Platinum and its properties
प्लेटिनम एक संक्रमण धातु (Transition metal) है। सर्वप्रथम सन 1741 में चार्ल्स वुड यूरोप में प्लेटिनम लाये। इसके गुणों का विस्तृत अध्ययन ब्राउनरिज द्वारा किया गया तथा उन्होंने 1750 में इस धातु के बारे में पूर्ण विवरण प्रकाशित करवाया।
सन 1819 में यूराल पहाडियों (रूस) में जमे हुए प्लेटिनम धातु की उपस्थिति ज्ञात हुई जिसने इस समूह की अन्य धातुओं के अध्ययन का रास्ता भी खोल लिया। 1876 में इस चमकीले रंग की धातु को एक कीमती धातु के रूप में मान्यता मिली।
प्लेटिनम अधिकांशत: मुक्त अवस्था में पाया जाता है , यद्यपि इसका एक खनिज स्पेरीलाइट PtAs2 होता है जिसमें यह आर्सेनिक के साथ संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। प्रकृति में प्लेटिनम मुक्त अवस्था में तो होता है , लेकिन कभी भी शुद्ध अवस्था में नहीं होता।
प्लेटिनम को सफेद सोना (White gold) कहा जाता है। इसे ‘एडम उत्प्रेरक’ (Adam’s catalyst) भी कहते हैं। यह अपने निक्षेप के अलावा निकेल तथा ताम्र अयस्कों में मिला रहता है।
मुख्य रूप से यह रूस , कोलम्बिया और दक्षिणी अफ्रीका में पायी जाती है। क्यूप्रोनिकल अयस्कों में भी सूक्ष्म मात्रा में प्लेटिनम पाया जाता है जो इन धातुओं के निष्कर्षण के दौरान एक महत्वपूर्ण उपवाद के रूप में पाया जाता है। चूँकि निकल और कॉपर काफी मात्रा वाली धातुएँ है अत: इनके साथ प्लेटिनम की भी काफी मात्रा उत्पाद के रूप में प्राप्त हो जाती है।
यह न तो वायु द्वारा ऑक्सीकृत होता है और न ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में घुलता है।
लैड के साथ इसकी मिश्रधातु सान्द्र HNO3 में घुल जाती है तथा प्लेटिनम नाइट्रेट बनता है। गलित धातु में ऑक्सीजन घुल जाती है एवं ठण्डा होने पर वह अचानक बाहर निकल जाती है , इसे उद्वमन कहते है।
प्लेटिनम का उपयोग
प्लेटिनम एक भारी , मुलायम , तन्य , आघातवर्धनीय , चाँदी जैसी सफ़ेद चमक वाली धातु होती है , सोने और चाँदी के बाद यह सर्वाधिक आघातवर्धनीय धातु है अत: गहने बनाने में भी इसे प्रयुक्त किया जाता है। प्रसार गुणांक के लगभग समान मान होने के कारण यह कांच के साथ आसानी से मिश्रित हो जाता है।
प्लेटिनम का उपयोग आभूषणों, प्रयोगशाला उपकरणों, इलेक्ट्रोडों, विद्युत सम्पार्को, मिश्रधातुओं एवं हाइड्रोजनीकरण तथा ओसवाल्ड विधि में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है।
फाउण्टेनपेन के निब की टिप (Tip)बनाने में भी प्लेटिनम का उपयोग होता है।
कई कार्बनिक और अकार्बनिक संश्लेष्ण में प्लेटिनम के विभिन्न रूपों का उपयोग किया जाता है।
यह धातु अवाष्पशील है , वायुमंडलीय ऑक्सीजन के प्रति उदासीन है तथा इसे कांच में आसानी से शील किया जा सकता है। इन गुणों के कारण इसका उपयोग इलेक्ट्रोड , विद्युत के सेल आदि बनाने में किया जाता है।
लेड के साथ प्लेटिनम के मिश्रधातु का उपयोग दांतों / दाढो के छिद्रों को भरने में किया जाता है। टेढ़े अथवा नकली दांतों को पकड़कर स्थिति में बनाये रखने के लिए प्रयुक्त पिनों और दन्त पट्टियों को बनाने में भी प्लेटिनम का उपयोग किया जाता है।
गुणात्मक विश्लेषण के किये जाने वाले शुष्क परिक्षण जैसे ज्वाला परिक्षण और बोरेक्स मनका परिक्षण करने के लिए प्लेटिनम के तार का उपयोग किया जाता है।