अभिग्रहण (सुनाई देना)
सामान्यतः हमें ध्वनि की अनुभूति अपने कानों के द्वारा होती है। जब किसी कम्पित वस्तु से चलने वाली ध्वनि-तरंगें हमारे कान के पर्दे से टकराती हैं, तो पर्दे में भी उसी प्रकार के कम्पन होने लगते हैं। इससे हमें ध्वनि का अनुभव होता है।
ध्वनि का अपवर्तन (Refraction of Sound)
जब ध्वनि की तरंगें एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम के पृष्ठ से टकराती हैं, तो उनमें से कुछ दूसरे माध्यम में ही अपने पथ से कुछ विचलित होकर चली जाती है। इस प्रकार ध्वनि तरंगों का अपने पथ से विचलित हो जाना ही उनका ‘अपवर्तन’ कहलाता है।
अपवर्तन के कारण
ध्वनि के अपवर्तन का कारण है विभिन्न माध्यमों तथा विभिन्न तापों पर ध्वनि की चाल का भिन्न-भिन्न होना। अपवर्तन के कुछ परिमाण हैं—दिन में ध्वनि का केवल ध्वनि के स्रोत के पास के क्षेत्रों में ही सुनाई देना और रात्रि में दूर-दूर तक सुनाई देना, समुद्र में उत्पन्न की गई ध्वनि का दूर-दूर तक सुनाई देना।
इन घटनाओं का एक कारण अपवर्तन है, दूसरा कारण नमी युक्त वायु का घनत्व कम होना तथा फलत: उसमें ध्वनि की चाल का अधिक होना।