What is Potential Energy ?
परिभाषा : जब किसी वस्तु में विशेष अवस्था (State) या स्थिति (Position) के कारण कार्य करने की क्षमता आ जाती है तो हम कहते हैं कि वस्तु में स्थितिज ऊर्जा है।
उदाहरण के लिए, बांध में जल को काफी ऊंचाई पर एकत्रित किया जाता है जिससे उसमें स्थितिज ऊर्जा आ जाती है। जब इस जल को नीचे टरबाइन पर गिराया जाता है, तो यह ऊर्जा टरबाइन के पहिए को घुमा देती है जिससे विद्युत उत्पन्न होती है। इस प्रकार, बांध की ऊंचाई पर स्थित जल की स्थितिज ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है।
स्थितिज ऊर्जा के प्रकार (Type of Potential Energy)
किसी वस्तु में स्थितिज ऊर्जा कई रूपों में निहित हो सकती है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं
गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा (Gravitational Potential Energy)
एक भारी हथौड़े को ऊंचाई से गिराकर किसी वस्तु को तोड़ा जा सकता है। हथौड़ा में कार्य करने की यह क्षमता अर्थात् ऊर्जा उसकी पृथ्वी-तल से ‘ऊंची’ स्थिति के कारण है। हथौड़े को पृथ्वी के गुरुत्वीय आकर्षण बल के विरुद्ध ऊपर उठाने में जो कार्य किया जाता है वह उसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। अत: यह हथौड़े की ‘गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा’ है। हथौड़ा पृथ्वी-तल से जितना अधिक ऊंचा होगा, उसमें गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी।
प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा (Elastic Potential Energy)
घड़ी में चाबी भर दी जाती है, तो घड़ी के भीतर की स्प्रिंग दब जाती है अर्थात् वह विकृत (Strained) होकर एक विशेष अवस्था में आ जाती है। यह दबी हुई स्प्रिंग ही धीरे-धीरे खुलकर घड़ी को चलाती रहती है। इस प्रकार यह अपनी ‘विकृत’ (दबी हुई) अवस्था के कारण कार्य करती है, अर्थात् इसमें विकृत अवस्था के कारण स्थितिज ऊर्जा होती है। स्प्रिंग को दबाने में, उसकी प्रत्यास्थता के कारण, जो कार्य किया जाता है वही स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है। यह स्प्रिंग की प्रत्यास्थ स्थितिज ऊर्जा’ है।
स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा (Electrostatic Potential Energy)
विद्युत आवेश भी एक-दूसरे को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करते हैं। अत: आवेशों के निकाय (System of charges) में भी स्थितिज ऊर्जा होती है जिसे ‘स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा’ कहते हैं। यदि आवेश विपरीत प्रकार के हैं, जैसे—इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन तो उनके बीच आकर्षण बल होता है। तब उन्हें एक-दूसरे से दूर ले जाने में आर्कषण के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है जिससे निकाय की स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है। यदि आवेश समान प्रकार के हैं, जैसे इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन अथवा प्रोटॉन-प्रोटॉन तो वे एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। अब उन्हें एक-दूसरे के समीप लाने में प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है जिससे निकाय की स्थिर-विद्युत स्थितिज ऊर्जा बढ़ती है।
चुम्बकीय स्थितिज ऊर्जा (Magnetic Potential Energy)
चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित किसी गतिमान आवेश अथवा धारावाही चालक पर लगने वाले चुम्बकीय बल के कारण उसमें कार्य करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है। इसे ‘चुम्बकीय स्थितिज ऊर्जा’ कहते हैं।
रासायनिक ऊर्जा (Chemical Energy)
विभिन्न प्रकार के ईंधनों में स्थितिज ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा (Chemical energy) के रूप में संचित रहती है, जैसे कोयले, पेट्रोल, मिट्टी के तेल, इत्यादि में। जब इन्हें जलाया जाता है, तो यह रासायनिक ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा और प्रकाश ऊर्जा में बदल जाती है।