What is Ozone ?
वायुमंडलीय ऑक्सीजन पर अल्ट्रा वायलेट किरणों के प्रभाव से ओजोन (Ozone) उत्पन्न होती है। यह ऑक्सीजन का एक अपरूप (Allotrop) है।
ओजोन एक गैस है जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी है। ओजोन पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल और जमीनी स्तर पर दोनों में होती है। इसमें सड़ी मछली की तरह गंध होती है। ओजोन गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (Ultra violet rays) को पृथ्वी की सतह पर आने से रोकती है।
समुद्रतल से 25 किमी. की ऊंचाई पर ओजोन की सान्द्रता अधिकतम होती है। ओजोन गैस चाँदी के चमक को काला कर देती है। ओजोन गैस ऑक्सीकारक एवं अवकारक दोनों प्रकार के गुण प्रदर्शित करता है।
ऊपरी वायुमंडल में ओजोन का अच्छे रूप में होती है, जिसे स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन कहा जाता है। यहाँ पर यह एक सुरक्षात्मक परत बनाती है जो हमें सूरज की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है। इसी ओजोन को मनुष्य के द्वारा बहुत ज्यादा मात्रा में रसायनों के उपयोग की वजह से आंशिक रूप से नष्ट किया जा रहा है, जिसे कभी-कभी “ओजोन में छेद” (Depletion of Ozone Layer) होना भी कहा जाता है।
ओजोन एक हानिकारक वायु प्रदूषक है, क्योंकि इसका पर्यावरण के साथ साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है और इसकी “स्मॉग” या “धुंध” में अहम भूमिका होती है।
ओजोन के उपयोग (Use of Ozone )
1. कीटाणुनाशक के रूप में।
2. जल को साफ तथा शुद्ध करने में।
3. हवा को शुद्ध करने में।
4. खाद्य पदार्थों को सड़ने से बचाने में।
5. कृत्रिम रेशम बनाने में।
क्लोरोफ्लोरोकार्बन (Chlorofluorocarbons) क्या है ?
CFCs और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (Hydrochlorofluorocarbons (HCFCs) पूरी तरह या आंशिक रूप से हैलोजेनेटेड पैराफिन हाइड्रोकार्बन (Halogenated Paraffin Hydrocarbons) हैं जिनमें केवल कार्बन (C), हाइड्रोजन (H), क्लोरीन (Cl), और फ्लोरीन (F) होते हैं, जो वाष्पशील व्युत्पन्न के रूप में मीथेन, ईथेन और प्रोपेन उत्पादित करते हैं। प्रोपेन को फ़्रीऑन से भी जाना जाता है।
हाल के वर्षों में वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों के गर्म होने के प्रभाव में काफी वृद्धि हुई है। जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है । Co2 सबसे अधिक उत्पादित सीएफ़सी (सीएफसी11 और सीएफ़सी12) के अपेक्षा कम मात्रा में वायुमंडल में है लेकिन इसका प्रभाव भविष्य में कई और दशकों तक जारी रहेगा।
सी.एफ.सी. (CFC) के एक अणु में ओजोन के एक लाख अणुओं को नष्ट करने की क्षमता होती है। ओजोन परत को क्षति पहुंचाने वाली गैस—CFC-11, CFC-12, CFC-22, क्लोरीन, ब्रोमीन, फ्लोरीन, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, CO2 आदि है।
ओज़ोन परत का ह्रास (Depletion of Ozone Layer)
ओजोन एक गैस है जो ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनी है। ओजोन पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल और जमीनी स्तर पर दोनों में होती है।
समताप मण्डल मे ओज़ोन (Ozone) की मात्रा मे कमी होना ही ओज़ोन परत का ह्रास कहलाता है। ओजोन की मात्रा के कमी तब होती है जब क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैसे समताप मण्डल मे प्रवेश कर जाती है। सूर्य से निकलने वाले पराबैगनी (अल्ट्रा वायलेट) किरणें ओज़ोन परत को खंडित करती है इसी खंडन के कारण क्लोरिन का उत्सर्जन होता है। क्लोरिन ओज़ोन से क्रिया करके उस क्षेत्र मे ओज़ोन की परत को नष्ट करना शुरू कर देता है।
ओजोन परत का ह्रास दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन या ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ा हुआ है क्योंकि ओजोन के कमजोर पड़ने के पीछे ग्रीनहाउस गैस प्रमुख कारण है।
ओजोन भी एक ग्रीनहाउस गैस है, इसिलिय स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन की कमी से सतह ठंडी हो जाती है। इसके विपरीत, ट्रोपोस्फेरिक ओजोन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि से सतह गर्म होती है।