What is Solar Energy ?
सूर्य ऊर्जा का अति विशाल स्रोत है। सूर्य द्वारा उत्सर्जित प्रकाश के वर्णक्रम का अध्ययन करने से पता चलता है, कि सूर्य का लगभग 70% द्रव्यमान हाइड्रोजन से, 28% हीलियम से तथा 2% अन्य भारी तत्वों से बना हुआ है।
गणनाओं से पता चलता है, कि सूर्य के केन्द्रीय भाग जिसे कोर (Core) कहते है उसका ताप 1.5x107k (अर्थात् डेढ़ करोड़ केल्विन) है। इतने उच्च पर कोई भी पदार्थ ठोस या द्रव अवस्था में नहीं रह सकता है, अतः सूर्य में केवल गैसीय पदार्थ है।
सूर्य के केन्द्र में अति उच्च ताप व दाब होने के कारण ही, हाइड्रोजन नाभिक संलयन (Fusion) अभिक्रिया करके हीलियम नाभिक बनाते हैं जिससे अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही सौर ऊर्जा का रहस्य है।
सौर ऊर्जा गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत का एक महत्त्वपूर्ण अवयव है।
जैसे भारत की भौगोलिक स्थिति सौर ऊर्जा के व्यापक उपयोग के काफी अनुकूल है, क्योंकि देश के अधिकांश भागों में वर्ष में 250-300 दिनों तक पर्याप्त धूप निकलती है और देश के कई हिस्सों में सौर ऊर्जा की दैनिक उपलब्धि 5-7 किलोवाट प्रतिघण्टा प्रति वर्गमीटर है।
सूर्य से प्रति सेकण्ड 3.86 x 1026 जूल ऊर्जा निकलती है जो सभी दिशाओं में फैल जाती है। यह ऊर्जा विद्युत-चुम्बकीय तरंगों (Electromagnetic waves) तथा आवेशिक कणों के रूप में निकलती है। इस ऊर्जा का कुछ भाग पृथ्वी पर भी पहुंचता है। पृथ्वी पर ऊर्जा मुख्यतः विद्युत-चुम्बकीय तरंगों के रूप में ही पहुंचती है। सूर्य से प्राप्त होने वाली विद्युत-चुम्बकीय तरंगों को ‘सौर विकिरण‘ कहते हैं। विकिरण के गुण उसके अन्दर उपस्थित तरंगों की तरंग-दैर्ध्य पर निर्भर करते हैं। कुछ तरंगें हमें ऊष्मा का अनुभव कराती हैं, उन्हें ‘अवरक्त विकिरण‘ (Infrared radiation) कहते हैं और कुछ हमें वस्तुओं का दर्शन कराती हैं, उन्हें ‘दृश्य विकिरण (Visible radiation)’ या ‘प्रकाश’ कहते हैं।