What is Surface Tension ?
परिभाषा
द्रव के अणुओं में संसंजक बल होने के कारण उसका स्वतन्त्र पृष्ठ तनी हुई रबर की झिल्ली (Membrane) की तरह कार्य करता है। प्रत्येक तना हुआ पृष्ठ सदैव तनाव की स्थिति में होता है। तथा उसमें संकुचित (Contract) होने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रकार, द्रव का स्वतन्त्र पृष्ठ (Surface) सदैव तनाव की स्थिति में रहता है तथा उसमें कम-से-कम क्षेत्रफल प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। द्रव के पृष्ठ का यह तनाव ही ‘पृष्ठ तनाव‘ कहलाता है।
पृष्ठ तनाव नियम
द्रव का ताप बढ़ाने पर पृष्ठ तनाव कम हो जाता है और क्रान्तिक ताप (Critical temperature) पर यह शून्य हो जाता है।
किसी दिए हुए आयतन के लिए गोलाकार आकृति के पृष्ठ का क्षेत्रफल अन्य आकृतियों के पृष्ठ के क्षेत्रफल से कम होता है। चूंकि द्रव का स्वतन्त्र पृष्ठ कम-से-कम क्षेत्रफल घेरने का प्रयास करता है, अत: वर्षा की बूदें तथा पारे के कण गोलाकार होते हैं।
पृष्ठ तनाव के कुछ प्रमाण
- लोहे का एक छल्ला लेते हैं तथा उसमें धागे का एक फन्दा डाल देते हैं। छल्ले को साबुन के गाढ़े घोल में डुबाकर निकालते हैं। फन्दे के अन्दर और बाहर साबुन की झिल्ली (फिल्म) बन जाती है और फन्दा किसी भी आकृति में साम्यावस्था में पड़ा रहता है। अब गरम पिन की नोंक से फन्दे के अन्दर की झिल्ली को तोड़ देते हैं। ऐसा करते ही फन्दा तनकर वृत्त की आकृति ग्रहण कर लेता है।
2. जब मुलायम बालों से बने ब्रुश को पानी में डुबाते हैं तो उसके बाल अलग-अलग रहते हैं, किन्तु बाहर निकालने पर बाल आपस में चिपक जाते हैं। इसका कारण यह है, कि ब्रुश को बाहर निकालने पर बालों पर लगे पानी का स्वतन्त्र पृष्ठ होता है जिसमें संकुचित होने की प्रवृत्ति है। अत: ब्रुश के बाल आपस में चिपक जाते हैं।
पृष्ठ तनाव को प्रभावित करने वाले कारक
- तापमान बढ़ाने से पृष्ठ तनाव घटता है।
- तेल, ग्रीस, आदि पृष्ठ तनाव घटाते हैं।
- जब द्रव में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब द्रव का पृष्ठ तनाव घटता है।