What is Gravitational Acceleration ?
परिभाषा
गुरुत्व बल द्वारा किसी वस्तु में उत्पन्न त्वरण को गुरुत्वीय त्वरण कहा जाता है।
दुसरे शब्दों में
न्यूटन के गति के दुसरे नियम के अनुसार जब किसी वस्तु पर बल कार्य करता है तो उसमे त्वरण (a = F/m) उत्पन्न हो जाता है। अत: पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण वस्तु में भी एक त्वरण उत्पन्न हो जाता है इस गुरुत्व बल द्वारा उत्पन्न त्वरण को ही गुरुत्वीय त्वरण कहते है। तथा इसे ‘g’ से प्रदर्शित करते हैं।
यदि हम किसी वस्तु को किसी ऊंचाई से मुक्त रूप से छोड़ दें तो वह नीचे की ओर ऊर्ध्वाधर दिशा में गिरने लगती है। वस्तु के गिरने का वेग लगातार एकसमान दर से बढ़ता जाता है अर्थात् इसमें एक नियत त्वरण उत्पन्न हो जाता है। इसका कारण यह है, कि पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। इसी आकर्षण के कारण मुक्त रूप से गिरने वाली वस्तु में एक नियत त्वरण उत्पन्न होता है और यह सभी वस्तुओं के लिए समान होता है। यही त्वरण ‘गुरुत्वीय त्वरण’ हैं।
गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड (अथवा 980 सेमी./सेकण्ड-) या 32.2 फीट सेकण्ड-2 है।
ध्यान दे कि G को सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक कहते है तथा g को गुरुत्वीय त्वरण कहा जाता है l
गुरुत्वीय त्वरण की दिशा पृथ्वी के केन्द्र की ओर होती है। अत: जब हम किसी वस्तु को पृथ्वी से ऊपर की ओर फेंकते हैं तो इसमें गुरुत्वीय ‘मंदन’ उत्पन्न होता है जिसके कारण इसका वेग लगातार घटता जाता है तथा कुछ ऊंचाई तक पहुंचने के बाद इसका वेग शून्य हो जाता है। एक क्षण बाद ही वस्तु गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे चलने लगती है और गुरुत्वीय त्वरण के कारण बढ़ते हुए वेग से पृथ्वी पर आ जाती हैl
गुरुत्वीय त्वरण व भार (Acceleration due to Gravity and Weight)
किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे पृथ्वी उसे अपनी ओर खींचती है। यदि g बदलता है, तो वस्तु का भार भी बदल जाएगा।
यदि हम पृथ्वी से ऊपर किसी पर्वत पर जाएं तो g कम हो जाएगा। यदि हम चन्द्रमा पर पहुंचे तो वहां g का मान 1/6 रह जाएगा। अत: चन्द्रमा पर वस्तु का भार भी पृथ्वी की तुलना में 1/6 रह जाता है। यदि हम पृथ्वी पर 2 मीटर ऊंचा उछल सकते हैं, तो चन्द्रमा पर 2 x 6 = 12 मीटर ऊंचा उछल सकेंगे।
इसी प्रकार यदि हम किसी गहरी खान में पृथ्वी के नीचे जाएं तो भी g का मान कम हो जाएगा। पृथ्वी के केन्द्र पर तो g का मान शून्य हो जाता है, अत: वस्तु का भार भी शून्य हो जाता है।
भूमध्य रेखा पर g का मान न्यूनतम (पृथ्वी तल के मानों में) तथा ध्रवों पर अधिकतम होता है। ध्रुवों पर और भूमध्य रेखा पर के मानों में अन्तर केवल 3.4 सेमी./ सेकण्ड होता है। ध्रुवों पर पृथ्वी की घूर्णन गति शून्य होती है, अतः वहां पर g अधिक होता है।
पृथ्वी की घूर्णन गति (अपनी अक्ष पर) के कारण भी वस्तु का भार कम हो जाता है। यदि पृथ्वी अपनी वर्तमान ना कोणीय चाल से 17 गुनी चाल से घूमने लगे तो भूमध्य रेखा पर वस्तु का भार भी शून्य हो जाएगा।