How Electric Power Plant Works ?
डीजल चालित जनरेटर (Diesel Generator) द्वारा कुछ किलोवाट तक की विद्युत शक्ति उत्पन्न की जा सकती है जबकि जल-विद्युत सयन्त्रों तथा परमाणु शक्ति संयन्त्रों (Atomic power plants) द्वारा बड़े पैमाने पर कई सौ मेगावाट की विद्युत उत्पन्न की जाती है।
शक्ति संयन्त्र (Electric Power) में टरबाइन द्वारा विद्युत उत्पन्न की जाती है। टरबाइन में ब्लेड (पंख) लगे होते हैं जिन्हें बांध में से ऊपर से पानी गिराकर (जल-विद्युत सयन्त्र में) घुमाया जाता है। इसे भाप द्वारा परमाणु शक्ति संयन्त्र या तापीय शक्ति (थर्मल पॉवर (Thermal Power) संयन्त्र में अथवा वायुदाब द्वारा वायु शक्ति संयन्त्र में भी घुमाया जा सकता है। टरबाइन की अक्ष के साथ एक कुण्डली या क्रोड (Core) लगी रहती है जो टरबाइन के घूमने पर किसी स्थायी चुम्बकीय क्षेत्र में घूमने लगती है और विद्युत उत्पन्न करती है।
शक्ति स्टेशनों में भाप उत्पन्न करने के लिए कोयला अथवा प्राकृतिक गैस का प्रयोग किया जाता है जबकि परमाणु शक्ति स्टेशनों में भाप के लिए नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Power) का उपयोग किया जाता है। डीजल चालित जनित्रों में डीजल ईंधन के रूप में प्रयुक्त होता है तथा उसकी मोटर स्वचालित वाहनों (ऑटोमोबाइल) के इंजन की तरह की होती है। डीजल चालित जनरेटर का उपयोग केवल घरों या छोटे भवनों में किया जाता है क्योंकि बड़े-से-बड़ा डीजल चालित जनरेटर भी 75 किलोवाट से अधिक शक्ति उत्पन्न नहीं कर सकता है।
प्राथमिक शक्ति स्टेशनों पर जो विद्युत उत्पन्न होती है, वह प्रत्यावर्ती धारा होती है तथा उसकी वोल्टता 22,000 V या इससे भी अधिक हो सकती है। विद्युत धारा को उपभोक्ताओं तक संचरण लाइनों (Transmission lines) द्वारा भेजा जाता है। ग्रिड उपस्टेशन (Grid substation) प्रायः ट्रांसफॉर्मरों की सहायता से वोल्टता बढ़ा देते हैं जो 1,32,000 V तक भी हो सकती है। इतनी अधिक वोल्टता पर विद्युत संचरण में विद्युत ऊर्जा का क्षय बहुत कम हो जाता है।