The Vigyan
No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च
No Result
View All Result
The Vigyan
No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च

ब्रायोफाइटा क्या है l (Bryophytes ब्रायोफाइट्स (in Hindi) उदाहरण, लक्षण, प्रकार, विशेषताएँ और गुण

in बायोलॉजी
Reading Time: 3 mins read
A A
0

Contents

  • 1 ब्रायोफाइटा (Bryophytes)
  • 2 ब्रायोफाइटा की मुख्य  लक्षण, विशेषताए और उसके गुण
  • 3 युग्मकोद्भिद् (gametophyte)
  • 4 लैंगिक जनन (reproduction)
  • 5 ब्रायोफाइटा के प्रकार
    • 5.1 हिपैटिसी या हिपैटिकॉप्सिडा (Hepaticopsida)
    • 5.2 ऐंथोसिरोटी, या ऐंथोसिरोटॉप्सिडा (Anthocerotopsida) और मार्केन्टीऑफायटा
    • 5.3 मसाइ (Musci) या ब्रायॉप्सिडा (Bryopsida)
  • 6 ब्रायोफाइटा का महत्व
    • 6.1 ब्रायोफाइटा से जुड़े हुए कुछ प्रश्न और उनके जवाब

इस आर्टिकल में हम ब्रायोफाइटा (Bryophytes) के बारे में निम्न तथ्य जानेगे :

  • ब्रायोफाइटा (Bryophytes) क्या है ?
  • ब्रायोफाइटा (Bryophytes) के सामान्य लक्षण क्या है ?
  • ब्रायोफाइटा (Bryophytes) की विशेषताएँ क्या है ?
  • ब्रायोफाइटा (Bryophytes) के गुण और महत्त्व क्या है ?

ब्रायोफाइटा (Bryophytes)

ब्रायोफाइटा (Bryophyta) वनस्पति जगत का एक बड़ा वर्ग है और यह एम्ब्रियोफाइटा का सबसे साधारण व आद्य समूह है। पौधों के वर्गीकरण में ब्रायोफाइटा का स्थान शैवाल (Algae) और टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) के बीच में आता है। ब्रायोफाइटा प्रथम स्थलीय पौधे हैं, जो शैवाल से विकसित हुए हैं। डासोनियाँ ब्रायोफाइटा का सबसे बड़ा पौधा है जिसकी ऊँचाई 40 से 70 सेमी. है।

ब्रायोफाइटा की मुख्य  लक्षण, विशेषताए और उसके गुण

ब्रायोफाइटा को पादप जगत के उभयचर भी कहा जाता है क्योंकि ये भूमि पर जीवित रहते है , परन्तु लैंगिक जनन के लिए जल पर निर्भर होते है।

इसके अन्तर्गत वे सभी पौधें आते हैं जिनमें वास्तविक संवहन ऊतक (vascular tissue) नहीं होते, जैसे मोसेस (mosses), हॉर्नवर्ट (hornworts) और लिवरवर्ट (liverworts) आदि।

ब्रायोफाइटा सर्वाधिक सरल छोटे स्थलीय पौधे हैं, जो आर्द्र स्थानों में विकसित होते हैं।

पादप का शरीर थैलस या पर्णिल अर्थात् तना तथा पत्ती सदृश रचनाओं में विभेदित होता है परन्तु वास्तविक तना एवं पत्ती नहीं होता है।

ये पौधे मूलाभास (राइजोड) के द्वारा मिट्टी से जुड़े होते हैं। इसमें जड़, पुष्प तथा बीज का अभाव होता है। इनमें युग्मकोद्भिद् अवस्था प्रभावी होती है।

अधिकतर ब्रायोफाइटा में क्लोरोफिल पाया जाता है, जिससे वे स्वपोषी होते हैं। इनमें लैंगिक तथा अलैंगिक दोनों प्रकार का जनन होता है।

ब्रायोफाइटा को पादप जगत के उभयचर के रूप में जाना जाता है अर्थात् ऐसे पौधे स्थलीय होते हैं, जिसे निषेचन के लिए जल की अत्यधिक आवश्यकता होती है।

ब्रायोफाइटा में जल तथा लवण के संवहन हेतु संवहन ऊतक नहीं होते हैं। इसमें पदार्थों का संवहन एक कोशिका से दूसरे कोशिका में होता है।

ब्रायोफाइटा के अन्तर्गत लिवरवर्ट तथा मॉस आते हैं। मॉस मिट्टी को बाँधे रखता है तथा मृदा अपरदन को रोकते हैं।

कोयले सदृश पीट ईंधन, मॉस और स्फैगनम जैसे ब्रायोफाइट के हजारों वर्षों तक भूमि के नीचे दबकर रहने से निर्मित होते हैं।

पौधे की सतह पर क्यूटिकिल का अभाव होता है। (जिसके फलस्वरूप पौधे से पानी के वाष्पीकरण का विशेष प्रतिबन्ध नहीं रह पाता तथा जल की अत्यधिक हानि होती है ऐसी स्थिति का उनकी वृद्धि पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है।)

युग्मकोद्भिद् (gametophyte)

इस समुदाय का पौधा युग्मकोद्भिद् होता है ये पौधे स्थली होने के साथ ही छायादार स्थानों पर उगते हैं और इन्हें अपने जीवन में पर्याप्य आर्द्रता की आवश्यकता होती है, निषेचन के लिये जल आवश्यक है। अतः कुछ वैज्ञानिक ब्रायोफाइटा समुदाय को वनस्पति जगत् का एम्फीबिया कहते हैं। ये पौधे थैलेफाइटा से अधिक विकसित होते हैं।

इन पौधों का और अधिक विकास तभी संभव हुआ, जब उनमें संवहनी ऊतक का विकास हो गया। संवहन तन्त्र की जड़ से जल तथा खनिज, लवणों को पत्ती तक तथा पत्ती से शर्करा को पौधे की अन्य कोशिकाओं तक पहुँचाने का कार्य करता है। इसी गुण के कारन ट्रैकियोफाइटा का विकास संभव हुआ।

लैंगिक जनन (reproduction)

यह पादप युग्मकोदृभिद पीढ़ी पर आश्रित होती है। कायिक जनन विखंडन द्वारा होता है। अगुणित युग्मकोद्भिद पादप में नर लैंगिक अंग को पुंधानी कहते है। जिसमे समसूत्री विभाजन द्वारा पुमंग बनते है , जो अगुणित होते है। मादा लैंगिक अंग स्त्रीधानी कहलाते है। जिनमे अगुणित अण्ड बनता है। पुमंग व अण्ड के संलयन से युग्मनज बनता है।

युग्मनज से एक बहुकोशिकीय बिजानुभिद विकसित होता है जो द्विगुणित होता है तथा पाद , सिटा व कैप्सूल में विभक्त होता है।  बीजाणुभिद में अर्द्धसूत्री विभाजन से अगुणित बीजाणु बनते है जो अंकुरित होकर अगुणित नया पादप बनाते है।

ब्रायोफाइटा के प्रकार

ब्रायोफाइटा को तीन वर्गों में बाँटा गया है:

हिपैटिसी या हिपैटिकॉप्सिडा (Hepaticopsida)

इस वर्ग के पौधों का शरीर यकृत के समान हरे रंग का होता है। इसलिए इसे लिवरवर्ट्स भी कहते हैं। पौधों के शरीर को सूकाय कहते हैं। वह चपटा होता है। सूकाय में जड़, तना, पत्तियाँ नहीं होती है। इसकी निचली सतह के अनेक एककोशिकीय मूलांग निकले होते हैं। मूलांग का कार्य स्थिरता प्रदान करना तथा भूमि से पानी एवं खनिज लवणों का अवशोषण करना है।

जैसे : रिक्सिया तथा मार्केन्शिया आदि।

ऐंथोसिरोटी, या ऐंथोसिरोटॉप्सिडा (Anthocerotopsida) और मार्केन्टीऑफायटा

इसमें पौधे बहुत ही साधारण और पृष्ठाधरी रूप से विभेदित (dorsiventrally differentiated) होते हैं, पर मध्यशिरा (mid rib) नहीं होती। इन पौधों का शरीर सूकायक होता है। इनके बीजाणुद्भिद् में सीटा अनुपस्थित होता है। इस उपवर्ग में एक ही गण ऐंथेसिरोटेलीज है, जिसमें पाँच या छह वंश और लगभग 300 जातियाँ हैं। इनमें ऐंथोसिरोस (Anthoceros) और नोटोथिलस (Notothylas) प्रमुख वंश हैं। ये पौधे संसार के कई भागों में पाए जाते हैं। भारत में यह हिमालय की तराई तथा पर्वत पर और कुछ जातियाँ नीचे मैदान में भी पाई जाती हैं।

जैसे : एन्थोसिरास में।

मसाइ (Musci) या ब्रायॉप्सिडा (Bryopsida)

इसमें उच्च उच्च श्रेणी के ब्रायोफाइट्स आते हैं। ये ठण्डे एवं नम स्थानों पर तथा पुरानी दीवारों पर समूहों में पाए जाते हैं। इसमें तना तथा पत्ती जैसी रचना पाई जाती है। मूल की जगह पर बहुकोशिकीय मूलांग होते हैं। मॉस का पौधा युग्मकोद्भिद् होता है। इसका बीजाणुद्भिद् आंशिक रूप से युग्मकोद्भिद् पर निर्भर रहता है।

जैसे : मॉस में।

स्फैगनम नामक मॉस का उपयोग कटे हुए पौधों के अंगों को नम रखने के लिए किया जाता है। मॉस को स्थल वनस्पति का पुरोगामी कहा जाता है। इसका आशय यह है कि मॉस लाइकेन के साथ सतह पर एक पर्त बनाते हैं तथा मृत्यु के बाद सतह पर ह्यमस की परत जम जाती है, जिस पर अन्य पौधे उगते हैं।

Water moss (Fontinalis).

ब्रायोफाइटा का महत्व

1. शाकाहारी स्तनधारी कुछ ब्रायोफाइट्स पौधे का प्रयोग भोजन के रूप में करते है

2. स्फेगमन व अन्य जाति के ब्रायोफाइटा को ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

3. इनमें पानी रोकने की क्षमता होती है इसलिए पैकिंग व सजीवो के स्थानान्तरण में उपयोग किया जाता है। साथ ही जल अवशोषण की क्षमता अधिक होने की वजह से ये बाढ़ रोकने में मदद करते हैं

4. ये अनुक्रमण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

5. पूर्तिरोधी अर्थात् ऐण्टिसेप्टिक होने के कारण स्फैगनम का उपयोग सर्जिकल ड्रेसिंग के लिए किया जाता है। स्फैगनम के पौधों से स्फैगनाल नामक प्रतिजैविक प्राप्त किया जाता है।

6. ब्रायोफाइट्स दुनिया के विभिन्न हिस्सों के जनजातीय लोगों के बीच लोकप्रिय उपाय हैं। आदिवासी लोग इन पौधों का उपयोग अपने दैनिक जीवन में विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए करते हैं।

7.  ब्रायोफाइट्स का उपयोग अफ्रीका, अमेरिका, यूरोप, पोलैंड, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, तुर्की, जापान, दक्षिण, उत्तर और पूर्वी भारत, चीन, ताइवान के विभिन्न आदिवासी समुदायों द्वारा यकृत विकारों, त्वचा रोगों, हृदय रोगों, ज्वरनाशक, रोगाणुरोधी, घाव भरने और कई अन्य बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।

8. इन उपयोगों के अलावा कुछ ब्रायोफाइट्स में विभिन्न कैंसर सेल लाइनों के खिलाफ एंटीट्यूमर गतिविधियां (antitumor activities) का गुण होता है जो कि बहुत ही महत्वपुर्ण है और कैंसर जैसे रोग के इलाज के लिय इस पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

ब्रायोफाइटा से जुड़े हुए कुछ प्रश्न और उनके जवाब

प्रश्न  – ब्रायोफाइटा का अर्थ क्या है?

उत्तर – ब्रायोफाइटा के अन्तर्गत वे सभी पौधें आते हैं जिनमें वास्तविक संवहन ऊतक (vascular tissue) नहीं होते, जैसे मोसेस (mosses), हॉर्नवर्ट (hornworts) और लिवरवर्ट (liverworts) आदि। ब्रायोफाइटा (Bryophyta) वनस्पति जगत का एक बड़ा वर्ग है और यह एम्ब्रियोफाइटा का सबसे साधारण व आद्य समूह है। एंजियोस्पर्म के बाद ब्रायोफाइट्स भूमि पौधों का दूसरा सबसे बड़ा समूह है। पौधों के वर्गीकरण में ब्रायोफाइटा का स्थान शैवाल (Algae) और टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) के बीच में आता है। यह पृथ्वी पर लगभग हर जगह पाया जाता है परन्तु इसका मानव जीवन में खास उपयोग नही है l ब्रायोफाइटा प्रथम स्थलीय पौधे हैं, जो शैवाल से विकसित हुए हैं। डासोनियाँ ब्रायोफाइटा का सबसे बड़ा पौधा है जिसकी ऊँचाई 40 से 70 सेमी. है।

प्रश्न – ब्रायोफाइटा का आर्थिक महत्व क्या है?

उत्तर – ब्रायोफाइटा वर्ग के पोधों में जल अवशोषण (water absorption) की क्षमता अधिक होने की वजह से ये बाढ़ (flood) रोकने में मदद करते हैं l इस वर्ग के पौधे मृदा अपरदन (soil erosion) को रोकने में भी सहायता होते हैं। स्फेगमन (Sphagnum) व अन्य जाति के ब्रायोफाइटा को ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। पूर्तिरोधी अर्थात् ऐण्टिसेप्टिक होने के कारण स्फैगनम का उपयोग सर्जिकल ड्रेसिंग (surgical dressing) के लिए किया जाता है। स्फैगनम के पौधों से स्फैगनाल नामक प्रतिजैविक प्राप्त किया जाता है। आदिवासी लोग इन पौधों का उपयोग अपने दैनिक जीवन में विभिन्न बीमारियों को ठीक करने के लिए करते हैं। कुछ ब्रायोफाइट्स में विभिन्न कैंसर सेल लाइनों के खिलाफ एंटीट्यूमर गतिविधियां (antitumor activities) का गुण होता है जो कि बहुत ही महत्वपुर्ण है और कैंसर जैसे रोग  के इलाज के लिय किया जाता है l

Related posts:

  1. कोशिका (Cell) से जुड़े महत्वपुर्ण प्रश्न और उत्तर | कोशिका (Koshika) के सवाल और जवाब | जीव विज्ञान प्रश्नोतरी | Cell Biology Topics | कोशिका विज्ञान से जुडी जानकारी |
  2. पादप ऊतक | Plant Tissue | जाइलम, फ्लोएम, Phloyem, Xylem, Plant Tissues in Hindi
  3. आनुवंशिकता किसे कहते है ? आनुवंशिकी (Genetics) की परिभाषा क्या है ? hereditary meaning in Hindi | Biology in Hindi
  4. पोषण किसे कहते हैं | पादपों में पोषण (Nutrition in Plants) | नाइट्रोजन स्थिरीकरण (Nitrogen Fixation)
  5. अनावृतबीजी (Gymnosperms) एवं आवृतबीजी (Angiosperm) क्या है ? अनावृतबीजी एवं आवृतबीजी पोधों के बीच अंतर, लक्षण, विशेषताएँ और महत्त्व क्या है ?
  6. टेरिडोफाइटा (Pteridophyta) के प्रकार, मुख्य लक्षण, विशेषताएं और गुण (in Hindi)
  7. प्लांटी (पादप जगत) Kingdom Plante क्या है ? उसके वर्गीकरण, विशेषताएँ और प्रकार (Hindi me)
  8. कोशिका विभाजन (Cell Division) क्या है ? कोशिका चक्र क्या है ? | अर्द्धसूत्री विभाजन एवं समसूत्री विभाजन in Hindi
  9. गुणसूत्र की खोज, संरचना, आकार, आकृति, रासायनिक संगठन, प्रकार एवं कार्य (Chromosome in Hindi सम्पूर्ण जानकारी)
  10. कार्बनिक यौगिक और उसके प्रकार क्या है ?
  11. प्रकाश संश्लेषण (Photosynthesis) क्या है ? Praakash Sanshleshan | प्रक्रिया, प्रभाव व महत्व
  12. जड़ (Root) किसे कहते है, जड़ के प्रकार, विशेषताएँ तथा कार्य (what is root, its type and function) मूसला जड़ एवं अपस्थानिक जड़ें
  13. कोशिकीय केन्द्रक (Cell Nucleus) की संरचना, आकार, भाग एवं कार्य | केन्द्रक कला, केन्द्रक द्रव्य, केन्द्रिका, क्रोमैटिन तथा गुणसूत्र के प्रकार Nucleus and Chromosome in Hindi
  14. ट्रेकियोफाइटा (Tracheophyta – ट्रेकोफाइट्स) क्या है ? vascular प्लांट्स के प्रकार
  15. रिक्तिका या रसधानियाँ क्या होती है ? रिक्तिका के लक्षण, विशेषताएं एवं कार्य | Vacuoles – वेक्यूल in Hindi
  16. जन्तु जगत (एनिमेलिया) Animal kingdom क्या है ? जन्तु जगत का वर्गीकरण (Taxonomy of Animal Kingdom)
  17. जन्तुओं में पोषण (Nutrition in Animals) एवं जन्तुओं के पोषक पदार्थ (Nutritive Substance of Animals)
  18. कोशिकांग (Cell Organelles) क्या होते हैं? कोशिकांग के प्रकार (Types of Cell Organelles) | सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
  19. हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट) की सरंचना एवं कार्यों का वर्णन | Chloroplast in Hindi (हरित लवक की सम्पूर्ण जानकारी in Hindi)
  20. जैव विकास तथा जैव विकास के सिद्धांत (Bio Evolution and theories of Bio Evolution)
  21. माइक्रोबॉडीज (Microbodies) क्या है ? माइक्रोबॉडीज की सरंचना, प्रकार एवं कार्य (in Hindi)
  22. राइबोसोम की सरंचना एवं प्रकार (Ribosome in Hindi) | राइबोसोम के कार्य, विशेषताएं क्या है ? हिंदी में
  23. मोनेरा जगत (Monera Kingdom) क्या है ?
  24. विषाणु (Virus) क्या है ? वायरस क्या है (हिंदी में)
  25. ऑक्सीजन (Oxygen) क्या है ?
  26. X-किरणें (X-Rays) क्या है ? एक्स किरणों की खोज, उनके प्रकार,गुण और विशेषताएँ (Hindi me)
  27. रेडियोऐक्टिव समस्थानिक (Radioactive Isotopes) क्या है ?
  28. जीव विज्ञान – एक परिचय
  29. प्रोटिस्टा जगत (Protista Kingdom) क्या है ? हिंदी में
  30. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) क्या होता है (Hindi me) ? परिभाषा, मात्रक , गुण, नियम और विशेषताएँ
  31. गुरुत्व केन्द्र (Centre of Gravity) क्या है ?
  32. कोशिका (Cell) क्या है ? कोशिका के प्रकार और विशेषताएँ (Koshika – Sampurn Jankari Hindi me)
  33. कवक (फंजाई) जगत (Kingdom Fungi) क्या है ?
  34. रेडियोसक्रिय समस्थानिकों की उपयोगिता क्या है ?
  35. लवक – हरित लवक, वर्णीलवक, अवर्णीलवक की संरचना और कार्य | Plastid in Hindi (लवक की सम्पूर्ण जानकारी in Hindi)
  36. शैवाल या एल्गी (Algae) क्या है ? परिभाषा, वर्गीकरण और आर्थिक महत्त्व
  37. अन्तःप्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum) क्या है ? उसके प्रकार, संरचना और कार्य (सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में )
  38. कोयला (Coal) के प्रकार और गुण
  39. माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) क्या है ? माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना, संख्या और कार्य क्या है ? सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
  40. कैथोड किरणें (Cathode Rays) क्या है ? कैथोड किरणों की खोज, कैथोड किरणों के गुण और विशेषताएँ क्या है, केथोड किरणें नलिका क्या है (in Hindi)
Tags: Bryophytesब्रायोफाइटा

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • कहानी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • एग्रीकल्चर
  • साइंस न्यूज़
  • स्पेस
  • About
  • Advertise
  • Privacy & Policy
  • Contact

Copyright @2021

No Result
View All Result
  • होम
  • फ़िजिक्स
  • कैमिस्ट्री
  • बायोलॉजी
  • शॉकिंग साइंस
  • नई टेक्नोलॉजी
  • क्विज़
  • साइंटिस्ट
  • कहानी
  • नन्हे आविष्कारक
  • एक्सपेरिमेंट
  • एग्रीकल्चर
  • रिसर्च

Copyright @2021