What is Centripetal Forces ?
अभिकेन्द्री बल (Centripetal Force)
जब कोई कण (अथवा पिण्ड) एकसमान चाल v से त्रिज्या । के वृत्तीय मार्ग पर गति करता है तो उस पर अभिकेन्द्री त्वरण लगता है जिसका परिमाण होता है, परन्तु त्वरण की दिशा लगातार बदलती रहती है। त्वरण की दिशा सदैव वृत्त के केन्द्र की ओर रहती है। न्यूटन के द्वितीय नियमानुसार, किसी पिण्ड में त्वरण उत्पन्न करने के लिए, त्वरण की दिशा में ही बल लगाना आवश्यक होता है। अत: हम कह सकते हैं कि कण की वृत्तीय मार्ग में गति बनाए रखने के लिए, वृत्त के केन्द्र की ओर एक बल आवश्यक होता है। इसे ‘अभिकेन्द्री बल’ कहते हैं।
उदाहरण
यदि हम एक पत्थर के टुकड़े को किसी डोरी के एक सिरे में बांधकर वृत्ताकार मार्ग में घुमाएं तो हमें डोरी को अन्दर की ओर खींचे रखना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, पत्थर के टुकड़े को डोरी से बांधकर घुमाने पर डोरी में उत्पन्न तनाव ही आवश्यक अभिकेन्द्री बल प्रदान करता है। अब यदि हम डोरी के सिरे को हाथ से छोड़ दें तो टुकड़ा वृत्तीय मार्ग को छोड़कर, वृत्त की स्पर्श रेखा के अनुदिश भाग जाता है। इसका कारण यह है, कि डोरी के सिरे को हाथ से छोड़ने पर डोरी में तनाव समाप्त हो जाता है, अत: वृत्तीय मार्ग में गति बनाए रखने के लिए इसे आवश्यक अभिकेन्द्री बल नहीं मिल पाता है। इसलिए पत्थर का टुकड़ा सरल रेखा में चलने लगता है।
सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति तथा ग्रहों के चारों ओर प्राकृतिक व कृत्रिम उपग्रहों की गति के लिए गुरुत्वाकर्षण बल, आवश्यक अभिकेन्द्री बल प्रदान करता है। परमाणु के नाभिक के चारों ओर इलेक्ट्रॉन की वृत्ताकार गति के लिए विद्युत आकर्षण बल, आवश्यक अभिकेन्द्री बल प्रदान करता है, किसी मोड़ पर रेल (अथवा कार या मोटर, आदि), के मुड़ने समय पहियों व सड़क के मध्य लगने वाला घर्षण बल, आवश्यक अभिकेन्द्री बल प्रदान करता है।
अभिकेन्द्री बल की प्रतिक्रिया (Reaction of Centripetal Force)
न्यूटन के गति के तीसरे नियम के अनुसार, प्रत्येक क्रिया (Action) के बराबर तथा विपरीत एक प्रतिक्रिया (Reaction) होती है, क्रिया तथा प्रतिक्रिया सदैव अलग-अलग वस्तुओं पर कार्य करती है। अत: वृत्तीय पथ पर गतिमान वस्तु पर कार्य करने वाले अभिकेन्द्री बल की भी प्रतिक्रिया होती है।
उदाहरण
1. जब हम पत्थर को डोरी से बांधकर वृत्तीय पथ में घुमाते हैं, तो हमारा हाथ डोरी के तनाव द्वारा वृत्त के केन्द्र की ओर अभिकेन्द्री बल (क्रिया) लगाता है जबकि पत्थर हमारे हाथ पर बाहर की ओर प्रतिक्रिया बल लगाता है।
2. ‘मौत के कुएं’ में कुएं की दीवार मोटर साइकिल पर अन्दर की ओर क्रिया बल लगाती है, जबकि इसका प्रतिक्रिया बल मोटर साइकिल द्वारा कुएं की दीवार पर बाहर की ओर कार्य करता है।
3. पृथ्वी चन्द्रमा पर अन्दर की ओर अभिकेन्द्री बल (गुरुत्वाकर्षण बल) लगाती है जबकि चन्द्रमा पृथ्वी पर प्रतिक्रिया बल बाहर की ओर लगाता है।