What are Radioactive Isotopes ?
रेडियोऐक्टिव समस्थानिक बनाने के लिए पदार्थों को रिएक्टर में न्यूट्रॉनों द्वारा किरणित (Irradiated) किया जाता है अथवा उन पर त्वरक (Accelerator) से प्राप्त उच्च ऊर्जा कणों द्वारा बमबारी की जाती है।
आजकल रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों को उपयोग वैज्ञानिक शोध कार्य, चिकित्सा, कृषि एवं उद्योगों में लगातार बढ़ता जा रहा है। एक तत्व के सभी समस्थानिकों के रासायनिक गुण एक समान होते हैं परन्तु नाभिकीय गुण बहुत भिन्न होते हैं।
समस्थानिकों का उपयोग
चिकित्सा में उपयोग
कोबाल्ट-60 एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक है जो उच्च ऊर्जा की गामा किरणें उत्सर्जित करता है। इन गामा किरणों का उपयोग कैंसर के इलाज में किया जाता है। थायरॉइड ग्रन्थि के कैंसर की चिकित्सा के लिए शरीर में रेडियोऐक्टिव आयोडीन समस्थानिक की पर्याप्त मात्रा प्रविष्ट कराई जाती है।
पाचन क्रिया के अध्ययन के लिए भी रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों का उपयोग किया जाता है। भोजन में एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक की थोड़ी-सी मात्रा मिला दी जाती है और रोगी मनुष्य को वह भोजन खिला दिया जाता है। उसके पश्चात् वह भोजन शरीर में जहां-जहां जाता है, उस मार्ग को जी. एम. काउण्टर नामक यन्त्र द्वारा पूर्णतः पहचान लिया जाता है।
जी. एम. अर्थात् Geiger-Miller काउण्टर एक ऐसी युक्ति (Device) है जो रेडियोऐक्टिव पदार्थ की उपस्थिति को पहचान लेती है तथा उसकी सक्रियता (Activity) को माप भी सकती है।
रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों का उपयोग मानव शरीर में संचरित होने वाले कुल रक्त का आयतन ज्ञात करने में भी किया जाता है। रोगी पर शल्य-क्रिया करने के पहले और बाद में इस प्रकार रक्त के आयतन की माप करके यह पता लगाया जाता है, कि शल्य-क्रिया में कुल कितने रक्त की हानि हुई और उतना ही रक्त पुनः रोगी को को बाहर से दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, थायरॉइड ग्रन्थि के कैंसर के उपचार के लिए I-131, टयूमर की खोज में As-74 तथा परिसंचरण तन्त्र में रक्त के थक्के का पता लगाने के लिए Na-24 समस्थानिक का उपयोग किया जाता है। Co-60 का उपयोग सामान्य कैंसर के उपचार में किया जाता है।
कृषि में उपयोग
पौधे ने कितना उर्वरक (Fertilizer) ग्रहण किया है, इसका पता रेडियोऐक्टिव समस्थानिकों की विधि से लगाया जाता है। इसे ‘ट्रेसर विधि’ (Tracer technique) कहते हैं।
उर्वरक को पौधे में लगाने से पहले उसमें किसी रेडियोऐक्टिव समस्थानिक की थोड़ी-सी मात्रा मिला दी जाती है। जब पौधे बढ़ने लगता है, तो जी. एम. काउण्टर द्वारा पौधे में उपस्थित उर्वरक की मात्रा ज्ञात हो जाती है। इससे यह पता चलता है, कि किस पौधे को कौन-सा उर्वरक कितनी मात्रा में दिया जाना चाहिए। गामा किरणों द्वारा खाने के पदार्थों को अनुर्वर (Sterilize) किया जाता है तथा जीव नाशक (Pests) के रूप में उपयोग किया जाता है।
उद्योग में उपयोग
ऑटोमोबाइल के इंजन के क्षयन (Wear) का पता लगाने के लिए ट्रेसर विधि का उपयोग किया जाता है। इसके लिए इंजन के पिस्टन को रेडियोऐक्टिव बना कर पुन: इंजन में फिट कर दिया जाता है। फिर उसके स्नेहन तेल (Lubricating oil) में रेडियोऐक्टिविटी के बढ़ने की दर को माप करके पिस्टन के क्षयन (या घिसाव) को ज्ञात किया जाता है।
कार्बन काल-निर्धारण (Carbon Dating)
मृत पेड़ पौधों, आदि जैसे प्राचीन वस्तुओं की आयु ज्ञात करने के लिए उसमें उपस्थित कार्बन समस्थानिक (6C14) के क्षय होने की दर को ज्ञात करने की विधि कार्बन आयु अंकन कहलाती है।
जीवित अवस्था में प्रत्येक जीव (पौधे या जन्तु) कार्बन-14 (एक रेडियोऐक्टिव समस्थानिक) तत्व को ग्रहण करता रहता है और मृत्यु के बाद उसका ग्रहण करना बन्द हो जाता है। अत: मृत्यु के बाद जीव के शरीर में प्राकृतिक रूप से कार्बन-14 के क्षय (Decay) द्वारा उसकी मात्रा कम होती रहती है। अत: किसी मृत जीव में कार्बन-14 की सक्रियता को माप करके उसकी मृत्यु से वर्तमान तक के समय की गणना की जा सकती है।
यूरेनियम काल-निर्धारण
चट्टान, आदि प्राचीन निर्जीव पदार्थों की आयु को उनमें उपस्थित रेडियोऐक्टिव खनिजों, जैसे—यूरेनियम द्वारा ज्ञात किया जाता है। यूरेनियम काल-निर्धारण की इस विधि द्वारा चन्द्रमा से लाई गई चट्टानों की आयु 4.6 x 109 (4.6 अरब) वर्ष पाई गई है जो लगभग उतनी ही है जितनी पृथ्वी की है।