प्रतिध्वनि या अनुरणन (Reverberation)
जब किसी बन्द हॉल में एक अल्प समय के लिए ध्वनि उत्पन्न की जाती है, तो हॉल की दीवारों तथा छत से क्रमिक परावर्तनों के फलस्वरूप स्रोत के कम्पन बन्द हो जाने पर भी हॉल में कुछ समय तक ध्वनि बनी रहती है, इसे ‘अनुरणन’ कहते हैं।
अनुरणन काल
जितने समय तक ध्वनि हॉल में बनी रहती है, उसे ‘अनुरणन काल’ (Reverberation time) कहते हैं। अच्छी ध्वनिकी (Acoustics) के लिए अनुरण काल का मान अनुकूलम (Optimum) होना चाहिए। (T= 0.053 V/A)|
अत: दीवारों पर अवशोषक पदार्थ का क्षेत्रफल बढ़ाकर या घटाकर अनुरणन काल को समंजित किया जा सकता है। यदि अनुरणन काल T का मान बहुत अधिक है, तो अनुरणन के कारण उत्तरोत्तर ध्वनियों में अतिव्यापन (Overlapping) होने से मूल ध्वनि साफ सुनायी नहीं देगी। इसके विपरीत, यदि अनुरणन काल T बहुत कम है, तो परावर्तन समाप्त होने से ध्वनि की प्रबलता एकसमान नहीं रहेगी।
उदाहरण
बादलों की गर्जन, भी अनुरणन का एक उदाहरण है क्योंकि यह दो बादलों के बीच ध्वनि के लगातार परावर्तन से उत्पन्न होती है।
अनुरणन को कैसे रोका जा सकता है ?
व्याख्यान हॉल या सिनेमा हॉल में आवश्यक अनुरणन को रोकने के लिए हॉल की दीवारें खुरदरी (Rough) बनाई जाती है अथवा उन्हें मोटे सरंध्र (Porous) परदों से ढक दिया जाता है। इससे ध्वनि, अवशोषित हो जाती है। फर्श पर भी इसी उद्देश्य से कालीन बिछाई जाती है।