What is Melting Point and Boiling Point ?
गलनांक (Melting Point)
किसी ठोस पदार्थ का गलनांक या द्रवणांक (melting point) वह तापमान होता है जिस पर वह अपनी ठोस अवस्था से पिघलकर द्रव अवस्था में पहुँच जाता है। गलनांक पर ठोस और द्रव प्रावस्था साम्यावथा (संतुलन की स्थिति) में होती हैं।
जब किसी पदार्थ की अवस्था द्रव से ठोस अवस्था में परिवर्तित होती है तो जिस तापमान पर यह होता है उस तापमान को हिमांक (freezing point) कहा जाता है।
कई पदार्थों में परमशीतल (Ultimate cool) होने की क्षमता होती है, इसलिए हिमांक को किसी पदार्थ की एक विशेष गुण नहीं माना जाता है। इसके विपरीत जब कोई ठोस एक निश्चित तापमान पर ठोस से द्रव अवस्था ग्रहण करता है वह तापमान उस ठोस का गलनांक कहलाता है।
गलनांक पर प्रभाव
गर्म करने पर जिन पदार्थों का आयतन बढ़ता है, दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक भी बढ़ जाता है, जैसे मोम, घी, आदि में
गर्म करने पर जिन पदार्थों का आयतन घट जाता है, दाब बढ़ाने पर उनका गलनांक भी कम हो जाता है। ऐसे पदार्थ हैं बर्फ, आदि।
क्वथनांक
किसी द्रव का क्वथनांक वह ताप है जिस पर द्रव के भीतर वाष्प दाब, द्रव की सतह पर आरोपित वायुमंडलीय दाब के बराबर होता है। उसे ही द्रव का क्वथनांक (Boiling Point) कहते है l
यह वायुदाब के साथ परिवर्तित होता है और वायुदाब के बढ़ने पर द्रव के क्वथन (Boiling) हेतु अधिक उच्च ताप की आवश्यकता होती है।
क्वथनांक पर प्रभाव
सभी द्रवों का क्वथनांक उनकी खुली सतह पर दाब बढ़ाने से बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए, साधारण वायुमण्डलीय दाब पर पानी का क्वथनांक 1,000°C होता है, परन्तु यदि दाब को दो गुना कर दिया जाए तो जल का क्वथनांक लगभग 125°C हो जाता है l
उदाहरण
प्रेशर कुकरः यह एक ऐसी युक्ति (Device) है जिसमें पृथ्वी तल तथा पहाड़ों पर भी खाना शीघ्रता से पकाया जा सकता है। किसी द्रव का क्वथनांक उसकी खुली सतह पर पड़ने वाले दाब पर निर्भर करता है। सामान्य वायुमण्डलीय दाब पर जल 100°C पर उबलता है। लेकिन जब दाब को बढ़ाया जाता है, तो जल का क्वथनांक बढ़ जाता है। प्रेशर कुकर में पानी के भाप को इकट्ठा करके उसके ऊपर दाब बढ़ाया जाता है जिससे पानी का क्वथनांक बढ़ जाता है। फलस्वरूप पानी, भाप बनने से पहले, ऊष्मा की अधिक मात्रा ग्रहण करता है और खाना शीघ्र पक जाता है। ऊंचाई अधिक हो जाने पर भी प्रेशर कुकर के अन्दर भरे हुए पानी की सतह पर पड़ने वाले दाब पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अत: पहाड़ों पर तथा वायुयान के अन्दर भी प्रेशर कुकर द्वारा खाना शीघ्रता से पक जाता है।