ध्वनि के लक्षण
प्रबलता ध्वनि का वह लक्षण है जिससे ध्वनि कान को मन्द (धीमी) अथवा तीव्र (प्रबल) प्रतीत होती है। सांस लेने से उत्पन्न ध्वनि अत्यधिक मन्द, किताब का कागज पलटने पर उत्पन्न ध्वनि मन्द, आपस में बातचीत की ध्वनि मन्द, कार के हॉर्न की ध्वनि प्रबल तथा बादलों की गड़गड़ाहट अति प्रबल प्रतीत होती है।
लेकिन ध्वनि जो साधारण मनुष्य को प्रबल प्रतीत होती है, बहरे मनुष्य को मन्द प्रतीत होती है। अतः हम कह सकते हैं, कि वास्तव में, ध्वनि की प्रबलता दो कारकों पर निर्भर करती है
- (1) ध्वनि की तीव्रता पर, तथा
- (2) श्रोता के कान की संवेदना पर
ध्वनि की तीव्रता बढ़ने पर ध्वनि की प्रबलता भी बढ़ती है। ध्वनि की तीव्रता एक भौतिक राशि है जिसे शुद्धता से मापा जा सकता है। माध्यम के किसी बिन्दु पर ध्वनि की तीव्रता, उस बिन्दु पर एकांक क्षेत्रफल से प्रति सेकण्ड तल के लम्बवत् गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा के बराबर होती है।
इसका SI मात्रक माइक्रोवाट/मीटर (=10-6 जूल/सेकण्ड मीटर) तथा प्रयोगात्मक मात्रक बेल B (Bell) है। इसके दसवें भाग को ‘डेसीबल’ (dB कहते हैं)। 0 तारत्व या पिच: तारत्व, ध्वनि का वह लक्षण है जिससे ध्वनि को मोटा (Grave) या तीक्ष्ण (Shrill) कहा जाता है।