What is Nuclear Fusion ?
जब दो या अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर एक भारी नाभिक बनाते है और अत्यधिक उर्जा विमुक्त करते है, तो इस अभिक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते है l
यह अभिक्रिया सूर्य और अन्य तारों में संपन्न होती है और अत्यधिक उर्जा उत्पन्न करती है l सूर्य से प्राप्त प्रकाश और ऊष्मा उर्जा का स्त्रोत नाभिकीय संलयन ही है l
जब अत्यधिक और अति उच्च ताप (जो सूर्य के केंद्रीय भाग में उपलब्ध है ) पर एक ड्यूटेरियम नाभिक ट्रीटियम नाभिक (दोनों हल्के नाभिक) से संयुक्त होता है, तो वे एक हीलियम नाभिक (अपेक्षाकृत भारी नाभिक) बनाते है तथा एक न्यूट्रॉन व अत्यधिक ऊर्जा (17.6 मिलियन इलेक्ट्रॉन वोल्ट) विमुक्त होती है।
सूर्य की असीमित ऊर्जा का कारण नाभिकीय संलयन है। सूर्य में हाइड्रोजन के समस्थानिक ड्यूटेरियम (HP) के परमाणु नाभिकों के संलयन के फलस्वरूप हीलियम नाभिक का निर्माण होता है। इस दौरान प्रचुर ऊर्जा उत्सर्जित होती है।
सबसे सफल संलयन रिएक्टर जिसे ‘टोकामक’ के नाम से जाना जाता है, मूलतः सोवियत वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किया गया था। रशियन भाषा में टोकामक का अर्थ है-शक्तिशाली धारा।
भारत ने अनुसंधान के उद्देश्य से इंस्टीटयूट ऑफ प्लाज्मा रिसर्च, अहमदाबाद में ‘आदित्य’ नामक टोकामक विकसित कर लिया है।
हाइड्रोजन बम
हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन अभिक्रिया पर आधारित है। इस सिद्धान्त के आधार पर हाइड्रोजन के दो नाभिकों को संलयित करके एक अधिक द्रव्यमान का नाभिक तैयार किया जाता है। इस क्रम में काफी मात्रा में ऊर्जा उत्सर्जित होता है जो अन्य नाभिकों को भी संलयित करती है जिससे पुनः ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। परिणामस्वरूप अभिक्रिया की एक श्रृंखला बन जाती है जिससे अपरिमित ऊर्जा निःसृत होती है। यह बम, परमाणु बम की अपेक्षा लगभग 10 हजार गुना अधिक विध्वंसात्मक होता है।
नाभिकीय विखण्डन अभिक्रिया ‘स्व-प्रजननी’ (Self-propagating) होने के कारण बहुत महत्त्वपूर्ण है। ‘नियन्त्रित’ विखण्डन से उत्पन्न ऊर्जा पूर्ण नियन्त्रण में रहती है। यह ऊर्जा मुख्यत: ऊष्मा के रूप में होती है तथा इसका विद्युत और यान्त्रिक ऊर्जा में रूपान्तरण करके अनेक लाभदायक कार्यों में उपयोग किया जा सकता है।
नाभिकीय ऊर्जा के कुछ शान्तिमय उपयोग निम्नलिखित हैं:
1. विद्युत शक्ति का उत्पादन (Electric power generation) करने में;
2. जहाज, वायुयान, पनडुब्बी (Submarine) और रेल चलाने में:
3. रॉकेट उड़ाने में; तथा
4. रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों का उत्पादन करने में। इन समस्थानिकों का उनके स्वतः विघटन के गुण के कारण चिकित्सा, कृषि, रासायनिक विश्लेषण, जीव-रसायन अनुसन्धान, इत्यादि कई क्षेत्रों में उपयोग किया जाता है।