ऊष्मागतिकी (Thermodynamics)
भौतिकी की वह शाखा जिसके अन्तर्गत ऊष्मीय ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा के साथ सम्बन्ध हो, ऊष्मागतिकी (Thermodynamics) कहलाता है। हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं, कि यान्त्रिक ऊर्जा को ऊष्मा बदला जा सकता है। (उदाहरण के लिए, हाथों को आपस में रगड़ने ऊष्मा उत्पन्न होती है) तथा ऊष्मा को यान्त्रिक ऊर्जा में बदला जा सकता है (उदाहरण के लिए, वाष्य इंजन में)।
ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम (First Law of Thermodynamics)
यदि यान्त्रिक ऊर्जा (अथवा कार्य) को ऊष्मा में परिवर्तित किया जाए तो किया गया कार्य, उससे उत्पन्न ऊष्मा के तुल्य होता है।’ इसे ‘ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम’ कहते हैं।
प्रथम नियम का दूसरा रूप
ऊर्जा की न तो उत्पत्ति होती है और न विनाश, इसका एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तन हो सकता है।’ उदाहरण के लिए, आंतरिक ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में परिवर्तन।
ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम (Second Law of Thermodynamics)
ऊष्मागतिकी का दूसरा नियम ऊष्मा के प्रवाहित होने की दिशा को व्यक्त करता है। इस नियम के अनुसार
(1) ऊष्मा का पूर्णतया कार्य में परिवर्तन असम्भव है एवं
(2) ऊष्मा अपने कम ताप की वस्तु से अधिक ताप की वस्तु की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती जब तक कि बाहरी ऊर्जा का उपयोग न किया जाए।
ऊष्मागतिकी का तीसरा नियम
किसी पदार्थ या निकाय (System) तन्त्र के तापमान को परम शून्य तक नहीं घटाया जा सकता है।’ अर्थात् परम शून्य तापमान प्राप्त करना असम्भव है।