ध्वनि का व्यतिकरण (Interference of Sound)
जब समान आवृत्ति या आयाम की दो ध्वनि तरंगें एक साथ किसी बिन्दु पर पहुंचती हैं, तो उस बिन्दु पर ध्वनि ऊर्जा का पुनर्वितरण (Redistribution) हो जाता है। इस घटना को ध्वनि का व्यतिकरण कहते हैं।
‘सम्पोषी’ (Constructive) व्यतिकरण
यदि दोनों तरंगें उस बिन्दु पर एक ही कला (Phase) में पहुंचती हैं, तो वहां ध्वनि की तीव्रता अधिकतम होती है। इसे ‘सम्पोषी’ (Constructive) व्यतिकरण कहते हैं।
‘विनाशी’ (Destructive) व्यतिकरण
यदि दोनों तरंगें विपरीत कला में मिलती हैं, तो वहां पर तीव्रता न्यूनतम होती है। इसे ‘विनाशी’ (Destructive) व्यतिकरण कहते हैं।
उदाहरण
व्यतिकरण के कुछ उदाहरण हैं—समुद्र में लाइट हाउस पर रखे साइरन से उत्पन्न की गई ध्वनि समुद्र पृष्ठ पर स्थित किसी बिन्दु पर दो प्रकार से पहुंचती है, एक तो लाइट हाउस से सीधे ही और दूसरे समुद्र के पृष्ठ से परावर्तित होने के बाद।
इन दोनों तरंगों में व्यतिकरण के फलस्वरूप कुछ स्थानों पर ध्वनि तीव्र सुनाई देती है (वहां पर सम्पोषी व्यतिकरण होता है और कुछ स्थानों पर ध्वनि की तीव्रता बहुत कम होती है वहां पर विनाशी व्यतिकरण होता है। जिन्हें ‘नीरव क्षेत्र’ (Silence zone) कहते हैं।
किसी बड़े हॉल में एक ही स्थान पर उत्पन्न ध्वनि, श्रोता तक दो प्रकार से पहुंचती है, एक तो श्रोता के पास सीधे ही और दूसरे हाल की छत व दीवारों से परावर्तित होने के बाद। इन दोनों तरंगों में सम्पोषी व विनाशी व्यतिकरण होने के कारण हाल में कुछ बिन्दुओं पर तीव्र ध्वनि और कुछ पर अति मन्द (या बिल्कुल नहीं) ध्वनि सुनाई देगी। ध्वनि के व्यतिकरण का प्रभाव रेडियो के कार्यक्रमों पर स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।