What is Weightlessness in Satellites ?
किसी वस्तु के भार का अनुभव, उसके सम्पर्क में रखी किसी वस्तु द्वारा उस वस्तु पर लगाए गए बल के कारण होता है। यदि व्यक्ति किसी लिफ्ट में खड़ा है और यह लिफ्ट g त्वरण से नीचे की ओर गतिमान है, तो व्यक्ति के पैरों पर लिफ्ट के फर्श का प्रतिक्रिया बल शून्य होता है अर्थात् व्यक्ति का आभासी भार शून्य होता है। इस अवस्था को ‘भारहीनता की अवस्था‘ कहते हैं।
उदाहरण के लिए. पृथ्वी पर खड़े व्यक्ति को अपने भार का अनुभव, उसके पैरों पर पृथ्वी की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
कृत्रिम उपग्रह (artificial satellite) के अन्दर वस्तु भारहीनता की अवस्था में होती है अर्थात् उसमें बैठे अन्तरिक्ष यात्री को भी भारहीनता का अनुभव होता है।
उपग्रह के तल द्वारा यात्री पर लगाया गया प्रतिक्रिया बल शून्य होता है।
अंतरिक्ष में यदि कोई व्यक्ति गिलास से जल पीना चाहे तो वह उसे पी नहीं सकेगा, क्योंकि गिलास टेढ़ा करते ही उसमें से जल निकलकर बाहर बूंदों के रूप में तैरने लगेगा। इसलिए अन्तरिक्ष यात्रियों को भोजन, आदि पेस्ट (Paste) के रूप में टयूब में भरकर दिया जाता है ताकि टयूब को दबाकर यात्री भोजन को निगल सके।
चन्द्रमा पर भारहीनता नहीं है।
यद्यपि चन्द्रमा भी पृथ्वी का एक उपग्रह है परन्तु चन्द्रमा पर मनुष्य भारहीनता का अनुभव नहीं करता है। इसका कारण यह है, कि चन्द्रमा का द्रव्यमान अधिक होने के कारण चन्द्रमा स्वयं अपने तल पर स्थित व्यक्ति पर एक आकर्षण बल लगाता है जिसके कारण उसे कुछ भार का अनुभव होता है जिसे चन्द्रमा पर ‘व्यक्ति का भार’ कहते हैं। चन्द्रमा पर व्यक्ति पृथ्वी के आकर्षण के कारण भार का अनुभव नहीं करता है। इसके विपरीत, कृत्रिम उपग्रह का द्रव्यमान अपेक्षाकृत कम होता है, अत: उसमें बैठे मनुष्य पर उपग्रह स्वयं कोई पर्याप्त आकर्षण बल नहीं लगा पाता है। इसलिए उपग्रह में व्यक्ति का भार नगण्य होता है।