सरल आवर्त गति
यदि कोई वस्तु एक सरल रेखा पर मध्यमान स्थिति (Mean position) के इधर-उधर इस प्रकार गति करे कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यमान स्थिति की ओर हो तो उसकी गति सरल आवर्त गति कहलाती है। उदाहरणार्थ, कम्पन करने वाली वस्तु की गति सरल आवर्त गति होती है। गति करने के पश्चात् वस्तु जिस स्थिति में आकर रुक जाती है, उसे वस्तु की ‘मध्यमान स्थिति’ कहते हैं। घड़ी का पेण्डुलम लगभग सरल आवर्त गति करता है।
आवृत्ति (Frequency)
कम्पन करने वाली वस्तु एक सेकण्ड में जितने कम्पन करती है, उसे उसकी ‘आवृत्ति‘ कहते हैं। इसका SI मात्रक हर्ट्स (Hertz) होता है जो कम्पन/सेकण्ड या चक्र/ सेकण्ड के समतुल्य होता है।
सरल आवर्त गति की विशेषताएं
सरल आवर्त गति करने वाला कण जब अपनी मध्यमान स्थिति या साम्य स्थिति से गुजरता है, तो—
- उस पर कोई बल कार्य नहीं करता है
- उसका त्वरण शून्य होता है
- वेग अधिकतम होता है
- गतिज ऊर्जा अधिकतम होती है
- स्थितिज ऊर्जा शून्य होती है।
इसके विपरीत, जब वह कण अपनी गति के अन्त बिदुओं से गुजरता है, तो
- उसका त्वरण अधिकतम होता है
- उस पर कार्य करने वाला प्रत्यानयन बल (Restoring force) अधिकतम होता है
- गतिज ऊर्जा शून्य होती है
- स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है
- वेग शून्य होता है