न्यूटन का शीतलन नियम (Newton’s Law of Cooling)
यदि एक बर्तन में गरम जल भर दिया जाए और फिर उसे ठण्डा होने दिया जाए तो प्रारम्भ में जल का ताप जल्दी-जल्दी कम होता है और जैसे-जैसे जल तथा वातावरण के ताप में अन्तर कम होता है, ताप गिरने की दर धीरे-धीरे कम होती जाती है।
विकिरण द्वारा किसी वस्तु से क्षय होने वाली ऊष्मा की दर, के पृष्ठ की प्रकृति, उसके पृष्ठ क्षेत्रफल तथा उसके व आस-पास के वातावरण के ताप के अन्तर पर निर्भर करती है।
इसका अध्ययन सर्वप्रथम न्यूटन ने किया था। न्यूटन के शीतलन नियम के अनुसार, समान अवस्था रहने पर विकिरण द्वारा किसी वस्तु के ठण्डे होने की दर (अर्थात् वस्तु की ऊष्मा क्षय होने की दर), उस वस्तु और आस-पास के वातावरण के ताप के अन्तर के अनुक्रमानुपाती होती है (जबकि ताप का अन्तर बहुत अधिक न हो)।
उदाहरण
अत: यदि गर्म दूध को थाली (बड़े पृष्ठ क्षेत्रफल वाली वस्तु) में डाला जाए तो वह शीघ्र ठण्डा हो जाता है। अत: वस्तु जैसे-जैसे ठण्डी होती जाएगी उसके ठण्डे होने की दर कम होती जाएगी।