ऊष्मा इंजन
ऊष्मा इंजन वह युक्ति है जो ईंधन के दहन से प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा को गतिज ऊर्जा में बदलती है। एक आंतरिक दहन इंजन, जैसे पेट्रोल या डीजल या जेट इंजन में ईंधन को एक बेलन के अन्दर जलाया जाता है या किसी चैम्बर में जलाया जाता है जहां ऊर्जा परिवर्तन होता है। ऐसा अन्य इंजनों जैसे टरबाइन इंजनों में नहीं होता है।
पेट्रोल इंजन
जिस आन्तरिक दहन इंजन में हवा कार्यकारी पदार्थ होती है और पेट्रोल का वाष्प ईंधन होता है उसे पेट्रोल इंजन कहते हैं। पेट्रोल का कार्यकारी पदार्थ नियत आयतन पर ऊष्मा लेता है। इंजन में गर्म गैस का द्रुत प्रसार प्रयोग में लाया जाता है जिससे गर्म गैसें बेलन के पिस्टन को बल लगाकर धक्का देती रहती है। पेट्रोल इंजन की कार्यक्षमता 30 प्रतिशत होती है।
इसका अर्थ है, कि इसे जितनी ऊष्मीय ऊर्जा दी जाती है उसका मात्र 30 प्रतिशत ही गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो पाता है। शेष ऊर्जा निर्वात चरण में बाहर चल जाती है।
डीजल इंजन
जिस आन्तरिक दहन इंजन में हवा कार्यकारी पदार्थ होती है और डीजल का वाष्प ईंधन होता है, उसे ‘डीजल इंजन’ कहते हैं। दो तथा चार चरण वाले डीजल इंजनों की कार्यविधि भी पेट्रोल इंजनों की तरह ही होती है। इनमें पेट्रोल की जगह डीजल का उपयोग किया जाता है। डीजल इंजन में कोई स्पार्किंग प्लग नहीं होता है और न ही कार्बोरेटर।