गलनांक
निश्चित ताप पर ठोस का द्रव में बदलना गलन कहलाता है तथा इन निश्चित ताप को ठोस गलनांक कहते हैं। ,
द्रव हिमांक
निश्चित ताप पर द्रव का ठोस में बदलना ‘हिमीकरण’ कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को ‘द्रव हिमांक’ कहते हैं। प्रायः गलनांक तथा हिमांक बराबर होते हैं जो पदार्थ ठोस से द्रव में बदलने पर सिकुड़ते हैं (जैसे—बर्फ) उनका गलनांक दाब बढ़ाने पर घटता है तथा जो पदार्थ ठोस से द्रव में बदलने पर फैलते हैं, उनका गलनांक दाब बढ़ाने पर चढ़ता है। अशुद्धि मिलाने से (जैसे बर्फ में नमक मिलाने से) गलनांक घटता है !
क्वथनांक
निश्चित ताप पर द्रव का वाष्प (या गैसों) में बदलना वाष्प कहलाता है तथा इस निश्चित ताप को द्रव का ‘क्वथनांक’ कहते हैं। चूंकि सभी द्रव जब वाष्प में परिवर्तित होते हैं, तो वे फैलते हैं, अत: क्वथनांक दाब बढ़ाने से बढ़ता है। अशुद्धि मिलाने से भी द्रव का क्वथनांक बढ़ता है।
संघनन
निश्चित ताप पर वाष्प का द्रव में बदलना संघनन कहलाता है तथा यह निश्चित ताप संघनन बिन्दु कहलाता है। प्रायः क्वथनांक तथा संघनन ताप समान होता है।
वाष्पीकरण (Evaporation)
द्रव की खुली सतह से प्रत्येक ताप पर धीरे-धीरे द्रव का अपने वाष्प में बदलना ‘वाष्पीकरण’ कहलाता है। वाष्पीकरण के लिए भी द्रव को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, एक ग्राम जल को वाष्प में बदलने के लिए 2,260 जूल ऊष्मा की आवश्यकता होती है। यह ऊष्मा द्रव अपने अन्दर से ही प्राप्त करता है, अत: द्रव ठण्डा हो जाता है।
दाब का प्रभाव
किसी पदार्थ के ‘द्रवणांक में अल्प परिवर्तन होता है यदि उस पर दाब बढ़ाया जाता है। उदाहरण के लिए, बर्फ पर दाब बढ़ाने से उसका द्रवणांक या गलनांक कम हो जाता है। ।
अशुद्धियों का प्रभाव
किसी पदार्थ के द्रवणांक पर अशुद्धियों का भी प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, जब जल और बर्फ के मिश्रण में नमक मिलाया जाता है, तो तापमान के -22°C तक होने की सम्भावना रहती है। इस प्रकार बने मिश्रण का उपयोग हिमीकरण के लिए किया जाता है।