What is Glass and its properties ?
ग्लास (कांच) विभिन्न क्षारीय धातुओं के सिलिकेटों का एक अक्रिस्टलीय पारदर्शक या अल्प पारदर्शक समांगी मिश्रण होता है।
जब चूर्ण पिघलकर द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाता है, तो उसे द्रव कांच (Liquid glass) कहते हैं। इस द्रव कांच को बर्तन बनाने वाले विभिन्न सांचों में डालकर धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है। अतः अक्रिस्टलीय ठोस रूप में कांच एक अतिशीतित द्रव है। .
ग्लास अक्सर पिघले हुए रूप के तेजी से ठंडा होने पर बनता है; कुछ ग्लास जैसे ज्वालामुखीय ग्लास प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं। सबसे परिचित, और प्राकृतिक रूप से सबसे पुराने निर्मित ग्लास रासायनिक यौगिक सिलिका (सिलिकॉन डाइऑक्साइड, या क्वार्ट्ज) पर आधारित “सिलिकेट ग्लास” हैं, जो रेत का प्राथमिक घटक है।
सोडा-लाइम ग्लास, जिसमें लगभग 70% सिलिका होता है, वह निर्मित ग्लास का लगभग 90% हिस्सा होता है। ग्लास शब्द, लोकप्रिय उपयोग में, अक्सर केवल इस प्रकार की सामग्री को संदर्भित करने के लिए उपयोग किया जाता है, कुछ वस्तुएं, जैसे आँखों के चश्मा आमतौर पर सिलिकेट-आधारित ग्लास से बने होते हैं कि उन्हें उस सामान के नाम से ही जाना जाता है।
प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले ओब्सीडियन ग्लास (obsidian glass ) का उपयोग पाषाण युग में किया जाता था क्योंकि ग्लास की तेज धार की वजह से इसको cutting tools और धारदार हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जाता था ग्लास शब्द रोमन साम्राज्य के दौरान किया गया था l सर्वप्रथम कांच का निर्माण प्राचीन काल में मिस्र (Egypt) में हुआ था।
21 वीं सदी में, ग्लास निर्माताओं ने स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर और कई अन्य प्रकार के सूचना उपकरणों के लिए टचस्क्रीन के लिए रासायनिक रूप से मजबूत ग्लास के विभिन्न ब्रांड विकसित किए हैं। इनमें अमेरिकी कंपनी कॉर्निंग (Corning Incorporated) द्वारा विकसित और निर्मित गोरिल्ला ग्लास (Gorilla Glass), जापानीज कंपनी एजीसी इंक. (AGC Inc. ) के द्वारा निर्मित ड्रैगनट्रेल और शॉट एजी (Schott AG) के ज़ेनेशन (Xensation) शामिल हैं।
कांच के प्रकार (Types of glass)
जल कांच (Water Glass)
सोडियम कार्बोनेट व सिलिका को गर्म करने पर सोडियम सिलिकेट प्राप्त होता है जो जल में विलेय होता है। इसे ‘जल कांच’ कहते हैं।
फोटोक्रोमेटिक कांच (Photochromatic Glass)
यह एक विशेष प्रकार का कांच होता है जो तीव्र प्रकाश में काला हो जाता है, अतः इसका उपयोग धूप परिरक्षक के रूप में किया जाता है। सिल्वर क्लोराइड की उपस्थिति के कारण ही इस प्रकार के कांच धूप में स्वतः काला हो जाने का गुणधर्म प्राप्त करन हैं।
पोयरेक्स कांच (Pyrex Glass)
इसे बोरोसिलिकेट कांच (Borsoilicate glass) भी कहते हैं। पायरेश्य काच की रासायनिक चिरस्थायित्व तथा तापीय प्रघात प्रतिरोधक क्षमता अधिक होता है।
लेड क्रिस्टल कांच (Lead Crystal Glass)
लेड क्रिस्टल कांच निर्मित वस्तुओं की सतहों का अलंकारिक ढंग से काटने पर इन सतहों से प्रकाश का परावर्तन प्रचुर मात्रा में होता है। फलस्वरूप ढग्य प्रकार के क्रिस्टल कांच अद्भुत झिलमिलाहट पैदा करते हैं।
सोडा कांच (Soda Glass)
सोडा कांच भंगुर होता है, जिस कारण यह सुगमतापूर्वक टूट जाता है, साथ ही साथ ताप में अचानक परिवर्तनों के फलस्वरूप इनमें दरारें भी पड़ जाती है। यह सबसे सस्ता व सर्वनिष्ठ कांच होता है। सोडा कांच को ‘मृदु कांच’ या Soft Glass भी कहते हैं।
जेना कांच (Xena Glass)
यह सर्वोत्तम श्रेणी का कांच होता है। रासायनिक पात्रों को बनाने व अन्य वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह जिंक तथा बेरियम बोरो सिलिकेट का मिश्रण होता है।
फिलण्ट कांच (Flint Glass)
यह मुख्य रूप से सोडियम, पोटैशियम एवं लेड सिलिकेटों का मिश्रण होता है। इसका उपयोग उत्तम कलात्मक वस्तुओं एवं कांच के महंगे उपकरणों के निर्माण में होता है। इससे बिजली के बल्ब, दूरबीन, सूक्ष्मदर्शी, कैमरों, आदि के लेंस एवं प्रिज्म बनाये जाते हैं।
क्राउन कांच (Crown Glass)
यह सामान्यतः सोडा-चूना सिलिका कांच है। इसके उपयोग से चश्मों के लेंस बनाए जाते हैं।
क्रुक्स कांच (Crooks Glass)
इस कांच में सिरियम ऑक्साइड मिला रहता है जो हानिकारक पराबैंगनी किरणों को शोषित कर लेता है। इस कारण इससे चश्मों के लेंस बनाए जाते हैं।
क्वार्ट्स कांच (Quartz Glass)
इसे सिलिका कांच भी कहते हैं। इसे सिलिका को पिघलाकर प्राप्त किया जाता है। इसमें से पराबैंगनी किरणें निकल जाती हैं। अतएव यह पराबैंगनी लैम्पों के बल्ब बनाने एवं रासायनिक अभिकर्मकों को रखने के लिए पात्र बनाने के काम आता है। इसका उपयोग प्रयोगशाला उपकरणों के बनाने में भी होता है।
कांच में रंग देने वाले पदार्थ
संगलित कांचों में धात्विक ऑक्साइडों जैसे कुछ योगशील पदार्थों (Additives) को मिश्रित करके रंगीन कांच प्राप्त किया जाता है। उदाहरणार्थ, फेरिक ऑक्साइड मिश्रित करने के फलस्वरूप भूरे रंग का कांच प्राप्त होता है। इसी प्रकार क्रोमिक ऑक्साइड, मैंगनीज डाइऑक्साइड एवं कोबाल्ट ऑक्साइड को अलग-अलग संगलित कांचों में मिश्रित करने के फलस्वरूप क्रमशः हरे, लाल एवं नीले रंगों के कांच प्राप्त होते हैं। कांच में रंग देने के लिए उसमें अल्प मात्रा में धातुओं के यौगिक मिलाए जाते हैं।
महत्वपुर्ण तथ्य
कांच में क्यूलेट (Cullet) मिला देने से गलने में सुविधा होती है।
कांच को कठोर बनाने के लिए पोटैशियम क्लोराइड का उपयोग करते हैं।
कांच की न तो किसी प्रकार की क्रिस्टलीय संरचना होती है और न ही उसका कोई निश्चित गलनांक होता है।
कांच का कोई निश्चित रासायनिक संघटन या सूत्र नहीं होता है क्योंकि कांच एक प्रकार का मिश्रण है।
ऑप्टिकल फाइबर का उपयोग दूरसंचार एवं शल्य-क्रियाओं (Endoscopy) में होता है।