संवहन (Convection)
तरल पदार्थों (द्रव अथवा गैस) में ऊष्मा का संचरण मुख्यतः संवहन द्वारा होता है। ठोसों में संवहन द्वारा ऊष्मा संचरण सम्भव नहीं है। इस विधि में तरल के कण गरम भाग से ऊष्मा लेकर स्वयं हल्के होकर ऊपर उठते हैं तथा ठण्डे भाग की ओर जाते हैं। इनका स्थान लेने के लिए पुनः ठण्डे भाग से नीचे आते हैं।
इस प्रकार, संवहन विधि में ऊर्ध्वाधरतः तापान्तर होने पर ऊष्मा का प्रवाह नीचे से ऊपर की ओर माध्यम के घनत्व में परिवर्तन होने के कारण संवहन धाराओं द्वारा होता है।
उदाहरण
जब हम एक बीकर में जल लेकर उसे नीचे से गरम करते हैं, तो बीकर की तली का पानी पहले गरम होता है जिससे इसका घनत्व कम हो जाता है। घनत्व कम हो जाने के कारण (या प्रसार के कारण) यह जल ऊपर उठता है तथा उसका स्थान लेने के लिए ऊपर से ठण्डा जल (अधिक घनत्व के कारण) नीचे आता है। फिर वह भी ऊष्मा लेकर तथा गरम होकर ऊपर उठ जाता है और उसका स्थान पुनः ऊपर से आकर ठण्डा जल ले लेता है।
इस प्रकार, सम्पूर्ण जल में संवहन धाराएं प्रवाहित होने लगती हैं जिससे ऊष्मा, जल के विभिन्न भागों में पहुंचकर सम्पूर्ण जल को गरम कर देती है।
उपयोग
- रेफ्रिजरेटर में फ्रीजर पेटिका को ऊपर रखा जाता है। जिससे कि फ्रीजर पेटिका के नीचे का शेष स्थान संवहन धाराओं द्वारा ठण्डा बना रहे। इसका कारण यह है, कि नीचे की गरम वायु हल्की होने के कारण ऊपर उठती है तथा फ्रीजर पेटिका से टकराकर ठण्डी हो जाती है। ऊपर की ठण्डी वायु भारी होने के कारण नीचे आती है तथा रेफ्रिजरेटर में इस स्थान में रखी वस्तुओं जैसे—पानी की बोतल, साग-सब्जी, आदि से टकराकर उन्हें ठण्डा कर देती है।
- समुद्री हवाएं तथा स्थली हवाएं: दिन के समय सूर्य की गर्मी से जल की अपेक्षा थल जल्दी गरम हो जाता है जिससे थल के सम्पर्क की हवाएं ऊपर उठती हैं तथा उनका स्थान लेने के लिए समुद्र की ओर से ठण्डी हवाएं थल की ओर बहने लगती हैं। इन हवाओं को ‘समुद्री हवाएं’ (Sea breeze) कहते हैं।
- रात के समय थल, जल की अपेक्षा जल्दी ठण्डा हो जाता है। इसलिए समुद्र के जल से सम्पर्क की गरम हवाएं ऊपर उठती हैं तथा इनका स्थान लेने के लिए थल से समुद्र की ओर हवाएं चलने लगती है। इन्हें ‘स्थली हवाएं’ (Land breeze) कहते हैं।
- बिजली के बल्बों में निष्क्रिय गैसों का भरा जाना: बिजली के बल्बों में निर्वात के स्थान पर निष्क्रिय गैसें, जैसे—आर्गन, आदि भरी जाती है। इसका कारण यह है, कि बल्ब के अन्दर निर्वात होने पर तन्तु के चलने पर उत्पन्न ऊष्मा से तन्तु का ताप इतना बढ़ सकता है, कि तन्तु पिघल जाए। लेकिन बल्ब में निष्क्रिय गैस भरने से तन्तु की ऊष्मा संवहन धाराओं द्वारा चारों ओर फैल जाती है जिससे तन्तु का ताप उसके गलनांक तक नहीं बढ़ पाता है। निष्क्रिय गैस होने से वह तन्तु के पदार्थ के साथ कोई रासायनिक क्रिया भी नहीं करती है। यदि वायु भर दी जाए तो उसके अन्दर की ऑक्सीजन तन्तु की धातु से क्रिया करके उसे ऑक्साइड में बदल देगी और तन्तु का चमकना बन्द हो जाएगा।