Silver and Its Properties
चाँदी की प्राप्ति (Occurrence)
चाँदी प्रकृति में मुक्त एवं संयुक्त दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है। चाँदी धातु का निष्कर्षण मुख्यतः अर्जेण्टाइट अयस्क से किया जाता है।
यह बहुत ही आघातवयं और तन्य होता है। इसके इसी गुण के कारण इसका उपयोग आभूषण निर्माण में होता है। यह ऊष्मा एवं विद्युत का सुचालक होता है। धातुओं में चाँदी सबसे अच्छा सुचालक होता है।
चाँदी के उपयोग
(1) आभूषण व सिक्का बनाने में,
(2) विद्युत लेपन तथा दर्पण की कलई करने में
(3) मिश्रधातु बनाने में,
(4) चाँदी के वर्क (पतली पन्नी) का प्रयोग औषधि निर्माण में, तथा
(5) दांतों के छिद्रों को भरने में।
चाँदी के यौगिक
1. सिल्वर क्लोराइड (Silver Chloride): इसे हार्न सिल्वर (Horn silver) कहा जाता है इसका उपयोग फोटोक्रोमेटिक कांच (Photochromatic glass) बनाने में होता है।
2. सिल्वर ब्रोमाइड (Silver Bromide): इसका उपयोग फोटोग्राफी में होता है।
3. सिल्वर आयोडाइड (Silver lodide): इसका उपयोग कृत्रिम वर्षा कराने में होता है।
4. सिल्वर नाइट्रेट (Silver Nitrate): यह सिल्वर का सबसे प्रमुख यौगिक है। इसे ‘लूनर कॉस्टिक‘ भी कहते हैं। यह सिल्वर पर गर्म एवं तनु नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है। प्रयोगशाला में यह अभिकर्मक के रूप में प्रयुक्त होता है।
खिजाब बनाने तथा चाँदी चढ़ाने में भी इसका उपयोग होता है। इसका उपयोग धोबियों के चिन्ह बनाने वाली स्याही में किया जाता है। इसका प्रयोग निशान लगाने वाली स्याही बनाने में किया जाता है।
मतदान के समय मतदाताओं की अंगुली पर इसी का निशान लगाया जाता है। इसे रंगीन बोतलों में रखा जाता है क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश में अपघिटत हो जाता है।
चाँदी के चम्मच से अंडा खाना वर्जित रहता है क्योंकि चाँदी अंडे में उपस्थित गंधक से प्रतिक्रिया कर काले रंग का सिल्वर सल्फाइड बनाती है और चम्मच नष्ट हो जाता है।