गुरुत्व के नए सिद्धांत (New Gravity Theory) के बारे में दावा किया गया है कि इसके जरिए खगोलीय परिघटनाओं की पूरी व्याख्या की जा सकती है और डार्क मैटर (Dark Matter) जैसे किसी अदृश्य पदार्थ के अस्तित्व की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. मिलग्रोमैन गतिकी (Milgromian Dynamics) नाम का यह सिद्धांत गैलेक्सी के घूर्णन की व्याख्या के साथ उसका पूर्वानुमान तक लगा सकता है जिसके लिए अभी तक वैज्ञानिक डार्क मैटर को जिम्मेदार बता रहे थे |
पिछले कुछ दशकों से विज्ञान जगत में डार्क मैटर (Dark Matter) की खूब चर्चा रही है | अभी तक इसके अस्तित्व सिद्ध किए बिना ही कई परिघटनाओं की व्याख्या में इसका उपयोग हुआ है | डार्क मैटर के बारे में बताया जाता है कि यह अदृश्य पदार्थ प्रकाश से तो अप्रभावित होता है, लेकिन गुरुत्व से नहीं | नई समीक्षा में वैज्ञानिकों ने सुझाया है कि विभिन्न पैमानों पर किए गए व्यापक अवलोकन बताते हैं कि गुरुत्व का एक वैकल्पिक सिद्धांत (New Gravity Theory), जिसे मिलग्रोमैन गतिकी (Milgromian dynamics) या मोंड भी कहते है, सभी परिघटनाओं की व्याख्या कर सकता है जिसके लिए डार्क मैटर जैसे अदृश्य की जरूरत ही नहीं होगी |
डार्क मैटर की अवधारणा
न्यूटन के भौतिकी के नियम सौरमडंल के ग्रहों की चाल तो सटीकता से बता पाते हैं, लेकिन 1970 के दशक में वैज्ञानिकों ने पाया कि ऐसा गैलेक्सी की चक्रिका (Galaxy Discs) के साथ नहीं हो रहा है | बाहरी किनारे पर तारों की घूमने की गति न्यूटन के सिद्धांत के द्वारा बताई गई गति से कहीं ज्यादा थी | यहीं से डार्क मैटर की अवधारणा आई जिसे उस अतिरिक्त गुरुत्व खिंचाव के लिए जिम्मेदार माना गया जो तारों को गति प्रदान कर रहा था |
गुरुत्व और डार्क मैटर
गुरुत्व का यह नया सिद्धांत 40 साल पहले इजराइली भौतिकविद मोर्डेहाई मिलग्रोम ने दिया था | बताया जा रहा है कि यह सिद्धांत डार्क मैटर की आवश्यकता को खत्म कर देगा | मोंड सिद्धांत में मूलतः बताया गया है कि जब गुरुत्व बहुत ही कमजोर हो जाती है, जैसा की गैलेक्सी के किनारों पर होता है, तब वह न्यूटन की भौतिकी से अलग बर्ताव करने लगती है | इस तरह से इसकी व्याख्या करना संभव हो सकेगा कि 150 गैलेक्सी के किनारों पर तारे, ग्रह और गैस आदि तेजी से क्यों घूमते हैं |
मानक प्रतिमान से बेहतर?
इससे भी खास बात यह है कि मोंड केवल घूर्णन वक्र की ही व्याख्या नहीं करता है, बल्कि इससे कई मामलों में सही पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है विज्ञान के दार्शनिकों का कहना है कि मोंड की पूर्वानुमान लगाने की यह क्षमता उसे मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान (standard cosmological model) से ऊपर उठा देता है जिसके अनुसार ब्रह्माण्ड में दिखाई देने वाला यानि सामान्य पदार्थ की तुलना में डार्कमैटर ज्यादा है | इस प्रतिमान के अनुसार गैलेक्सी में अनिश्चित लेकिन बहुत ही ज्यादा पदार्थ होता है. जिससे गैलेक्सी के घूर्णन की व्याख्या नहीं हो सकती है |
मोंड के सटीक पूर्वानुमान
गैलेक्सी के किनारे के पिडों की घूमने की गति की व्याख्या के ना होने की जिम्मेदार डार्क मैटर को ही बताया जाता रहा है | लेकिन मोंड के अभी तक के पूर्वानुमानों की पुष्टि तक होती रही है | जहां सामान्य पदार्थ के वितरण के आधार पर गैलेक्सी के किनारों के घूर्णन की गति 100 और 300 किलोमीटर प्रतिघंटा का अनुमान लगा पता है, मोंड इसे 180-190 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति बताता है और बाद में अवलोकन करने में पता चलता है कि वास्तविक घूर्णन की गति 188 किलोमीटर प्रतिघंटा है, तो साफ है कि ऐसे में मोंड सिद्धांत को ही प्राथमिकता दी जाएगी |
मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान की कमजोरी
मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान की सबसे बड़ी नाकामी गैलेक्सी बार से संबंधित है जो तारों का बनाया छड़ के आकार के इलाके होते हैं | ये इलाके सर्पिल गैलेक्सी के केंद्रीय इलाके में पाए जाते हैं | यह छड़ समय के साथ घूर्णन करती है. यदि गैलेक्सी में विशालकाय भार डार्क मैटर मौजूद है तो उनके बार या छड़ों की गति धीमी हो जानी चाहिए, लेकिन बहुत सी गैलेक्सी के अवलोकनों में पाया गया है कि ये छड़े बहुत तेज हैं | इससे मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान पर विश्वास काफी कम हो जाता है | डार्क मैटर (Dark Matter) की गैलेक्सी में उपस्थिति कई परिघटनाओं की सही व्याख्या नहीं कर पाती है |
डार्क मैटर का गुरुत्व का प्रभाव
डार्क मैटर का गुरुत्व का प्रभाव तो होता है, लेकिन वे समान्य पदार्थ के गुरुत्व से प्रभावित नहीं होते हैं | इससे गणना में तो आसानी होती है, लेकिन यह वास्तविकताओं से मेल नहीं खाती है | जब इसे बाद में सिम्यूलेशन के लिए उपयोग में लाया गया तो भी विशेषताओं की सही व्याख्या नहीं हुई. इसके अलावा मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान में कई और भी खामियां पाई गई हैं |
लेकिन कनवरसेशन में प्रकाशित लेख में वैज्ञानिकों ने मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान और मोंड के खगोलीय अवलोकनों के परिपेक्ष्य में परीक्षण के लिए ओकाम के रेजर की अवधारणा का उपयोग किया | जिसके मुताबिक मानदंडों से मुक्त एक सिद्धांत ज्यादा आकड़ों से संगत होता है जिससे वह और जटिल हो जाता है | इसकी व्याख्या लिए उन्होंने सैद्धांतिक लचीलेपन की भी अवधारणा दी | बहराल मोंड का सिद्धांत अवलोकनों से मेल खाता हुआ संगत दिखाई देता है लेकिन अभी डार्कमैटर या मानक ब्रह्माण्डकीय प्रतिमान को खारिज करना शायद जल्दबाजी हो |