What is Rutherford’s Nuclear Theory ?
1911 ई. में लॉर्ड रदरफोर्ड (Lord Rutherford) ने एक अति महत्त्वपूर्ण प्रयोग करके परमाणु की आंतरिक व्यवस्था से सम्बन्धित एक आश्चर्यजनक तथ्य का पता लगाया।
रदरफोर्ड द्वारा किये गए इस प्रयोग को रदरफोर्ड का प्रकीर्णन प्रयोग (Rutherford’s Scattering Experiment) कहा जाता है। टॉम्सन द्वारा प्रस्तुत परमाणु का स्वरूप अस्वीकार करते हुए रदरफोर्ड ने अपने प्रयोग के निरीक्षणों के आधार पर एक सिद्धांत का प्रतिपादन किया जिसे रदरफोर्ड का ‘नाभिकीय सिद्धांत’ कहते हैं।
रदरफोर्ड के ‘नाभिकीय सिद्धांत’ की सिद्धांत की मुख्य बातें
- परमाणु में इलेक्ट्रॉनों से घिरे केन्द्र में प्रोटॉन का एक छोटा-सा किन्तु भारी नाभिक होता है।
- परमाणु के अंदर का अधिकांश भाग खाली होता है।
- परमाणु गोलीय (Spherical) होता है।
- परमाणु के नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में अत्यन्त छोटा होता है।
परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या के लिए रदरफोर्ड ने अनुमान लगाया कि परमाणु सौरमंडल की तरह होता है। परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओर वृत्ताकार पथ में ठीक उसी तरह परिक्रमा करते रहते हैं, जिस तरह सूर्य के चारों ओर विभिन्न नक्षत्र करते हैं। इन वृत्ताकार पथ को कक्षाएं (Orbits) कहा जाता है। ऐसा होने से नाभिक तथा इलेक्ट्रॉन के बीच कार्यरत स्थिर विद्युत आकर्षण बल इलेक्ट्रॉन के वेग से उत्पन्न केन्द्राभिसारी बल (Centrifugal force) के बराबर होता है। इस परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षाओं में गतिशील रहते हुए परमाणु को स्थायित्व प्रदान करते हैं।