कुछ वनस्पतियां कीट भक्षी होती हैं क्योंकि उन्हें पर्याप्त नाइट्रोजन प्राप्त नहीं होता है और वह पर्याप्त नाइट्रोजन प्राप्त करने के लिए कीट पर निर्भर रहती है ! ये पौधे अपने भोजन को स्वयं संश्लेषित करने की क्षमता रखते हैं और इसलिए इन्हें स्वपोषी (ऑटोट्रोफ्स) कहा जाता है।
कीट भक्षी पौधे
1- सेरोसेनिया – इस पौधे में थैली नुमा पत्तियां जमीन पर एक झुंड में सजी रहती हैं। आकर्षक रंग की इन पत्तियों पर कुछ ग्रंथियां रहती हैं जिनमें शहद होता है। कीट पतंगे इसके रंग और शहद के कारण थैली के भीतर चले जाते हैं और कांटों में फंस जाते हैं और बाहर नहीं निकल पाते।
2- ड्रोसैरा -इसे सनड्यूज़ भी कहते हैं। इसकी गोल-गोल पत्तियों के किनारे लाल रंग की घुण्डी वाले आलपिन सरीखे बाल होते हैं जिनसे एक चिपचिपा रस निकलता रहता है। छोटे कीट पतंगों को यही रस चिपका लेता है और फिर घुण्डियां मुड़कर चारों ओर से उसे घेर लेती हैं।
3- यूट्रीकुलेरिया – इसे ब्लैडरवर्ट भी कहते हैं। इसकी पत्तियां गोल गुब्बारेनुमा होती हैं। जैसे ही कोई कीट-पतंगा इसके नजदीक आता है इस मौजूद रेशे उसे जकड़ लेते हैं। पत्तियों में निकलने वाला एंजाइम कीटो को खत्म करने में मदद करता है।
4- पिचर प्लांट – इसे नेपिन्थिस के नाम से भी जाना जाता है। इसके मुंह और किनारे की ओर शहद की थैलियां होती हैं। कीट पतंगे सुराही के रंग से आकर्षित होकर शहद के लालच में अपनी जान गंवा बैठते हैं। चिकनी दीवार के कारण ये रेंगकर बाहर भी निकल नहीं पाते। इसे घटपर्णी के नाम से भी जाना जाता है।
5- डायोनिया – इसमें कीट पतंगों को पकड़ने वाला फंदा जमीन पर सजी पत्तियां होती हैं। यह भी ड्रोसैरा की तरह ही शिकार करता है। इसके दो पत्ते इसके लिए शिकार का काम करते हैं जिनके ऊपर लगे बाल इतने सक्रिय होते हैं कि चींटी तक की मौजूदगी तक पहचान लेते हैं। जैसे ही शिकार करीब आता है 1 सेकंड में उसे निगल लेता है।