, फेफड़ा, अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियाँ आदि

केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nervous System)

यह सम्पूर्ण शरीर पर नियन्त्रण रखता है। इसमें तन्त्रिका कोशिका तथा तन्त्रिका तन्तु (fibres) दोनों होते हैं। यह केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र दो भागों के मेल से बनता है :

1. मस्तिष्क (Brain)

2. मेरूरज्जु (Spinal Cord)

मस्तिष्क (Brain)

मानव मस्तिष्क शरीर का एक केन्द्रीय अंग है जो सूचना विनिमय तथा आदेश व निंयत्रण का कार्य करता है । शरीर के विभिन्न कार्य कलापों जैसे तापमान नियंत्रण, मानव व्यवहार, रुधिर परिसंरण, श्वसन, देखने, सुनने, बोलने, ग्रन्थियों के स्त्रावण आदि को नियंत्रित करता है ।

यह करीब 1 . 5 किलो वजन का शरीर का सर्वाधिक जटिल अंग है | मस्तिष्क खोपड़ी के क्रेनियम में स्थित होता है। क्रेनियम मस्तिष्क को बाहरी आघातों से बचाता है। । मस्तिष्क के आवरण के बीच एक खाँच की तरह का द्रव्य जिसे मस्तिष्क मेरूद्रव्य कहते है ।

इसमें करीब 100 बिलियन तन्त्रिका कोशिकाएँ होती हैं।

स्तनधारियों में मस्तिष्क और मेरूदण्ड तीन मिनिंग्स (meninges)- ड्यूरामेटर, अरेक्नॉइड और पायामेटर) द्वारा घिरे होते हैं। मिनिंग्जाइटिस में यही मिनिंग्स जीवाणुओं द्वारा संक्रमित हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप सिरदर्द, उल्टी एवं दर्द होता है।

मस्तिष्क एवं मेरूदण्ड के अन्दर तथा बाहर सेरेब्रोस्पाइनल द्रव (cerebrospinal fluid) पाया जाता है, जो मस्तिष्क तथा मेरूदण्ड की बाहरी धक्कों से रक्षा करती हैं। मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं

1. अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)

2. मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)

3. पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)

अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)

प्रमस्तिष्क (Cerebrum ),थेलेमस तथा हाइपोथेलेमस मिलकर अग्र मस्तिष्क का निर्माण करते हैं । अग्रमस्तिष्क के दो भाग होते हैं

(i) प्रमस्तिष्क (सेरेब्रम) (Cerebrum) – प्रमस्तिष्क मानव मस्तिष्क का 80 – 85 प्रतिशत भाग बनाता है । यह बुद्धिमता, स्मृति, इच्छा शक्ति, ऐच्छिक गतियों, वाणी एवं चिन्तन का केन्द्र है। ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त प्रेरणाओं का इसमें विश्लेषण और समन्वय होता है। अग्रमस्तिष्क सेरेब्रम में दो दायाँ और बायाँ गोलार्द्ध होते हैं। दोनों गोलार्द्ध कार्पस कैलोसम द्वारा जुड़े होते हैं। एक लम्बा गहरा विदर प्रमस्तिष्क को दाएँ व बांए गोलार्धों ( Cerebral Hemisphere ) में विभक्त करता है । प्रत्येक गोलार्द्ध में घूसर द्रव्य ( Grey Matter ) पाया जाता है जो प्रान्तरथा या वल्कुट या कोर्टेक्स ( Cortex ) कहलाता है । अन्दर की ओर श्वेत द्रव्य ( White Matter ) से बना हुआ भाग अन्तस्था या मध्याशं ( Medudla ) कहा जाता है । घूसर द्रव्य ( Grey Matter ) में कई तंत्रिकाएँ पाई जाती हैं । इनकी अधिकता के कारण ही इस द्रव्य का रंग घूसर दिखाई देता है । दोनों गोलार्द्ध आपस में कार्पस कैलोसम की पट्टी द्वारा जुड़े होते हैं । प्रमस्तिष्क चारों ओर से थेलेमस से घिरा हुआ रहता है ।

(ii) डाइएनसेफैलॉन (Diencephanol) यह सेरेब्रम के पीछे तथा नीचे और सेरेब्रल गोलार्द्ध एवं मध्य मस्तिष्क के बीच स्थित होता है। इसके दो भाग थैलेमस और हाइपोथैलेमस हैं।

थैलेमस (Thalamus)

इसकी दो गोलाकार संरचनाएँ होती हैं, जो दर्द, ठण्ड एवं गर्म आदि को पहचानने का कार्य करती है। यह ज्ञानेन्द्रियों तथा सेरेब्रम के मध्य संचार की मुख्य कड़ी है।

हाइपोथैलेमस (Hypothalamus)

यह भूख, प्यास, ताप नियन्त्रण, प्यार, घृणा आदि का केन्द्र होता है तथा वसा एवं कार्बोहाइड्रेट के उपापचय पर नियन्त्रण के साथ ही साथ अंतःस्रावी ग्रन्थियों से स्रावित हॉर्मोन पर नियन्त्रण करता है।

(b) सेरेबेलम (Cerebullum), सेरेब्रम के ठीक नीचे पश्च भाग में होता है। इसका मुख्य कार्य शरीर का सन्तुलन बनाए रखना तथा ऐच्छिक पेशियों के संकुचन पर नियन्त्रित करना है। पॉन्स वैरोलाई श्वसन को नियन्त्रित करता है।

(c) मेड्यूला ऑब्लोंगेटा (Medulla Oblongata) मस्तिष्क का सबसे पीछे का भाग, जो पॉन्स और मेरूरज्जु के मध्य स्थित होता है। इसका पिछला भाग ही मेरूरज्जु बनाता है। यह हृदय स्पन्दन, रुधिर नलिकाओं, लार स्राव, श्वसन गति की दर तथा प्रत्यावर्ती एवं अनैच्छिक गतियों को नियन्त्रित करती है।

मध्यमस्तिष्क (Mid Brain)

यह चार पिण्ड़ों में बंटा हुआ भाग है जो हाइपोथेलेमस तथा पश्चमस्तिष्क के मध्य स्थित होता है। प्रत्येक पिण्ड को कॉर्पोराक्वाड्रीजेमीन ( CorporaQuadrigemina ) कहा जाता है। ऊपरी दो पिण्ड दृष्टि के लिए तथा निचले दो पिण्ड श्रवण के लिए उत्तरदायी हैं।

पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)

यह भाग अनुमस्तिष्क (Cerebellum) , पोंस (Pons) तथा मध्यांश (Medulla Oblongata) को समाहित करता है। अनुमस्तिष्क मस्तिष्क का दूसरा बड़ा भाग है जो एच्छिक पेशियों ( जैसे हाथ व पैर की पेशियाँ ) को नियंत्रित करता है । यह एक विलगित सतह वाला भाग है जो न्यूरोंसरों को अतिरिक्त स्थान प्रदान करता है । पोंसपों मस्तिष्क के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ता है । मध्यांश अनैच्छिक क्रियाओं को नियत्रित करता है जैसे हृदय की घड़कन , रक्तदाब , पाचक रसों का स्त्राव आदि | यह मस्तिष्क का अन्तिम भाग है जो मेरूरज्जु से जुड़ा होता है । 

मेरूरज्जु (Spinal Cord)

मेड्यूला ऑब्लोंगेटा (Medulla Oblongata) का पिछला भाग ही मेरूरज्जु बनाता है इससे 31 जोड़ी तन्त्रिका निकलती हैं। यह प्रतिवर्ती क्रिया (reflex action) का केन्द्र होता है तथा मस्तिष्क एवं मेरू तन्त्रिकाओं (spinal nerves) के बीच सेतु का कार्य करती है।

मेरूरज्जु की दोनों सतह पर एक-2 खाँच पाई जाती हैं, जिसे डॉर्सल फिशर और वेन्ट्रल फिशर कहते हैं | मेरूरज्जु के मध्य में केन्द्रीयनाल पाई जाती है, जिसमें सेरेब्रोस्पाइनल द्रव भरा रहता है। मेरूरज्जु के भीतरी स्तर को घूसर पदार्थ (Grey Matter) तथा बाहरी स्तर को श्वेत पदार्थ (White Matter) कहते हैं।

सिनेप्स

एक तन्त्रिका तन्तु का एक्सॉन जहाँ दूसरे तन्त्रिका तन्तु डेन्ड्राइट पर समाप्त होता है, उसे सिनेप्स कहते हैं।

सिनैप्स पर एक्सॉन तथा डेन्ड्राइट एक-दूसरे को स्पर्श नहीं करते हैं वरन उस बीच का स्थान पतले द्रव से भरा होता है। एक्सॉन के अन्तिम सिरे पर सिनैप्टिक आशय (synaptic vesicles) होती है, जिससे न्यूरोट्रान्समीटर, एड्रिनेलिन तथा ऐसीटिलकोलीन निकलते हैं।

सिनैप्स के अन्तर्गत तन्त्रिका आवेग का संचरण एक तन्त्रिका कोशिका से दूसरे में या तन्त्रिका कोशिका से पेशी कोशिका में एसीटिलकोलीन द्वारा होता है।

परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral Nervous System)

यह मस्तिष्क तथा मेरूरज्जु से निकलने वाली तत्रिकाओं का समूह है जो केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र को जाने व वहाँ से आने वाले संदेशो को पहुँचाने का कार्य
करता है । यह तन्त्र केन्द्रीय तन्त्र के बाहर कार्य करता है अतः इसे परिधीय तन्त्र कहा जाता है । यह मूलतः दो प्रकार का होता है :

( A ) कायिक तंत्रिका तन्त्र ( Somatic Nervous System )

यह तन्त्र उन क्रियाओं को संपादित करने में मदद करता है जो हम अपनी इच्छानुसार करते हैं । केन्द्रीय तन्त्र इस तन्त्र के सहारे ही बाह्य उत्तेजनाओं पर
प्रतिक्रिया तथा मांसपेशियों आदि के कार्य संपादित करवाता है ।

यह 12 जोड़ी कपाल तन्त्रिकाओं तथा 31 जोड़ी मेरू तन्त्रिकाओं का बना होता है।

मनुष्य में 31 जोड़ी मेरू तन्त्रिकाएँ निम्न प्रकार से होती हैं।

ग्रीवा – 8 जोड़ी

वक्षीय – 12 जोड़ी

लुम्बर – 5 जोड़ी से क्रल – 5 जोड़ी
कॉक्सीजियल तन्त्रिकाएँ – 1 जोड़ी

(B) स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र (Autonomic Nervous System)

यह तन्त्र उन अंगों की क्रियाओं का संचालन करता है । जो व्यक्ति की इच्छा से नहीं वरन् स्वतः ही कार्य करते है जैसे ह्रदय , फेफड़ा , अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियाँ आदि । यह तन्त्र तंत्रिका के समूहों की एक श्रृंखला होती है जिससे शरीर के विभिन्न आन्तरिक अंगो के तंत्रिका तन्तु ( Nerve Fibers ) जुड़े होते हैं । स्वायत तंत्रिका तन्त्र के दो भाग है (i) अनुकम्पी और (ii) परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र

अनुकम्पी तथा परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र एक दूसरे के विपरीत कार्य करते हैं तथा शरीर की सभी क्रियाओं पर नियन्त्रण रखते हैं।

(i) अनुकम्पी तंत्रिका तन्त्र (Sympathetic Nervous System)

यह तन्त्र व्यक्ति में सतर्कता तथा उत्तेजना को नियंत्रित करता है । यह तन्त्र व्यक्ति के शरीर को आपातकालीन परिस्थिति में अतिरिक्त ऊर्जा प्रदान करता है । आपातकालीन स्थिति में ह्रदय गति का तेज होना , श्वास गति का बढ़ना आदि क्रियाएँ अनुकम्पी तन्त्र के द्वारा ही संपादित की जाती हैं । अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र हृदय की धड़कन, आँसू, ग्रन्थियों के स्रावण, एड्रिनल ग्रन्थि के स्रावण, इन्सुलिन के स्रावण को बढ़ाता है |

(ii) परानुकम्पी तंत्रिका तन्त्र (Parasympathetic Nervous System)

यह तन्त्र शारीरिक ऊर्जा का संचयन करता है । विश्रामावस्था में यह तन्त्र क्रियाशील होकर ऊर्जा का संचय प्रांरभ करता है । यह आँख की पुतली को सिकोड़ता है तथा लार व पाचक रसों में वृद्धि करता है । परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र हृदय की धड़कन, आँसू, ग्रन्थियों के स्रावण, एड्रिनल ग्रन्थि के स्रावण, इन्सुलिन के स्रावण को रोकता है।

अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र आपातकाल तथा तनाव की स्थितियों में कार्य करता है, जबकि परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र शान्ति तथा विश्राम की स्थितियों में कार्य करता है।

तंत्रिका तन्त्र की कार्यिकी (Physiology of Nervous System)

कई तंत्रिकाएँ मिलकर कडीनुमा संरचना का निर्माण करती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों को मस्तिष्क तथा मेरूरज्जु के साथ जोड़ता है । संवेदी तंत्रिकाएँ बहुत से उदीपनों को जैसे आवाज , रोशनी , स्पर्श आदि पर प्रतिक्रिया करते हुए इन्हें केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक पहुँचाती हैं । यह कार्य वैद्यु त रासायनिक आवेग ( Electro Chemical Impulse ) के जरिए संपादित किया जाता है । इसे तंत्रिका आवेग भी कहा जाता है ।

यह तंत्रिका आवेग ही उद्दीपनों को संवेदी अंगों ( त्वचा , जीभ , नाक , आँखे तथा कान ) से केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र तक प्रसारित करते हैं । तंत्रिका आवेग दुमाक्ष्य से तंत्रिकाक्ष तक पहुँचते – पहुँचते कमजोर पड़ जाते है । ऐसे शिथिल आवेगों को सन्धि स्थल पर अधिक शक्तिशाली बनाकर आगे भेजने का कार्य न्यूरोट्रां समीटर द्वारा संपादित होता है । केन्द्रीय तन्त्र से संचारित संकेत जो चालक तंत्रिकाओं द्वारा प्रसारित होते हैं , व मांसपेशियों तथा ग्रन्थियों को सक्रिय करते है ।

तन्त्रिका आवेग का संचरण

यह एक न्यूरॉन (neuron) के एक्सॉन (axon) के अन्त से दूसरे न्यूरॉन के डेन्ड्राइट (dendrite) पर होता है।

यह केवल एक ही दिशा में (unidirectional) होता है। यह एक विद्युत रासायनिक प्रक्रिया है।

विश्रामावस्था में तन्त्रिका कोशिका के कोशिकाद्रव्य (cytoplasm) में K+ की सान्द्रता अधिक होती है तथा कोशिका के बाहर Na+ की सान्द्रता अधिक होती है, जिसके कारण कोशिका कला के भीतर -80mV का विद्युत विभव (electrical potential) होता है। यह सुप्त कला अवस्था (polarised state) कहलाती है।

तन्त्रिका कोशिका की कला में विद्युत विभवान्तर (electrical potential difference) होता है, जिसे कला विभव (membrane potential) कहते हैं। न्यूरॉन की प्लाज्मा कला में आयन चैनल (ion channel) उपस्थित होते हैं। ये केवल एक ही प्रकार के आयन के लिए पारगम्य होते हैं; जैसे—Na+ या K+ या Ca2+ आदि।

तन्त्रिका कोशिका में ध्रुवित अवस्था (polarised state) बनाये रखने के लिए कोशिका कला में सोडियम-पोटैशियम पम्प होता है। इसके द्वारा कोशिकाद्रव्य से तीन सोडियम आयन बाहर निकाले जाते हैं तथा बाहर से दो पोटैशियम आयन कोशिकाद्रव्य में प्रवेश करते हैं।

इलेक्ट्रोएन्सिफेलोग्राम (EEG)

पहला EEG बर्गर ने 1929 में अंकित किया था।

EEG मस्तिष्क के विभिन्न भागों की विद्युतीय सक्रियता की रिकॉर्डिंग है।

EEG में चार तरंग होती हैं :

(i) एल्फा तरंगें – ये मस्तिष्क का विश्राम दर्शाती हैं।

(ii) बीटा तरंगें – ये तनाव दर्शाती हैं।

(iil) थीटा तरंगें – ये भावात्मक दवाव; जैसे निराशा के दौरान उभरती हैं। (iv) डेल्टा तरंगें ये सोते समय आती हैं। ये मस्तिष्क की चोट या विकार दर्शाती हैं।

न्यूरोट्रान्समीटर (Neurotransmitter)

न्यूरोट्रांसमीटर एक प्रकार का रासायनिक संदेशवाहक है जो एक रासायनिक सिनैप्स में मौजूद संकेतों को एक न्यूरॉन से दूसरे तक पहुंचाता है। न्यूरोट्रांसमीटर अणु होते हैं जो न्यूरॉन्स से मांसपेशियों तक या विभिन्न न्यूरॉन्स के बीच संकेतों को संचारित करते रहते हैं। 

अरबों न्यूरोट्रांसमीटर अणु हमारे दिमाग को काम करने के लिए लगातार काम करते रहते हैं, हमारे सांस लेने से लेकर हमारे दिल की धड़कन तक हमारे सीखने और एकाग्रता को भी न्यूरोट्रांसमीटर व्यवस्थित करता है। न्यूरोट्रांसमीटर विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक कार्यों जैसे भय, मनोदशा और आनंद को भी प्रभावित करते हैं। न्यूरोट्रांसमीटर का कार्य तंत्रिका कोशिकाओं से लक्ष्य कोशिकाओं तक संकेतों को संचारित करना होता है। ये लक्ष्य कोशिकाएं मांसपेशियों, ग्रंथियो या शरीर में मौजूद अन्य नसों में हो सकती हैं।

(A) उत्तेजक (Excitory) न्यूरोट्रान्समीटर – इस प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर का न्यूरॉन पर उत्तेजक प्रभाव पड़ता है, जिसका अर्थ है कि वे  पोटेंशिअल को फायर करने की संभावना को बढ़ाते हैं। एपिनेफ्रीन और नॉरपेनेफ्रिन दो उत्तेजक न्यूरोट्रांसमीटर हैं।

उत्तेजक (Excitory) न्यूरोट्रान्समीटर के प्रकार

(i) एसीटिलकोलिन (ii) नॉरएपिनेफ्रिन (iii) सिरोटोनिन (iv) डोपामाइन (v) हिस्टामिन (vi) ग्लुटामेट

(B) अवरोधक (Inhibitory) न्यूरोट्रान्समीटर – इस प्रकार के न्यूरोट्रांसमीटर का न्यूरॉन पर निरोधात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसका अर्थ है कि वे पोटेंशिअल के फायरिंग की संभावना कम होती है।

अवरोधक (Inhibitory) न्यूरोट्रान्समीटर के प्रकार

(i) गामा एमिनो ब्यूट्रीरिक अम्ल (γ-Aminobutyric acid or GABA ) (ii) गलाईसिन

(C) मॉड्यूलर न्यूरोट्रांसमीटर – ये न्यूरोट्रांसमीटर, जिन्हें अक्सर न्यूरोमोड्यूलेटर के रूप में भी जाना जाता है, ये एक ही समय में बड़ी संख्या में न्यूरोट्रांसमीटर को प्रभावित करते हैं। ये अन्य रासायनिक दूतों के प्रभाव को भी प्रभावित करने में सक्षम हैं।

प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action)

कुछ आवेग अथवा संकेत, जिनकी मस्तिष्क में विश्लेषण की आवश्यकता नहीं होती। इनकी अनुक्रिया के लिए तत्काल आदेश की जरूरत होती है। ऐसे आवेगों की अनुक्रिया के लिए निर्देश मस्तिष्क के बजाए मेरूरज्जु द्वारा निर्गत किये जाते हैं। ऐसे निर्देशों को प्रतिवर्ती क्रिया या रिफ्लेक्स एक्सन कहते हैं।

उदाहरण के लिए, किसी सुईं के चुभने अथवा किसी बहुत गर्म या ठण्डे पदार्थों को छूने पर हम तुरन्त अपने हाथों पर पैरों को हटाते हैं। किसी उद्दीपन के प्रति इस प्रकार की होने वाली अभिक्रिया अनैच्छिक (अचेतन) होती है।

प्रतिवर्ती क्रियाओं में ग्राही अंगों से सूचनाएँ संवेदी तन्त्रिकाओं द्वारा मेरूरज्जु तक जाती हैं। वहाँ से अभिक्रिया के लिए प्रेरत तन्त्रिकाओं द्वारा अभिवाही अंग तक पहुँचती हैं। इस पथ को प्रतिवर्ती चाप कहते हैं।

अन्य प्रतिवर्ती क्रियाएँ खांसना, छींकना, उबासी लेना, नेत्रों का झपकना मध्यपट की गति है।

मानव तंत्रिका तंत्र का महत्त्व

तंत्रिका तंत्र हमारे शरीर की गतिविधियों का समन्वय है। यह सब हमारे व्यवहार, सोच और कार्यों को नियंत्रित करता है।

ऐसा केवल तंत्रिका तंत्र के माध्यम से होता है जिससे हमारे शरीर की अन्य सभी प्रणालियां कार्य करती हैं। यह एक आंतरिक प्रणाली से दूसरे को जानकारी भेजती है। उदाहरण के लिए, जब हम मुंह में खाने को रखते हैं, तब इसी वजह से लार ग्रंथियों के द्वारा लार का निर्माण होता है |

जब हमारे शरीर का कोई भी अंग तंत्रिका तंत्र से प्रभावित होता है तो यह विद्युत की तरंगों के रूप में मस्तिष्क को संदेश भेजता है। यह संदेश संवेदी न्यूरॉन्स के माध्यम से भेजा जाता है।

मस्तिष्क संदेश का विश्लेषण करता है और उसके अनुसार कार्य करता है। मस्तिष्क तब मोटर नसों के माध्यम से शरीर संबंधित अंग के लिए निर्देश भेजता है।

मानव तंत्रिका तन्त्र ( Human Nervous System) से जुड़े प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर

मानव तंत्रिका क्या है?

जिस तन्त्र के द्वारा विभिन्न अंगों का नियंत्रण और अंगों और वातावरण में सामंजस्य स्थापित होता है उसे तन्त्रिका तन्त्र (Nerve System) कहते हैं। मनुष्य शरीर में तंत्रिकाएँ शरीर के लगभग हर भाग को मस्तिष्क या मेरूरज्जु से जोड़कर उनमें आपसी संपर्क रखतीं हैं। तन्त्रिका तन्त्र सिर्फ जन्तुओं में पाया जाता है, जबकि पौधों में अनुपस्थित होता है। इसका निर्माण एक्टोडर्म से होता है। तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क, मेरुरज्जु और इनसे निकलनेवाली तंत्रिकाओं की गणना की जाती है।

मानव तंत्रिका तंत्र के कितने भाग होते हैं?

मानव तन्त्रिका तन्त्र (Human Nervous System) के तीन भाग होते हैं (i)  केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र जिसमे मुख्य रूप से मस्तिष्क, मेरूरज्जू तथा इसमें निकलने वाली तंत्रिका कोशिकाएँ शामिल होती है । (ii) परिधीय तन्त्रिका तन्त्र – ये दो प्रकार की तंत्रिकाओं से मिलकर बना है (i) संवेदी या अभिवाही ( Sensory nerves) – ऐसी तंत्रिकाएँ जो उदीपनों ( Stimulus) को ऊतको व अंगो से केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र तक लाती हैं । (ii) प्रेरक या अपवाही ( Motor nerve): ये ऐसी तंत्रिकाएँ हैं जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से नियामक उद्दीपनों ( Regulatory stimulus)को सबंधित अंगों तक पहुँचाती हैं । (iii) स्वायत्त तन्त्रिका तन्त्र – यह तन्त्र उन अंगों की क्रियाओं का संचालन करता है जो व्यक्ति की इच्छा से नहीं वरन् स्वतः ही कार्य करते है जैसे ह्रदय, फेफड़ा, अन्तः स्त्रावी ग्रन्थियाँ आदि

मानव शरीर में तंत्रिका तंत्र का क्या महत्व है?

जब हमारे शरीर का कोई भी अंग तंत्रिका तंत्र से प्रभावित होता है तो यह विद्युत की तरंगों के रूप में मस्तिष्क को संदेश भेजता है। यह संदेश संवेदी न्यूरॉन्स के माध्यम से भेजा जाता है। मस्तिष्क संदेश का विश्लेषण करता है और उसके अनुसार कार्य करता है। मस्तिष्क तब मोटर नसों के माध्यम से शरीर संबंधित अंग के लिए निर्देश भेजता है।

मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में कौन कौन से अंग होते हैं?

मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क ((Brain), मेरुरज्जु (spinal cord), तंत्रिकाएँ (nerve) और संवेदी अंग (Sense organs) शामिल है |

मानव शरीर में तंत्रिका कहां है?

न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र की सरंचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है जो पूरे शरीर में मौजूद होते हैं, साथ ही मनुष्य के तंत्रिका तंत्र में मस्तिष्क ((Brain), मेरुरज्जु – रीढ़ की हड्डी (spinal cord), तंत्रिकाएँ (nerve) और संवेदी अंग (Sense organs) शामिल है | ये सारे अंग मिलकर तंत्रिका तंत्र कहलाते है | तंत्रिका तंत्र के दो मुख्य भाग होते हैं: केंद्रीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी से बना होता है। परिधीय तंत्रिका तंत्र नसों से बना होता है जो रीढ़ की हड्डी से निकलती है और शरीर के सभी हिस्सों तक फैली होती है ।

न्यूरॉन्स क्या होते है ?

कोशिकाएं जो कि तंत्रिका तंत्र को बनाती हैं, उसको तंत्रि कोशिका या तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन्स) ( neurons) कहते है। न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र की सरंचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है जिसके द्वारा यह तन्त्र शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजता है । ये कोशिकाएँ शरीर के लगभग हर ऊतक / अंगों को केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र से जोड़कर रखती हैं । न्यूरॉन्स शरीर में सबसे बड़ा सेल है। न्यूरॉन्स की संरचना ऐसी है कि यह जल्दी से शरीर में संदेशों को ले जा सकती है। यह संदेश विद्युत के तरंगों या तंत्रिका आवेग के रूप में होते हैं।

न्यूरॉन्स के कितने भाग होते है ?

प्रत्येक न्यूरॉन्सतीन भागों में मिल कर बनी होती है (i) कोशिका काय ( Cell Body ) – कोशिका काय में एक केन्द्रक तथा प्रारूपिक कोशिकांग पाए जाते हैं (ii) द्रुमाक्ष्य (Dendron) – ये कोशिका काय से निकले छोटे तन्तु होते हैं । जो कोशिका काय की शाखाओं के तौर पर पाये जाते है (iii) तंत्रिकाक्ष (Axon) – यह लम्बा बेलनाकार प्रवर्ध है जो कोशिकाकाय के एक हिस्से से शुरू होकर धागेनुमा शाखाएँ बनाता है।

न्यूरॉन का क्या कार्य है?

न्यूरॉन्स तंत्रिका तंत्र की सरंचनात्मक व क्रियात्मक इकाई है जिसके द्वारा यह तन्त्र शरीर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजता है । ये कोशिकाएँ शरीर के लगभग हर ऊतक / अंगों को केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र से जोड़कर रखती हैं । तंत्रिका कोशिकाएँ (Neurons) शरीर के बाहर से अथवा भीतर से उद्दीपनों ( Stimuli ) को ग्रहण करती है । आवेगों ( संकेतो ) के माध्यम से उद्दीपन एक से दूसरी तंत्रिका कोशिका में अभिगमन करते हुए केन्द्रीय तंत्रिका तन्त्र तक पहुँचते हैं । केन्द्रीय तन्त्र से प्राप्त प्रतिक्रियात्मक संदेशों को वापस पहुँचाने का कार्य भी तंत्रिका कोशिका के माध्यम से ही संपादित होता है ।

मस्तिष्क का कार्य क्या है?

मानव मस्तिष्क शरीर का एक केन्द्रीय अंग है जो सूचना विनिमय तथा आदेश व निंयत्रण का कार्य करता है । शरीर के विभिन्न कार्य कलापों जैसे तापमान नियंत्रण, मानव व्यवहार, रुधिर परिसंरण, श्वसन, देखने, सुनने, बोलने, ग्रन्थियों के स्त्रावण आदि को नियंत्रित करता है ।इसका मुख्य कार्यों में ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन भी है।  मस्तिष्क को शरीर का मालिक अंग कहते हैं।

मस्तिष्क का सोचने वाला भाग कौन सा होता है?

मानव मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला हिस्सा प्रमस्तिष्क (सेरेब्रम) (Cerebrum) है। प्रमस्तिष्क, मस्तिष्क का बड़ा और बाहरी भाग है। यह पढ़ने, सोचने, सीखने, बोलने, भावनाओं और चलने जैसे नियोजित मांसपेशी गतियों को नियंत्रित करता है। प्रमस्तिष्क (अग्रमस्तिष्क (Fore Brain) का एक प्रमुख हिस्सा) मस्तिष्क का मुख्य सोच वाला हिस्सा है।

अग्रमस्तिष्क (Fore Brain) के कितने भाग है ?

प्रमस्तिष्क (Cerebrum ),थेलेमस तथा हाइपोथेलेमस मिलकर अग्र मस्तिष्क का निर्माण करते हैं ।

न्यूरोट्रान्समीटर (Neurotransmitter) क्या है ?

न्यूरोट्रांसमीटर एक प्रकार का रासायनिक संदेशवाहक है जो एक रासायनिक सिनैप्स में मौजूद संकेतों को एक न्यूरॉन से दूसरे तक पहुंचाता है। न्यूरोट्रांसमीटर अणु होते हैं जो न्यूरॉन्स से मांसपेशियों तक या विभिन्न न्यूरॉन्स के बीच संकेतों को संचारित करते रहते हैं। 

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Tags: biologyBrainCentral Nerve SystemHuman Nervous SystemNervous SystemSpinal Cord
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