What is Terminal velocity ?
गति के प्रारम्भ में वस्तु तेजी से गिरती है। इस समय उसका वेग बढ़ता जाता है। वेग बढ़ने के साथ-साथ श्यान बल का मान भी बढ़ता जाता है। एक स्थिति ऐसी आती है जबकि वस्तु का भार, श्यान बल और उत्प्लावन बल के योग के बराबर हो जाता है। इस स्थिति में वस्तु पर कार्य करने वाला नेट बल शून्य होता है। अतः वस्तु में त्वरण भी शून्य होता है। फलस्वरूप वस्तु एक नियत वेग से गिरने लगती है। इस नियत वेग को ही वस्तु का ‘सीमान्त वेग’ कहते हैं।
यह वेग वस्तु की त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है अर्थात् बड़ी वस्तु अधिक वेग से और छोटी वस्तु कम वेग से गिरती है।
उदाहरण
पैराशूट की सहायता से नीचे गिरना
जब पैराशूट लेकर कोई सैनिक नीचे कूदता है, तो प्रारम्भ में उसका वेग बढ़ जाता है। इस समय वायु की श्यानता उसे मन्दित करने का प्रयास करती है। पैराशूट के खुलते ही उत्प्लावन बल का मान काफी बढ़ जाता है। अत: कुछ दूरी तक गिरने के पश्चात् सैनिक सीमान्त वेग प्राप्त कर लेता है और वह इस नियत सीमान्त वेग से पृथ्वी पर उतरता है।
बादल आकाश में तैरते हुए प्रतीत होते हैं।
क्योंकि बादल भाप के बहुत छोटे कणों से मिलकर बनते हैं। इन कणों का सीमान्त वेग भी बहुत कम होता है। जिससे वे वायु की दिशा में बह जाते हैं और उनका समूह (बादल) तैरता हुआ-सा प्रतीत होता है। ।
स्टोक्स का नियम
जब कोई पिण्ड नियत वेग से गति करता है और इसे पिण्ड का ‘अन्तिम वेग’ अथवा ‘सीमान्त वेग (Terminal Velocity) कहते हैं। स्टोक्स ने यह सिद्ध किया था कि यदि । त्रिज्या का कोई एक सूक्ष्म गोला अगर किसी अनन्त विस्तार वाल पूर्णत: समांग श्यान माध्यम (द्रव अथवा गैस) में सीमान्त चाल v से गति करे तो गोले पर कार्य करने वाला श्यान बल, F = 6rnv जहाँ n इस माध्यम का श्यानता गुणांक है। यही स्टोक्स का नियम है ।
स्टोक्स के नियम के अनुप्रयोग
- वर्षा की बूंद होती है वो एक निश्चित अन्तिम चाल प्राप्त करती है और यह चाल बूँदों की त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है। वर्षा की जो छोटी बूंद होती है वह बहुत कम चाल से गिरती है जबकि जो बड़ी बूँदे तेजी से धरती पर गिरती हैं।
- जल की वाष्प धूल के कणों पर संघनित होती है तो प्रारम्भ में बूंदे बहुत ही छोटी होती है। इस समय इनकी नीचे की और चाल इतनी कम होती है कि ये आकाश में ही तैरती प्रतीत होती है। तब हम इन्हें बादल कहते है |