What is Refraction of Light through a Lens ?
सामान्यतः दो गोलीय पृष्ठों से घिरे हुए किसी अपवर्तक माध्यम को लेन्स कहा जाता है परन्तु कुछ लेन्सों में एक पृष्ठ समतल भी होता है। चश्मा, कैमरा, सूक्ष्मदर्शी तथा दूरबीन ये सभी लेन्सों की सहायता से कार्य करते हैं। लेन्स मुख्यतः कांच के बने होते हैं, लेकिन कुछ लेन्स प्लास्टिक के भी बने होते हैं।
प्रायः लेन्स दो प्रकार के होते हैं उत्तल लेन्स (Convex lens) तथा अवतल लेन्स (Concave lens)
उत्तल लेन्स द्वारा वस्तु की विभिन्न स्थितियों के लिए बने प्रतिबिम्ब
लेन्स की क्षमता
लेन्स की क्षमता को उसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रम या विलोम द्वारा व्यक्त किया जाता है। यदि किसी लेन्स की फोकस दूरी f मीटर में हो तो उसकी क्षमता p= l /f डाइऑप्टर होती है। यहां पर डाइऑप्टर लेन्स की क्षमता का SI मात्रक है। उत्तल लेन्स की क्षमता धनात्मक तथा अवतल लेन्स की क्षमता ऋणात्मक होती है।
लेन्स की फोकस दूरी तथा क्षमता में परिवर्तन
यदि n अपवर्तनांक वाले लेन्स को उतने ही अपवर्तनांक वाले द्रव में डुबोया जाए तो लेन्स की क्षमता शून्य हो जाती है अर्थात् उसकी फोकस दूरी अनन्त हो जाती है। लेन्स साधारण गुटके की भांति कार्य करेगा। लेन्स अदृश्य हो जाएगा।
उत्तल लेन्स, अवतल लेन्स एवं वृत्ताकार प्लेट की पहचानः
1. यदि कोई वस्तु अपने वास्तविक आकार से छोटी दिखाई पड़ती है, तो अवतल लेन्स है।
2. यदि कोई वस्तु अपने वास्तविक आकार के बराबर दिखाई पड़ती है, तो वृत्ताकार प्लेट है।
3. यदि कोई वस्तु अपने वास्तविक आकार से बड़ी दिखाई पड़ती है, तो उत्तल लेन्स है।