Type of Petroleum and Gas
पेट्रोलियम (Petroleum)
पेट्रोलियम एक प्राकृतिक ईंधन है। यह भू-पर्पटी (Earth’s Crust) के बहुत नीचे अवसादी परतों के बीच पाया जाने वाला संतृप्त हाइड्रोकार्बनों का काले भूर रंग का गाढ़ा तैलीय द्रव है।
आधुनिक समय में इसकी अत्यधिक महत्ता के कारण ही इसे काला सोना (Black gold), द्रव सोना (Liquid gold), आदि की संज्ञा दी गई। पेट्रोलियम से इसके विभिन्न अवयवों को प्रभाजी आसवन विधि (Fractional distillation method) द्वारा अलग-अलग किया जाता है।
डीजल (Deisel)
सिटी डीजल (City Diesel)
सिटी डीजल को अल्ट्रा लो सल्फर डीजल (USLD-Ultra Low Sulphur Diesel) के नाम से भी जाना जाता है जो कि डीजल का एक अत्यधिक स्वच्छ रूप है। इसके दहन से वायुमंडल में कम प्रदूषण फैलता है क्योंकि इसमें सल्फर की मात्रा काफी कम रहती है।
हरित डीजल (Green Diesel)
हरित डीजल या ग्रीन डीजल एक उच्च कोटि का डीजल है जिसे यूरो-4 (Euro-4) मानक की मान्यता प्राप्त है। डीजल की सभी श्रेणियों में यह सबसे अच्छा माना जाता है और वायुमंडलीय प्रदूषण भी अन्य की अपेक्षा काफी कम करता है।
गैस (Gas)
द्रवित पेट्रोलियम गैस (L.P.G.)
यह प्रोपेन, ब्यूटेन तथा आइसो ब्यूटेन, आदि हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है एवं घरों में रसोई गैस के रूप में प्रयुक्त होता है। यह प्राकृतिक गैस तथा पेट्रोलियम के प्रभाजी आसवन से प्राप्त होता है। एल.पी.जी. के रिसाव की पहचान के लिए उसमें कुछ दुर्गन्धयुक्त पदार्थ, जैसे—मरकेप्टन, आदि मिला दिया जाता है।
संपीडित प्राकृतिक गैस (C.N.G.)
सी.एन.जी. (Compressed Natural Gas) अर्थात् संपीडित प्राकृतिक गैस धरती के भीतर पाये जाने वाले हाइड्रोकार्बनों का मिश्रण है जिसमें 80% से 90% मात्रा मिथेन गैस की होती है। यह गैस पेट्रोल तथा डीजल की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड 70%, नाइट्रोजन ऑक्साइड 87% और जैविक गैसों का लगभग 89% कम उत्सर्जन करती है।
गैसोहोल (Gasohol)
पेट्रोल तथा ऐल्कोहॉल के मिश्रण को ‘गैसोहोल’ कहा जाता है। यह गन्ने के रस से प्राप्त ऐल्कोहॉल को पेट्रोल में मिलाकर प्राप्त किया जाता है। इसमें पेट्रोल और ऐल्कोहॉल की मात्रा क्रमश: 10% और 90% होती है। इसकी खोज ब्राजील में की गई है।
अपस्फोटन एवं ऑक्टेन संख्या (Knocking and Octane Number)
कुछ ईंधन ऐसे होते हैं जिनका वायु मिश्रण इंजनों के सिलिण्डर में ज्वलन समय के पहले हो जाता है जिससे ऊष्मा पूर्णतया कार्य में परिवर्तित न होकर धात्विक ध्वनि (Matallic sound) उत्पन्न करने में नष्ट हो जाती है। यही धात्विक ध्वनि अपस्फोटन कहलाती है। ऐसे ईंधन जिनका अपस्फोटन अधिक होता है, उपयोग के लिए अच्छा नहीं माना जाता है।
अपस्फोटन कम करने के लिए ऐसे ईंधनों में कुछ ऐसे यौगिक मिश्रित कर दिये जाते हैं जिससे इनका अपस्फोटन कम हो जाता है। ऐसे यौगिकों को ही ‘अपस्फोटरोधी यौगिक’ (Anti knocking compound) कहते हैं। किसी ईंधन के अपस्फोटन को ऑक्टेन संख्या (Octane number) के द्वारा व्यक्त किया जाता है। जिस किसी ईंधन का ऑक्टेन संख्या जितनी अधिक होती है, उसका अपस्फोटन उतना ही कम होता है तथा वह उतना ही अच्छा ईंधन माना जाता है।
ईंधन की ऑक्टेन संख्या को बढ़ाने लिए उसमें अपस्फोटनरोधी यौगिक मिलाये जाते हैं। ट्रेटाइथाइल लेड या TEL सबसे अच्छा अपस्फोटनरोधी यौगिक है। BTX (Benzene Toluene xylene) भी एक अच्छा अपस्फोटनरोधी यौगिक है।
कुछ अन्य महत्वपुर्ण गैस के प्रकार
आंसु गैस (Tear Gas): आंसु गैस का प्रयोग कभी-कभी अनियंत्रित भीड़ को तीतर-बीतर करने के लिए किया जाता है। इस गैस के मानव नेत्र के सम्पर्क में आने से आंखों में जलन पैदा होती है एवं आंसु टपकने लगते हैं। एल्फा क्लोरो एसीटोफिनॉन, एक्रोलिन, आदि कुछ प्रमुख आंसु गैस है। इसे ग्रीनस में भरकर प्रयोग किया जाता है।
मस्टर्ड गैस (Mustard Gas): यह एक विषैली गैस है, जिसका प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध के समय रासायनिक हथियार के रूप में किया गया था। जब एथिलीन की अभिक्रिया सल्फर मोनोक्लोराइड के साथ करायी जाती है, तो मस्टर्ड गैस प्राप्त होती है। इसमें सरसों तेल (Mustard oil) की तरह झांस (Smell) होती है जिस कारण इसका यह नाम पड़ा। इसकी वाष्प त्वचा पर फफोला पैदा करती है तथा फेफड़ों को अत्यधिक प्रभावित करती है। इसकी वाष्प रबड़ को भी पार कर जाती है।
ल्यूइसाइट (Lewisite): मस्टर्ड गैस की तरह यह भी एक अत्यंत ही जहरीली गैस है जिसका उपयोग द्वितीय विश्व युद्ध में रासायनिक हथियार (Chemical weapons) के रूप में किया गया था।
क्लोरोपिक्रिन (Chloropicrin): यह एक विषैली गैस है जिसका प्रयोग युद्ध काल में किया जाता है।
मिथाइल आइसोसायनेट (Methyl Isocynate): यह एक विषैली गैस है। भोपाल में कीटनाशक दवा बनाने वाली कम्पनी यूनियन कार्बाइड कारखाने से इसी गैस का रिसाव दुर्घटनावश हुआ था जिससे काफी संख्या में लोग प्रभावित हुए थे।
मार्श गैसः मिथेन को मार्श गैस के नाम से जाना जाता है। यह तालाबों के रूके हुए जल और दलदली स्थानों पर बुलबुलों के रूप में निकलता है। दलदली स्थानों पर नीचे दबी हुई वनस्पति और जैव पदार्थों के जीवाणु विच्छेदन से इसकी उत्पत्ति होती है।
क्लैथरेट (Clathret): यह समुद्र की तलहटी में भारी मात्रा में जमा ईंधन है जो मूल रूप से पानी के अणुओं में फंसी मिथेन गैस है। इसका उपयोग रेफ्रिजरेटरों में प्रशीतक, वातानुकूलित संयंत्रों, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग, ऑप्टिकल उद्योग तथा फार्मेसी उद्योग में व्यापक रूप से होता है।
गोबर गैस (Gobar Gas): गीले गोबर के सड़ने से ज्वलनशील मिथेन गैस बनती है जो वायु की उपस्थिति में सुगमता से जलती है।