Mass-Energy and Binding Energy
नाभिकीय ऊर्जा
नाभिकीय ऊर्जा (परमाणु ऊर्जा) एक परमाणु के नाभिक या कोर में उपलब्ध उर्जा है। परमाणु ऊर्जा का उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जाता है। परमाणु ऊर्जा परमाणु विखंडन, परमाणु क्षय और परमाणु संलयन प्रतिक्रियाओं से प्राप्त की जा सकती है।
द्रव्यमान-ऊर्जा समतुल्यता (Mass-Energy Equivalence)
सम्पूर्ण नाभिकीय ऊर्जा का मूल स्रोत है द्रव्यमान का ऊर्जा में परिवर्तन।
महान् वैज्ञानिक आइन्सटीन ने बताया कि प्रत्येक द्रव्यमान (m), ऊर्जा (E) के समतुल्य है: E=mc2 जहां, c निर्वात (Vacuum) में प्रकाश की चाल है जो 3 x 108 मीटर/सेकण्ड होती है। इस प्रकार एक किलोग्राम द्रव्यमान के समतुल्य ऊर्जा 1 x (3 x 108) = 9 x 1016 जूल होती है। यह अति विशाल ऊर्जा है। अत: m किलोग्राम द्रव्यमान के लुप्त होने mc2 जूल ऊर्जा उत्पन्न होती है तथा 5 जूल ऊर्जा के उत्पन्न होने पर E/c2 किलोग्राम द्रव्यमान की क्षति (Loss) होती है।
बन्धन ऊर्जा (Binding Energy)
नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन व न्यूट्रॉन को ‘न्यूक्लिऑन’ (Nucleon) कहते हैं। नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान उसमें उपस्थित न्यूक्लिऑनों के द्रव्यमानों के योग से सदैव कुछ कम होता है। यह द्रव्यमान अन्तर ‘द्रव्यमान क्षति’ (Mass defect) कहलाता है।
जब प्रोटॉन व न्यूट्रॉन मिलकर नाभिक की रचना करते हैं, तो कुछ द्रव्यमान लुप्त हो जाता है। यह लुप्त द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है। अतः न्यूट्रॉन व प्रोटॉन के संयोग से किसी नाभिक के बनने में जो ऊर्जा विमुक्त होती है उसे नाभिक की बन्धन ऊर्जा कहते हैं।