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जन्तुओं में पोषण (Nutrition in Animals) एवं जन्तुओं के पोषक पदार्थ (Nutritive Substance of Animals)

in बायोलॉजी
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Contents

  • 1 जन्तुओं में पोषण (Nutrition in Animals) क्यों जरूरी है ?
  • 2 जन्तुओं के पोषक पदार्थ (Nutritive Substance of Animals) कोनसे है ?
  • 3 कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) क्या है ? कार्बोहाइड्रेट्स के प्रकार, स्त्रोत और कार्य
  • 4 सेलुलोज क्या है ?
  • 5 कार्बोहाइड्रेट के प्रकार (Types of Carbohydrate) क्या है ?
  • 6 मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides)
  • 7 ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides)
  • 8 पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)
  • 9 पॉलीसैकेराइड के प्रमुख उदाहरण
  • 10 कार्बोहाइड्रेटस के कार्य कोनसे है ?
  • 11 वसा (Fats) क्या है ? वसा के स्त्रोत, प्रकार और कार्य
  • 12 वसा के प्रकार (Type of Fats) कोनसे है ?
  • 13 सरल वसा (Simple Fats)
  • 14 संयुक्त वसा (Complex Fats)
  • 15 व्युत्पन्न वसा (Derived Fats)
  • 16 वानस्पतिक वसा (Plant Fats)
  • 17 वसा के प्रमुख कार्य
  • 18 प्रोटीन (Protein) क्या है ? प्रोटीन के प्रकार, स्त्रोत एवं कार्य
  • 19 कुछ आवश्यक प्रोटीन के प्रकार
  • 20 प्रोटीन के कार्य
  • 21 विटामिन (Vitamins) क्या है ? विटामिन (Vitamins) के प्रकार, स्त्रोत और उपयोग
  • 22 विटामिनों के स्रोत, कार्य एवं कमी के प्रभाव
  • 23 खनिज लवण (Minerals)
  • 24 खनिज पदार्थ के मुख्य स्त्रोत और कार्य
  • 25 सन्तुलित भोजन (Balanced Diet) क्या है ?
  • 26 पोषक तत्त्वों के स्रोत : एक दृष्टि में
  • 27 कुपोषण (Malnutrition) क्या है ?
  • 28 अपोषण (Under-nutrition)
  • 29 पोषण की अधिकता के परिणाम

इस आर्टिकल में हम जंतुओं के पोषण और पोषक पदार्थों के बारे में बात करेगें | जंतुओं के विकास के लिए कोनसे पोषक पदार्थ आवश्यक होते है ? जंतुओं के विकास के लिय पोषक पदार्थ क्यों जरूरी है ? जैविक क्रियाओं के लिय कोनसे पोषक पदार्थ जरूरी होते है और वो जीवों के कहा से प्राप्त होते है या उन पोषक पदार्थों का स्त्रोंत क्या है ? रासायनिक संगठन के आधार पर पोषक पदार्थों के कितने प्रकार है ?

साथ ही इस आर्टिकल में हम जानेगे कि कार्बोहाइड्रेट्स क्या होते है ? वसा क्या है ? विटामिन क्या होते है ? प्रोटीन क्या होते है और इनका जीवों के शारीरिक विकास में किस प्रकार योगदान है ? खनिज लवण क्या होते है ? आदि

जन्तुओं में पोषण (Nutrition in Animals) क्यों जरूरी है ?

जन्तु अपने पोषण के लिए वनस्पतियों एवं अन्य जन्तुओं पर निर्भर होता है अर्थात् जन्तु उत्पादक न होकर उपभोक्ता होता है।

जन्तु पोषण के दो प्रकार-प्राणिसम पोषण तथा अवशोषी पोषण हैं। प्राणिसम पोषण के अन्तर्गत जन्तु भोजन को अपने शरीर के अन्दर ले जाते हैं अर्थात् निगलते हैं। इसके बाद भोजन का पाचन एवं अवशोषण होता है। वहीं अवशोषी पोषण के अन्तर्गत भोजन का अन्तर्ग्रहण न होकर उसका अवशोषण होता है। उदाहरण फफूंदी में।

जन्तुओं के पोषक पदार्थ (Nutritive Substance of Animals) कोनसे है ?

भोज्य पदार्थों में निहित वे उपयोगी रासायनिक घटक, जिनका उपयुक्त मात्रा में उपलब्ध होना शरीर के विभिन्न जैविक क्रियाओं के लिए अति आवश्यक है, पोषक पदार्थ कहलाते हैं। रासायनिक संगठन के आधार पर पोषक पदार्थों को निम्न भागों में बाँटा गया है

1. कार्बोहाइड्रेट्स

2. वसा

3. प्रोटीन

4. विटामिन

5. खनिज लवण

6. जल

इन पोषक तत्वों में से कार्बोहाइड्रेट तथा वसा ऊर्जा उत्पादन तथा प्रोटीन निर्माणकारी पदार्थ और विटामिन, खनिज लवण एवं जल उपापचयी नियन्त्रक हैं।

कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) क्या है ? कार्बोहाइड्रेट्स के प्रकार, स्त्रोत और कार्य

यह कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का कार्बनिक यौगिक है, जिसका अनुपात क्रमश: 1 : 2 : 1 है यह पचने के उपरान्त ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते हैं। इसी ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से र को ऊर्जा मिलती है। शरीर की कुल ऊर्जा का 50-79% मात्रा को पूर्ति कार्बोहाइड्रेट से ही होती है।

1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के ऑक्सीकरण से 45 किलो कैलोरी ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

इसका सामान्य सूत्र (CH2O)n होता है। खाद्य पदार्थों में ये शर्करा, स्टार्च एवं सेलुलोज के रूप में पाए जाते हैं। कुछ कार्बोहाइड्रेट जल में घुलनशील होती है, जैसे शकंरा, जो स्वाद में मीठा होता है, जबकि स्टार्च (मण्ड) एवं सेलुलोज अघुलनशील कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख उदाहरण हैं।

पोषण के अन्तर्गत शर्करा ग्लूकोज के रूप में बदल जाता है, जिसका भण्डारण ग्लाइकोजन के रूप में होता है। ग्लूकोज से ग्लाइकोजन बनने की क्रिया ग्लाइकोजेनेसिस कहलाती है।

सेलुलोज क्या है ?

यह पौधे की कोशिका मित्ति में पाए जाते हैं।

कपास एवं कागज शुद्ध सेलुलोज होते हैं।

यह ग्लूकोस का बहुलक है।

पशु, जैसे-गाय, भैंस, बकरी आदि में सेलुलोज का पाचन होता है, परन्तु मनुष्य में इसका पाचन नहीं होता।

कार्बोहाइड्रेट के प्रकार (Types of Carbohydrate) क्या है ?

रासायनिक संरचना के आधार पर इसे तीन श्रेणियों में बाटां गया है।

मोनोसैकेराइड्स (Monosaccharides)

इसमें कार्बोहाइड्रेट की एक ही इकाई होती है।

यह सभी कार्बोहाइड्रेट की सबसे सरल अवस्था होती है।

ये जल में घुलनशील तथा मीठो होती है। .

ग्लूकोज और फ्रक्टोस पौधों में सामान्य रूप से पाया जाने वाला मोनोसैकेराइड्स है।

इनमें से ग्लूकोज प्रकाश-संश्लेषण का मुख्य उत्पाद है तथा इससे ऊर्जा उपलब्ध होते हैं, जबकि फ्रक्टोस फलों में पाए जाते हैं।

ग्लूकोज सबसे महत्वपूर्ण मोनोसैकेराइड्स है, जो फलों में मुख्यतया अंगूर और शहद में मिलता है। फ्रक्टोस शरीर के अन्दर ग्लाइकोजन में परिवर्तित हो जाती है।

शरीर में पहुंचे सभी कार्बोहाइड्रेट्स सर्वप्रथम ग्लूकोज में जल अपघटित होते हैं।

ऑलिगोसैकेराइड्स (Oligosaccharides)

ये मोनोसैकेराइड्स के 2-10 अणुओं से मिलकर बनता है, जैसे

ग्लूकोस + ग्लूकोस = माल्टोस

ग्लूकोस + फ्रक्टोस = सुक्रोस

ग्लूकोस + ग्लैक्टोस = लैक्टोस

सुक्रोस, माल्टोस और लैक्टोस प्रमुख डाइसैकेराइड्स हैं।

सुक्रोस गन्ना, चुकन्दर, गाजर तथा मीठे फलों में पाया जाता है।

माल्टोस स्वतन्त्र रूप से नहीं वरन् बीजों की (मुख्यतया जौ) शर्करा अर्थात् माल्ट शुगर होती है।

पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)

ये जल में अघुलनशील होते हैं, जो अनेक मोनोसैकेराइड्स अणुओं के मिलने से बनता है।

ये पौधों में मुख्य रूप से सेलुलोज में पाए जाते हैं।

आवश्यकता पड़ने पर यह जल-अपघटन (hydrolysis) द्वारा ग्लूकोस में बदल जाता है। इस रूप में यह ऊर्जा उत्पादन हेतु संग्रहित ईंधन का कार्य करता है।

पॉलीसैकेराइड के प्रमुख उदाहरण

मण्ड या स्टार्च सभी प्रकार के अनाजों, सब्जियों, विशेषकर आलू, शकरकन्द आदि में मिलता है।

ग्लाइकोजन जन्तु के शरीर में संचित अवस्था में रहता है और आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग होता है।

काइटिन आर्थोपोडा संघ के जन्तुओं के बाहा कंकाल का निर्माण।

सेलुलोज पौधों की कोशिका भित्ति का निर्माण करती है।

कार्बोहाइड्रेटस के कार्य कोनसे है ?

यह शरीर को ऊर्जा प्रदान करने वाले मुख्य स्रोत होते हैं।

ये मण्ड के रूप में ‘संचित ईंधन’ का कार्य करते हैं।

यह वसा में बदलकर ‘संचित भोजन’ का कार्य करते हैं।

यह DNA और RNA के घटक पेन्टोज शर्करा होता है।

प्रोटीन को शरीर के निर्माणकारक कार्यों हेतु सुरक्षित रखते हैं

शरीर में वसा के उपयोग हेतु यह अत्यन्त ही आवश्यक है।

वसा (Fats) क्या है ? वसा के स्त्रोत, प्रकार और कार्य

ये कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के असंतृप्त यौगिक होते हैं किन्तु रासायनिक रूप से कार्बोहाइड्रेट से भिन्न होती है।

इसमें कार्बोहाइड्रेट्स की तुलना में ऑक्सीजन की बहुत कम मात्रा होती है। ये पानी में अघुलनशील परन्तु क्लोरोफॉर्म, बेन्जीन, पेट्रोलियम आदि कार्बनिक विलायकों में घुलनशील होती है। क्षार द्वारा इसका पायसीकरण किया जा सकता है।

वसा एक अणु ग्लिसरॉल तथा वसा अम्ल (fatty acid) के तीन अणुओं के एस्टर बन्ध द्वारा बनते हैं इसलिए इन्हें ट्राइग्लिसराइड्स कहते हैं।

शरीर की कुल ऊर्जा का 20-30% ऊर्जा वसा से प्राप्त होती है, जबकि एक ग्राम वसा के पूर्ण ऑवसीकरण से 9.3 किलो कैलोरी ऊर्जा मुक्त होती है। वसा का संचय विशिष्ट वसीय ऊतक (adipose tissues) में होता है। 20°C पर वसा तेल कहलाते हैं।

वसा के प्रकार (Type of Fats) कोनसे है ?

रासायनिक दृष्टि से वसा मुख्यतया तीन प्रकार की होती हैं-1. सरल वसा 2. संयुक्त वसा 3. व्युत्पन्न वसा।

सरल वसा (Simple Fats)

सरल वसा में केवल ग्लिसरॉल व वसा अम्ल एस्टर बन्ध द्वारा संयुक्त होते हैं।

संयुक्त वसा (Complex Fats)

इन वसाओं में अम्ल तथा एल्कोहॉल के साथ-साथ नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस भी होते हैं। इन्हें जटिल लिपिड्स (compler lipids) भी कहा जाता है।

ये मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं – फॉस्फोलिपिड और ग्लाइकोलिपिडा

इनमें से फॉस्फोलिपिड में फॉस्फोरस का अंश होता है, जो पित्त, यकृत एवं पेशियों में संचित होती है। परन्तु ग्लाइकोलिपिड तत्रिका तत्र के ऊतक में पाई जाती है।

व्युत्पन्न वसा (Derived Fats)

ये संयुक्त वसाओं के जल अपघटन से बनती हैं, जैसे-स्टीरॉयड (लिंग हॉर्मोन, पित्त अम्ल), स्टीरॉल (कोलेस्ट्रॉल, विटामिन-D), प्रोस्टाग्लैन्डिन वसा अम्ल व्युत्पन्न है, जो अरेखित पेशियों के संकुचन, रुधिर स्कन्दन, शोघ तथा एलर्जी प्रतिक्रियाओं में भाग लेते हैं।

वानस्पतिक वसा (Plant Fats)

यह प्रकृति के मुख्य रूप से वनस्पतियों, फलों तथा बीजों में पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है।

जन्तुओं में वसा ऊतक, यकृत तथा अस्थि मज्जा में संचित रहती है। वसा अम्ल दो प्रकार के होते हैं

संतृप्त वसा और असंतृप्त वसा अम्ला अधिकतर संतृप्त वसा जन्तु वसा होता है।

सामान्य ताप पर यह ठोस होता है, जैसे-मक्खन परन्तु नारियल का तेल एवं ताड़ का तेल ही संतृप्त वनस्पति तेल के उदाहरण हैं, जबकि असंतृप्त वसा मछली के तेल एवं वनस्पति तेलों में मिलते हैं।

वसा के प्रमुख कार्य

यह ठोस रूप में शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है।

यह त्वचा के नीचे जमा होकर शरीर के ताप को बाहर नहीं निकलने देती है।

शरीर के विभिन्न अंगों की चोवें से बचाती है। – आरक्षित भोजन के रूप में।

प्लाज्मा झिल्ली के निर्माण में सहायक होती है।

प्रोटीन (Protein) क्या है ? प्रोटीन के प्रकार, स्त्रोत एवं कार्य

यह एक जटिल कार्बनिक यौगिक होता है। प्रोटीन शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1938 में वरजेलियस ने किया। शरीर की वृद्धि एवं ऊतकों के टूट-फूट की मरम्मत में प्रोटीन की भूमिका अहम होती है।

इसके अलावा शरीर में विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के लिए उत्प्रेरक के रूप में विभिन्न एन्जाइम की भूमिका होती है, जो प्रोटीन ही होता है। प्रोटीन अमीनो अम्लों के बहुलक होते हैं इनमें लगभग 20 प्रकार के अमीना अम्ल पाए जाते हैं।

मानव शरीर में इनमें से 10 प्रकार के अमीनो अम्ल का संश्लेषण शरीर में स्वयं होता है, जबकि शेष 10 प्रकार के अमीनो अम्ल भोजन के द्वारा प्राप्त करते हैं।

कुछ आवश्यक प्रोटीन के प्रकार

शारीरिक प्रोटीन कार्य एन्जाइम्स जैव उत्प्रेरक, जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं में सहायक हैं। हॉर्मोन्स शरीर की क्रियाओं का नियनन करते हैं।

परिवहन प्रोटीन हीमोग्लोबिन, विभिन्न पदार्थों का परिवहन करती है। संरचनात्मक प्रोटीन कोशिका एवं ऊतक निर्माण करती है।

रक्षात्मक प्रोटीन संक्रमण से रक्षा करने में सहायक है। उदाहरण-प्रतिरक्षी। संकुचन प्रोटीन ये पेशी संकुचन एवं चलन हेतु उत्तरदायी है, उदाहरण-मायोसिन, एक्टिन आदि।

प्रोटीन के कार्य

यह शरीर की वृद्धि तथा ऊतकों की मरम्मत करता है।

यह एन्जाइम तथा विटामिन का निर्माण करता है। – प्रोटीन श्वसन अंगों के निर्माण में भाग लेता है।

यह संयोजी ऊतकों, अस्थियों तथा उपास्थियों के निर्माण में भाग लेता है।

प्रोटीन की कमी से मैरेस्मस नामक रोग हो जाता है।

विटामिन (Vitamins) क्या है ? विटामिन (Vitamins) के प्रकार, स्त्रोत और उपयोग

कैसिमिर फूंक ने इस शब्द का प्रतिपादन किया। यह स्वयं ऊर्जा उत्पादन तो नहीं कर सकता परन्तु ऊर्जा सम्बन्धी रासायनिक क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।

हमारा शरीर विटामिन – D एवं K का संश्लेषण कर सकता है, जबकि अन्य विटामिन बाह्य स्रोत (भोजन) से प्राप्त किए जाते हैं।

इनका नामकरण अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों के अनुसार किया गया है; जैसे-A, B, C, D, E एवं KI

विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो वर्गों में बाँटा गया है।

1. जल में घुलनशील विटामिन – विटामिन-B समूह और विटामिन-C

2. वसा में घुलनशील विटामिन – विटामिन- A, D, E एवं KI

विटामिनों के स्रोत, कार्य एवं कमी के प्रभाव

खनिज लवण (Minerals)

खनिज लवण (Minerals) भोजन के अकार्बनिक अवयव है, जो शरीर के उपापचयी क्रिया को नियन्त्रित करते हैं। यह शरीर के ऊतकों के निर्माण के लिए कच्चा पदार्थ है और एन्जाइम तथा विटामिन के आवश्यक अंग है।

खनिज पदार्थ के मुख्य स्त्रोत और कार्य

सन्तुलित भोजन (Balanced Diet) क्या है ?

वह भोजन, जिसमें सभी पोषक तत्त्व उचित अनुपात में सम्मिलित होते हैं सन्तुलित भोजन कहलाते हैं। इसका निर्धारण प्रत्येक व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य और कार्य के अनुरूप होता है।

पोषक तत्त्वों के स्रोत : एक दृष्टि में

पोषक पदार्थस्रोत
कार्बोहाइड्रेटचीनी, शहद, दूध, अनाज, आलू आदि
प्रोटीनअण्डा, दूध, पनीर, दाल, मछली आदि
वसाघी, तेल, दूध, मांस आदि
विटामिनमांस, मछली, दूध, गाजर, हरी सब्जी आदि
खनिज लवणमांस, दूध, अनाज, हरी सब्जी आदि

कुपोषण (Malnutrition) क्या है ?

भोजन की आवश्यक मात्रा तथा आवश्यक तत्त्वों का समावेश न होना कुपोषण की स्थिति पैदा करती है। सामान्यतया कुपोषण की स्थिति प्रोटीन की कमी के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है, जिसके कारण शरीर के वृद्धि एवं विकास में बाधा उत्पन्न होती है।

अपोषण (Under-nutrition)

इसका आशय भोजन में आवश्यक तत्त्वों का सर्वथा अभाव होना है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर की आवश्यकता की पूर्ति नहीं हो पाती है।

पोषण की अधिकता के परिणाम

संतृप्त वसा की अधिकता से रुधिर में कॉलेस्टरॉल को मात्रा बढ़ जाती है, जो रुधिर वाहिनियों की दीवार पर जम जाती है। फलत: रुधिर को गति कम हो जाती है एवं रुधिर दाब बढ़ जाता है एवं हृदय सम्बन्धी रोग हो जाते हैं।

अधिक कैलोरी वाले भोजन, जैसे-घी, शक्कर आदि के सेवन से मोटापा तथा डायबिटीज की समस्या आती है।

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