What are Fertilizers ?
मृदा की उर्वरता कायम रखने के लिए उसमें बाहर से खाद (Manures) और रासायनिक पदार्थ मिलाए जाते हैं। मृदा में बाहर से मिलाए जाने वाले वे रासायनिक पदार्थ जो मृदा को उपजाऊ बनाने में सहायक होते हैं, ‘उर्वरक’ (Fertilizers) कहलाते हैं।
उर्वरकों का वर्गीकरण: उर्वरकों में उपस्थित पोषक तत्वों (N (Nitrogen), P (Phosphorus), K (Potassium), इत्यादि) की प्रकृति के अनुसार, उर्वरकों को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है:
नाइट्रोजनी उर्वरक (Nitrogenous Fertilizer)
इस प्रकार के उर्वरक मृदा में नाइट्रोजन की आपूर्ति करते हैं। उदाहरण, अमोनियम सल्फेट, कैल्सियम अमोनियम नाइट्रेट, भास्मिक कैल्सियम नाइट्रेट, कैल्सियम सायनामाइड (नाइट्रोलिम), यूरिया, इत्यादि।
फॉस्फेटिक उर्वरक (Phosophatic Fertilizer)
इस प्रकार के उर्वरक मृदा में फॉस्फोरस की कमी को पूरा करते हैं। उदाहरण, सुपर फॉस्फेट ऑफ लाइम, ट्रिपल सुपर फॉस्फेट, फॉस्फेटी धातुमल, इत्यादि।
पोटाश उर्वरक (Potash Fertilizer)
इस प्रकार के उर्वरक मृदा में पोटैशियम की कमी को पूरा करते हैं। उदाहरण, पोटैशियम क्लोराइड, पोटैशियम नाइट्रेट, पोटैशियम सल्फेट, इत्यादि।
NP उर्वरक (NP Fertilizer)
इस प्रकार के उर्वरक मृदा में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की कमी को पूरा करते हैं। नाइट्रोजनी तथा फॉस्फेटी उर्वरकों को उचित अनुपात में मिश्रित कर इन्हें बनाया जाता है। उदाहरण, डाइहाइड्रोजन अमोनिएटेड फॉस्फेट, कैल्सियम सुपर फॉस्फेट, नाइट्रेट, अमानिएटेड फॉस्फेट सल्फेट, इत्यादि।
पूर्ण उर्वरक (Complete Fertilizers)
इस प्रकार के उर्वरक मृदा के लिए आवश्यक तीनों पोषक तत्वों (N, P और K) की कमी को पूरा करते हैं। इन्हें नाइट्रोजनी, फॉस्फेटी और पोटाश तीनों प्रकार के उर्वरकों की परस्पर उचित अनुपात में मिश्रित कर बनाया जाता है।
प्रमुख उर्वरक
अमोनियम सल्फेट
भारत में इस नाइट्रोजनी उर्वरक का उत्पादन सिन्दरी उर्वरक कारखाने में किया जाता है। यह उर्वरक धान और आलू की उपज बढ़ाने में काफी सहायक होता है। इस उर्वरक में 24-25% अमोनिया रहती है जो भास्मिक मृदा में उपस्थित नाइट्रीकारक बैक्टीरिया द्वारा नाइट्रेट में परिवर्तित हो जाती है। इन नाइट्रेटों को पेड़-पौधे आसानी से मृदा से ग्रहण कर लेते है।
कैल्सियम अमोनिया नाइट्रेट:
यह उर्वरक पंजाब के नांगल नामक स्थान पर वृहत् पैमाने पर बनाया जाता है। इस उर्वरक में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 20% होती है। इसे पौधे सीधे ग्रहण कर लेते हैं। मिट्टी में मिलाए जाने पर इसमें कोई परिवर्तन नहीं होती है। जल में अति विलेय होने के कारण यह मिट्टी में आसानी से घुल-मिल जाता है।
सुपर फॉस्फेट ऑफ लाइम
यह कैल्सियम डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट जिप्सम का मिश्रण है। इसमें 16-20% P2O5, रहता है। इसका क्रियाशील अवयव कैल्सियम डाइड्रोजन फॉस्फेट है जो जल में विलेय होता है।
ट्रिपल सुपर फॉस्फेट लाइम
यह एक उपयोगी फॉस्फेटी उर्वरक है।
यूरिया
यह अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड के मिश्रण को 125°C-150°C ताप और 8.5 वायुमण्डलीय दाब पर गर्म करके प्राप्त की जाती है। इसमें नाइट्रोजन की मात्रा लगभग 46% होती है। यह भूमि में बीज डालते समय इस्तेमाल किया जाता हैं किन्तु इसे बीज के सम्पर्क में नहीं आने दिया जाता है। यूरिया डालने के 3-4 दिनों के बाद ही मृदा में पानी डाला जाता है।
कैल्सियम सायनामाइड
इसे नाइट्रोलिम (Nitrolim) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक नाइट्रोजनी उर्वरक है। CaCN2 तथा C का मिश्रण बाजार में नाइट्रोलिम के नाम से बेचा जाता है।