Plutonium metal and its properties
प्लूटोनियम एक दुर्लभ ट्रांसयूरेनिक रेडियोधर्मी तत्त्व है।
इसका रासायनिक प्रतीक Pu और परमाणु भार 94 होता है। प्लूटोनियम के छः अपरूप होते हैं।
यह एक ऐक्टिनाइड तत्त्व है जो दिखने में रुपहले श्वेत (सिल्वर व्हाइट) रंग का होता है।
प्लूटोनियम-238 का अर्धायु काल 87.74 वर्ष होता है।
प्लूटोनियम-239, प्लूटोनियम का एक महत्वपूर्ण समस्थानिक है जिसकी अर्धायु काल 24,100 वर्ष होता है।
प्लूटोनियम-244, प्लूटोनियम का सर्वाधिक स्थाई समस्थानिक होता है। इसका अर्धायु काल 8 करोड़ वर्ष होता है।
यह एक भारी रेडियो सक्रिय तत्व (धातु) है।
प्लूटोनियम की खोज वैज्ञानिक एनरिको फर्मी और उनके दल के सदस्यों ने 1934 में की थी।
प्लूटोनियम का आविष्कार परमाणु बम तैयार करने के समय 1940 ई. में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में हुआ था। प्लूटो नामक ग्रह के नाम पर इसका नाम प्लूटोनियम (Plutonium) पड़ा।
प्लूटोनियम के शुद्ध रासायनिक यौगिक की प्राप्ति 1942 ई. में हुई थी।
यह पहला धात्विक तत्व है जो केवी संश्लेषण से पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हुआ था।
आज भी इसकी प्राप्ति नाभिकीय रिऐक्टर में ही होती है।
प्लूटोनियम बड़ी अल्प मात्रा में यूरेनियम अयस्कों, पिचब्लेंड और मोनेज़ाइट, में पाया जाता है।
जापान के हिरोशिमा तथा नागासाकी शहरों पर गिराए गये परमाणु बमों में प्लूटोनियम का ही उपयोग किया गया था।
नाभिकीय रिएक्टर में यह ईंधन का कार्य करता है। ऐसे रिऐक्टर यूरेनियम-238 के साथ मिलकर ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और साथ साथ न्यूट्रॉन के अवशोषण से प्लूटोनियम-239 भी बनता है।
प्लूटोनियम 238 के विखंडन से जो ऊर्जा प्राप्त होती है वह ऊर्जा पूर्ण विखंडन में प्रति पाउंड 10,000,000 किलोवाट घंटा ऊष्मा ऊर्जा के बराबर होती है।
इस ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में, या विद्युत् के रूप में, परिणत कर सकते हैं। इससे समस्त ऊर्जा के 20 से 30 प्रतिशत तक की उपलब्धि हो सकती है। ऊर्जा की उपलब्धि वस्तुत: यंत्र की दक्षता पर निर्भर करती है।