पृथ्वी (Earth) पर दिन रहस्यमयी तरीके से लंबा हो रहा है यानी धरती के दिन का समय बढ़ रहा है और वैज्ञानिकों को यह रहस्यमय लग रहा है क्योकीं वैज्ञानिक इसके पीछे जुड़े कारण पर अभी तक नही पहुच पा रहे है |
दुनिया भर के एटॉमिक क्लॉक्स ने गणना करके यह बताया है कि पृथ्वी के दिन का समय रहस्यमयी तरीके से बढ़ रहा है इससे न सिर्फ हमारे समय की कैलकुलेशन पर असर पड़ेगा, बल्कि जीपीएस, नेविगेशन और संचार संबंधी कई अन्य तकनीकों में भी समस्या आएगी |

धरती के दिन की गणना उसकी धुरी पर लगने वाले चक्कर से होती आई है लेकिन धरती के अपनी धुरी पर घूमने की गति लगातार बढ़ रही है | पिछले कुछ दशकों से हमारे दिन की लंबाई छोटी हो रही थी | जून 2022 में सबसे छोटे दिन का रिकॉर्ड भी दर्ज किया गया यानी पिछली आधी सदी में यह सबसे छोटा दिन था लेकिन साल 2020 के बाद और इस रिकॉर्ड के गठन के बाद अब धरती ने गति धीमी हो रही है और दिन लंबे हो रहे हैं जिसकी वजह वैज्ञानिकों को पता नहीं है |
सामान्य फोन या घड़ी में तो 24 घंटे का सटीक समय दिखा रहे है लेकिन पृथ्वी के 24 घंटे में लगने वाला चक्कर अब कुछ समय ज्यादा ले रहा है | आमतौर पर यह बदलाव करोड़ों सालों में होता है | हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके पीछे की वजह धरती पर आने वाले भूकंप (Earthquake) और तूफान (Storm) भी हो सकते हैं |
पिछले कई करोड़ वर्षों से धरती के घूमने की गति धीमी हो रही है और इसके पीछे चंद्रमा से निकलने वाले टाइड्स का घर्षण है | हर एक सदी में 2.3 मिलिसेकेंड धरती के दिन के समय में जुड़ रहा है |
कुछ करोड़ साल पहले धरती का दिन सिर्फ 19 घंटे का होता था लेकिन पिछले 20 हजार सालों से दूसरी प्रक्रिया शुरू हो गई जो कि विपरीत दिशा में है इस वजह से धरती की गति बढ़ने लगी | यह प्रक्रिया तब शुरू हुई जब जब Ice Age में ध्रुवीय बर्फ के पिघलने से सरफेस प्रेशर कम हो रहा था और धरती का मैंटल धीरे-धीरे ध्रुवों की तरफ खिसक रहा था |

इसे एक उदाहरण से समझते है जैसे कोई बैले डांसर अपने घूमने की गति बढ़ाने के लिए अपने हाथों को अपने शरीर के करीब रख लेती है ताकि वह अपनी धुरी यानी पैर पर तेजी से गोल घूम सके | इसी तरह हमारी पृथ्वी के घूमने की गति तब बढ़ जाती है, जब उसका मैंटल धुरी के नजदीक पहुंचता है इसकी वजह से धरती का हर दिन 0.6 मिलिसेकेंड्स कम हो जाता है| धरती के एक दिन में 86,400 सेकेंड्स होते हैं |
पिछले कई दशकों से धरती की आंतरिक संरचना और सतह के बीच एक संबंध बना हुआ है | अगर बड़े भूकंप आते हैं तो ये धरती के दिन की लंबाई को बदल देते हैं भले ही अंतर कम समय का हो | जैसे साल 2011 में जापान में आए 8.9 तीव्रता के भूकंप ने धरती की घूमने की गति को 1.8 मिलिसेकेंड बढ़ा दिया था | इसके अलावा कई ऐसी छोटी घटनाएं होती रहती हैं, जो धरती के दिन के समय को बदलते हैं. जैसे- जलवायु परिवर्तन, मौसमों में बदलाव आदि | ये धरती के घूमने की गति को हर दिशा से प्रभावित करती हैं |
हर 15 दिन पर या महीने में टाइडल साइकिल (fortnightly and monthly tidal cycles) यानी लहरों की गति भारी मात्रा में ग्रह के चारों तरफ मूवमेंट करती हैं | इनकी वजह से भी पृथ्वी के दिन का समय कम या ज्यादा होता है | समुद्र की लहरों की वजह से होने वाला बदलाव आमतौर पर 18.6 वर्षों में एक बार होता है | वायुमंडल के मूवमेंट का सबसे ज्यादा असर धरती की गति पर पड़ता है | इसके अलावा बर्फबारी, बारिश, जमीन से पानी निकालना ये चीजें भी धरती की गति पर असर डालती हैं |
पृथ्वी अचानक धीमी क्यों हो रही है?
वर्ष 1960 से अब तक धरती पर मौजूद रेडियो टेलिस्कोप्स ग्रहों के चारों तरफ मौजूद क्वासार (Quasars) और अन्य अंतरिक्षीय वस्तुओं की गणना से धरती के घूमने की गति का पता लगाते आ रहे हैं | इन रेडियो टेलिस्कोप और एटॉमिक घड़ी के आंकड़ों से पता चला है कि पिछले कुछ सालों से धरती के दिन का समय कुछ कम हो रहा था | लेकिन रोटेशन में इतना बदलाव आता है कि वैज्ञानिक कई बार धोखा खा जाते हैं |

29 जून 2022 को सबसे छोटा दिन होने के बावजूद साल 2020 के बाद धरती के घूमने की ट्रैजेक्टरी (trajectory) में समय बढ़ा है | यह बदलाव पिछले 50 सालों में कभी नहीं देखा गया था | अभी तक इस बदलाव की सही और सटीक वजह पता नहीं चल पाई है | ये बदलाव मौसम के परिवर्तन की वजह से हो सकते है या फिर ला नीना इवेंट्स (La Niña events की वजह से | बर्फ के लगातार पिघलने की वजह से यह प्रक्रिया और बढ़ सकती है |
वर्तमान समय के बदलाव को लेकर पहले चैंडलर वॉबल (Chandler Wobble) को वजह बताया जा रहा था | यह हर 430 दिन में होता था | लेकिन रेडियो टेलिस्कोप की जांच से पता चला कि चैंडलर वॉबल खत्म हो चुका है | एक आखिरी संभावना ये बनती है कि धरती के अंदर या बाहर कुछ बेहद खास बदलाव न हुआ हो, जो समझ में नहीं आ रहा है | लंबे समय के टाइडल इफेक्ट की वजह से भी पृथ्वी में यह परिवर्तन हो सकता है |
क्या हमे नेगेटिव लीप सेकंड की जरूरत है ?
धरती के घूमने की दर (Earth’s rotation rate) की वजह से कई तरह के आधुनिक एप्लीकेशन काम करते हैं. जैसे- जीपीएस, नेविगेशन सिस्टम | यदि धरती का घूमना बदलता है तो इनकी प्रणाली में दिक्कत आना शुरु हो जाएगी | हर कुछ साल पर समय की जानकारी रखने वालों को लीप सेकेंड जोड़ना पड़ेगा ताकि वो धरती की गति के साथ सामंजस्य बिठा सकें | इस तरह अगर धरती और लंबे दिनों की ओर बढ़ेगी तो हमें निगेटिव लीड सेकेंड जोड़ना पड़ सकता है |

निगेटिव लीप सेकेंड को अपने समय के साथ जोड़ने को वैज्ञानिक सही नहीं मानते हैं | अगर ऐसा करना पड़ेगा तो पूरी दुनिया के जीपीएस, नेविगेशन सिस्टम को अपना समय एडजस्ट करना होगा |