What are the magnetic force and properties of magnetic force lines ?
चुम्बकीय बल-रेखाएं सदैव चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से निकलती हैं तथा वक्र बनाती हुई दक्षिणी ध्रुव में प्रवेश करती हैं और चुम्बक के अन्दर से होती हुई पुनः उत्तरी ध्रुव पर वापस आती है। इस प्रकार चुम्बकीय बल-रेखाएं बन्द वक्र के रूप में होती हैं। [विस्तृत जानकारी के लिए चुम्बकत्व टॉपिक पढ़े ]
दो बल-रेखाएं एक-दूसरे को कभी नहीं काटती।
चुम्बक के ध्रुव के समीप जहां चुम्बकीय क्षेत्र प्रबल होता है, वहां बल-रेखाएं पास-पास होती हैं। ध्रुव से दूर जाने पर चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता घटती जाती है तथा बल-रेखाएं भी परस्पर दूर-दूर होती है।
एक समान चुम्बकीय क्षेत्र की बल-रेखाएं परस्पर समानांतर एवं बराबर-बराबर दूरियों पर होती है।
चुम्बकीय क्षेत्र में बल-रेखाएं के काल्पनिक रेखाएं हैं जो उस स्थान में चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा का अविरत प्रदर्शन करती है।
चुम्बकीय बल-रेखा के किसी भी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को प्रदर्शित करती है।
चुम्बकशीलता
जब एक समान चुम्बकीय क्षेत्र में नर्म लोहे की छड़ रखी जाती है, तो छड़ के भीतर चुम्बकीय बल-रेखाओं की सघनता बाहर की अपेक्षा बढ़ जाती है। इसके विपरीत जब इसी चुम्बकीय क्षेत्र में ऐलुमिनियम को छड़ रखी जाती है, तो छड़ के भीतर चुम्बकीय बल-रेखाओं की सघनता बाहर की अपेक्षा कम हो जाती है। पदार्थ के इस गुण को जिसके कारण उसके भीतर चुम्बकीय बल-रेखाओं की सघनता बढ़ या घट जाती है ‘चुम्बकशीलता‘ कहते हैं।
चुम्बकीय बल-रेखाएं निर्वात में से होकर भी गुजरती हैं। अत: निर्वात में भी चुम्बकशीलता का गुण होता है।
चुम्बकीय बल लगाकर लोहा, ऐलुमिनियम, आदि पदार्थों को चुम्बकीय किया जा सकता है।
नर्म लोहा शीघ्र ही चुम्बक बन जाता है और शीघ्र ही इसका चुम्बकत्व समाप्त भी हो जाता है। इसीलिए अस्थायी चुम्बक (Temporary magenet) बनाने के लिए नर्म लोहे का प्रयोग किया जाता है। विद्युत चुम्बक नर्म लोहे के ही बनाए जाते हैं।
विद्युत घण्टी, ट्रांसफॉर्मर क्रोड, डायनेमों, आदि में नर्म लोहे का ही उपयोग किया जाता है।