What is Radioactive Disintegration ?
रेडियोसक्रिय तत्वों के नाभिक से रेडियोसक्रिय तत्वों के स्वत: उत्सर्जन की प्रक्रिया को रेडियोसक्रिय विखंडन या रेडियोसक्रिय क्षय (Radioactive decay) कहा जाता है।
चूंकि यह क्रिया स्वाभाविक रूप से स्वत: होती है, अत: इसे प्राकृतिक विखण्डन (Natural disintegration) भी कहते हैं। इस क्रिया में α-, β– और γ– किरणों का उत्सर्जन होता है।
1913 ई. में सॉडी (Soddy), फॉजान्स (Fajans) तथा रदरफोर्ड (Rutherford) ने रेडियोसक्रिय विखंडन से सम्बन्धित सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार,
1. रेडियोसक्रिय तत्वों के परमाणु अस्थायी होते हैं जो स्वत: विखडित होकर नये तत्वों में परिवर्तित होते रहते है l
2. α-कण और β-कण रेडियोसक्रिय तत्व के परमाणु के नाभिक से उत्पन्न होते हैं।
3. रेडियोसक्रिय परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं:
i. α परिवर्तनः α कण के निकलने से होने वाले परिवर्तन को ‘α परिवर्तन’ कहते हैं।
ii. β परिवर्तनः । कण के निकलने से होने वाले परिवर्तन को ‘β परिवर्तन’ कहते हैं।
किसी परमाणु नाभिक में एक कण के निकल जाने से प्राप्त होने वाले परमाणु का द्रव्यमान मूल परमाणु के द्रव्यमान से 4 कम हो जाता है और परमाणु संख्या 2 कम हो जाती है।
किसी परमाणु के नाभिक में से एक α कण तथा दो β कणों के निकल जाने से प्राप्त होने वाले परमाणु की परमाणु संख्या वही रहती है जो मूल परमाणु की है, लेकिन इसका परमाणु द्रव्यमान मूल परमाणु के द्रव्यमान से 4 इकाई कम हो जाता है अर्थात् मूल परमाणु और नए परमाणु दोनों एक दूसरे के समस्थानिक (Isotopes) होते हैं।
अर्द्धआयु काल (Half Life Period)
वह समयांतराल जिसमें किसी रेडियोसक्रिय तत्व में उपस्थित परमाणु की संख्या विखंडित होकर प्रारंभिक संख्या की आधी हो जाती है, उस तत्व की अर्द्धआयु काल कहलाता है।
रेडियोसक्रिय पदार्थ की अर्द्धआयु कुछ सेकण्डों से लेकर लाखों वर्षों तक हो सकती है। उदाहरण के लिए, पोलोनियम के एक समस्थानिक (84Po214) की अर्द्धआयु 10.4 सेकण्ड होती है जबकि यूरेनियम के समस्थानिक की अर्द्धआयु 4.5×109 वर्ष होती है।