क्या आपने कभी सोचा है ? यदि रॉकेट का आविष्कार नहीं होता तो मानव आज अंतरिक्ष में नहीं जा पाता उसका अंतरिक्ष में जाने का सपना सपना रह जाता ! और ना ही ढेर सारी जो मिसाइल बनाई जा रही हैं वो बन पातीं !
रॉकेट एक ऐसा वायुयान है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र को पार करते हुए अंतरिक्ष तक पहुचता है यही एक राकेट-यान है जिस से अंतरिक्ष में यात्रा की जा सकती है कहा जाता है !
कब हुआ था आविष्कार ?
रॉकेट का इतिहास 13वी सदी से शुरु होता है सबसे पहले रॉकेट का अविष्कार चीन में रॉकेट का आविष्कर हुआ था और शुरु में राकेट का इस्तेमाल हथियार के रूप में किया जाता था | सबसे पहले राकेट का इस्तेमाल सन 1232 में किया गया था, चीनी और मंगोलों एक दूसरे के साथ युद्ध में किया था
मंगोल लड़ाकों के द्वारा रॉकेट टेक्नोलोजी यूरोप पहुँची थी और फिर अलग अलग शासकों से यूरोप और एशिया के अन्य भागों मे प्रचलित हुई
ये भी कहा जाता है सन् 1792 में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के साथ युद्ध के समय उनके विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया गया था
कैसे उड़ता है रॉकेट
रॉकेट के उड़ने का सिद्धान्त न्यूटन के गति के तीसरे नियम क्रिया तथा बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया पर आधारित है रॉकेट के अंदर तरल आक्सीजन को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है इसमें ईंधन को जलाया जातां है तो जिससे उच्च दाब पर गैस उत्पन्न होती है
अंग्रेजो ने यह चीज कभी नही देखी थी पहले और वे घबरा गये और जब वे आखिर में युद्ध हार गये और बाद में अंग्रेज सेना ने रॉकेट के बारे में जाना और उसका महत्त्व को समझा और इसकी टेक्नोलोजी को विकसित कर विश्वभर में इसका इस्तेमाल अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए किया।
तरल ईंधन वाला रॉकेट
सन् 1926 में, रॉबर्ट गोडार्ड दुनिया का पहला तरल ईंधन रॉकेट शुरू की थी और 16 मार्च, 1926 को ऑबर्न, मैसाचुसेट्स, पर दुनिया का पहला तरल ईंधन रॉकेट प्रक्षेपण था जो 60 मील प्रति घंटा, दूर लैंडिंग 41 फुट और 184 फुट की ऊंचाई तक पहुंच गया।