What is Capillarity ?
एक ऐसी नली, जिसकी त्रिज्या बहुत कम तथा एकसमान होती है, केशनली (Capillary tube) कहलाती है।
जब दोनों सिरों पर खुली एक केशनली को पानी में डुबोया जाता है, तो पानी केशनली में कुछ ऊंचाई तक चढ़ जाता है। इसके विपरीत जब केशनली को पारे में डुबोया जाता है, तो कुछ पारा नली में नीचे दब जाता है केशनली में द्रव के ऊपर चढ़ने या नीचे उतरने की घटना को ‘केशिकत्व’ कहते हैं।
किसी सीमा तक द्रव केशनली में चढ़ता या उतरता है, यह केशनली की त्रिज्या पर निर्भर करता है। सामान्यतः जो द्रव कांच को भिगोता है वह केशनली में ऊपर चढ़ जाता है और जो द्रव कांच को नहीं भिगोता वह नीचे उतर जाता है।
उदाहरण के लिए, पानी कांच की नली को भिगोता है, अतः केशनली में पानी ऊपर चढ़ जाता है। पारा कांच की नली को नहीं भिगोता है, अत: इसका तल केशनली में नीचे उतर जाता है।
केशिकत्व से सम्बन्धित महत्त्वपूर्ण उदाहरण
ब्लाटिंग पेपर (स्याही सोखता) स्याही को शीघ्र सोख लेता है, क्योंकि उसमें बने छोटे-छोटे छिद्र केशनलियों की तरह कार्य करते हैं।
लालटेन या लैम्प की बत्ती में केशिकत्व के कारण ही तेल ऊपर चढ़ता है।
मिट्टी के ढेले को जल में रखने पर वह ऊपर तक गीला हो जाता है क्योंकि उसमें असंख्य सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जो केशनलियों का काम करते हैं।
पेड़-पौधों की शाखाओं, तनों एवं पत्तियों तक जल और आवश्यकता लवण केशिकत्व की क्रिया द्वारा ही पहुंचते हैं।
कृत्रिम उपग्रह के अन्दर (अर्थात् भारहीनता की अवस्था में) यदि किसी केशनली को जल में खड़ा किया जाए तो नली में चढ़ने वाले जल स्तम्भ का प्रभावी भार शून्य होने के कारण जल नली में दूसरे सिरे तक पहुंच जाएगा चाहे केशनली कितनी ही लम्बी क्यों न हो।
वर्षा के बाद किसान अपने खेतों की जुताई कर देते हैं ताकि मिट्टी में बनी केशनलियां टूट जाएं और पानी ऊपर न आ सके व मिट्टी में नमी बनी रहे।
फाउन्टेन पेन के निब की नोक बीच में चिरी होती है. जिससे इसको स्याही में इबोने पर वह उसमें चढ जाती है।