15 जनवरी 2022 को जब समुद्र के नीचे टोंगा-हुंगा हापाई ज्वालामुखी (Tonga volcano) फटा था तो इस घटना ने एक नया इतिहास बना था क्योकीं इसे दुनिया का सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट बताया गया है।
हंगा टोंगा-हंगा हाआपाई (Hunga Tonga–Hunga Ha’apai) दक्षिण प्रशांत महासागर में एक ज्वालामुखी है जो फोनुआफोउ के ज्वालामुखी से लगभग 30 किमी दक्षिण में स्थित है और टोंगा के मुख्य द्वीप टोंगा टापु (Tongatapu, Tonga’s main island ) से 65 किमी उत्तर में स्थित है।

15 जनवरी 2022 को, हंगा टोंगा-हंगा हाआ में यह ज्वालामुखी फट गया और एक शक्तिशाली शॉक वेव (shock wave) इस ज्वालामुखी से निकली । इसके शक्तिशाली विस्फोट ने 36 मील जितना ऊंचाई पर एरोसोल, गैस, भाप और राख को निकल दिया था, जो शायद उपग्रह रिकॉर्ड में सबसे ऊंचा ज्वालामुखी है। इस विस्फोट ने 100 से अधिक घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया और टोंगा द्वीप पर कम से कम तीन लोगों की जान चली गई। एक नए अध्ययन से यह भी पता चलता है कि ज्वालामुखी ने अभूतपूर्व मात्रा में जल वाष्प जारी किया, एक मजबूत ग्रीनहाउस गैस जो पृथ्वी पर गर्मी को बाहर नही निकलने दे रही है।

हाल ही में Geophysical Research Letters में एक स्टडी प्रकाशित की गई है जिसमें दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के वायुमंडलीय वैज्ञानिक और स्टडी के लेखक लुइस मिलान ने कहा, ”हमने ऐसा कभी कुछ नहीं देखा है।” ज्वालामुखी में जब विस्फोट हुआ तो इसमें सोनिक बूम पैदा हुआ था। यह इतना शक्तिशाली फोर्स था कि इसने भाप बने पानी को पृथ्वी के 12 से 53 किलोमीटर में फैले स्ट्रेटोस्फीयर यानि समताप मंडल में भेज दिया, यह इतना पानी था कि जिससे ओलंपिक के आकार के 60 हजार के लगभग स्वीमिंग पूल को भरा जा सकता है। (रिसर्च स्टडी यहाँ पढ़े : The Hunga Tonga-Hunga Ha’apai Hydration of the Stratosphere)

NASA के Microwave Limb Sounder ने भी इसके बारे में जानकारी दी है। नासा का यह यंत्र पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी छोर के बारे में जानकारी इकट्ठा करता रहता है। वैज्ञानिकों ने इससे प्राप्त जानकारी के आधार पर कहा है कि इस विस्फोट ने जो जलवाष्प वायुमंडल में भेजा है वह पृथ्वी के औसत तापमान में बढ़ोत्तरी का कारण बन सकता है जिसका व्यापक असर दुनियाभर में देखा जा सकता है। इसका एक और दुष्प्रभाव पृथ्वी की ओजोन परत पर हो सकता है, जिसे यह कमजोर बना सकता है।
अब वैज्ञानिकों ने इससे पैदा होने वाले कई खतरे गिनाए हैं जो काफी चिंता का विषय है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विस्फोट धरती पर गर्मी बढ़ने का कारण बन सकता है। साथ ही इसके कारण सूर्य की हानिकारक किरणों से रक्षा करने वाली पृथ्वी की ओजोन परत को भी नुकसान पहुंचने की बहुत अधिक संभावना है।
वैज्ञानिकों ने एक अनुमान के मुताबिक कहा है कि वायुमंडल में जितना जलवाष्प पहले से मौजूद था, विस्फोट ने उसका 10 गुना पानी वायुमंडल में भेज दिया। इस पानी की कुल मात्रा 146 टेराग्राम बताई गई है। इससे पहले एक और जो बड़ा विस्फोट 1991 में फिलिपींस में हुआ था, उसमें जितना पानी वायुमंडल में पहुंचा था, यह उसका 4 गुना था।
आमतौर पर ज्वालामुखी फटने से जो धुंआ और धूल आदि पैदा होता है, वह सूरज की किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकता है, और गर्मी कुछ स्थानों पर कम हो जाती है। लेकिन टोंगा का विस्फोट अलग बताया जा रहा है, इसने जो पानी वायुमंडल में भेजा है, वो धरती की सतह की गर्मी को यहीं पर कैद करेगा जिससे सतह का तापमान कुछ समय के लिए काफी बढ़ जाएगा। हालांकि, यह प्रभाव अस्थायी होगा।