What is a laser and how does it work ?
लेसर बीसवीं सदी के वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
लेसर ‘लाइट ऐम्प्लिफिकेशन बाई स्टिमुलेटेड इमीशन ऑफ रेडिएशन’ (Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation) का संक्षिप्त रूप है जिसका अर्थ होता है—उद्दीपित उत्सर्जन प्रक्रिया द्वारा प्रकाश तरंगों का प्रवर्द्धन।
लेसर प्रकाश पुंज का फैलाव बहुत कम होता है परन्तु उसकी दीप्ति, तीव्रता व कलासम्बद्धता (Coherence) बहुत अधिक होती है।
दो प्रकाश स्रोत उस समय कला सम्बद्ध (Coherent) कहलाते हैं जब वे ऐसी तरंगे उत्पन्न करते हैं जिनके मध्य कलान्तर (Phase difference) या तो शून्य होता है या नियत रहता है।
सन् 1961 के आरम्भ में विभिन्न प्रकार के लेसर का आविष्कार किया गया था, जैसे—रुबी लेसर, द्रव लेसर, प्लाज्मा लेसर, आदि। लेसर किरणे एकवर्णी, समानान्तर किरण पुंज हैं जिसकी तीव्रता बहुत अधिक होती है। हजारों किलोमीटर चलने के बाद न ही उनकी तीव्रता कम होती है और न ही उनका फैलाव अधिक होता है।
लेसर के उपयोग
1. संचार में: लेसर किरणों को कांच तन्तु (Glass fibre) की प्रकाश नलिका (Optical pipe) के द्वारा संचारित किया जाता है। इसके द्वारा सूचना संकेतों को बिना किसी बाधा के बहुत लम्बी दूरी तक पहुंचाया जाता है। टेलीफोन, केबल टी.वी. इण्टरनेट, इत्यादि के मिश्रित संदेश भविष्य में प्रकाशीय तन्तु व लेसर के द्वारा भेजा जा सकेगा।
2. वायु प्रदूषण का संसूचन (Detection) अब लेसर द्वारा किया जा सकता है।
3. सर्वेक्षण (Survey) में लेसर किरणें एक निश्चित दिशा में भेजी जा सकती हैं। ये किरणें जल के अन्दर भी जा सकती हैं जिसके आधार पर गहरे समुद्र के तल के मानचित्र बनाए जा सकते हैं। समुद्र-तल के ताप वितरण का ग्राफ बनाया जा सकता है। समुद्र-तल में स्थित गैस तथा तेल की भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
4. मौसम के अध्ययन में : बादल, मौसम, आर्द्रता, आदि की पूरी जानकारी लेसर किरणों की सहायता से प्राप्त की जा सकती है।
5. चिकित्सा के क्षेत्र में चिकित्सा के क्षेत्र में लेसर का उपयोग काफी आगे बढ़ चुका है। रेटिना, कैंसर, नेत्र-रोग, बिना चीर-फाड़ के ऑपरेशन, हृदय-रोग, आदि विभिन्न रोगों के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से बिना चीर-फाड़ के शल्य-चिकित्सा सम्भव हो सकी है, क्योंकि यह न सिर्फ रक्त नलिकाओं को काटता है बल्कि तुरन्त जोड़ भी देता है। हृदय की धमनियों में अवरोध उत्पन्न होने पर शल्य-चिकित्सा कराने के लिए सीने की हडिड्यों को तोड़कर ऑपरेशन किया जाता है जिसमें रोगी को काफी कष्ट होता है, लेकिन लेसर के प्रयोग से यह ऑपरेशन काफी सरल हो चुका है। इस ऑपरेशन में पहले समय ज्यादा लगता था, लेकिन अब समय की भी बचत हो जाती है। गुर्दे में पथरी को तोड़ने के लिए इसकी मदद ली जाती है। सन् 1963 में न्यू इंग्लैण्ड मेडिकल सेण्टर के वैज्ञानिक थ्रफ्ट (Thrufts) ने सर्वप्रथम इसकी सहायता से ‘कैंसर ऑपरेशन’ में सफलता पाई।
6. एक्यूपंक्चर क्रिया में भी लेसर किरणों का उपयोग होता है। इसमें एक्यूपंक्चर बिन्दुओं पर लेसर किरणें डाली जाती हैं। इन बिन्दुओं पर सूई लगाकर 30 सेकण्ड तक लेसर किरणों से उचित प्रभाव उत्पन्न किया जाता है जिससे सभी प्रकार के दर्द, पोलियो, मिर्गी, लकवा, स्त्री रोग, खांसी, जुकाम, चर्म रोग, रक्तचाप, गंजापन, कब्ज, मानसिक रोग, अनिद्रा, चेहरे पर झुर्रियां, इत्यादि रोगों का इलाज सम्भव हो सका है। लेसर की सहायता से सिगरेट, शराब एवं अन्य नशीले पदार्थों के सेवन की आदतों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। स्त्रियों का बांझपन भी अब इन किरणों की सहायता से बड़ी कुशलतापूर्वक दूर किया जाने लगा है। आंखों के दृष्टि-दोष में कार्निया को लेसर से खुरचकर ठीक किया जाता है जिससे रोगी को चश्मा पहनने की जरूरत नहीं पड़ती हैं।
7. होलोग्राफी में: होलोग्राफी लेसर का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपयोग है। इससे वस्तुओं का त्रिविमीय प्रतिबिम्ब प्राप्त किया जाता है। सन् 1962 में वाई. एन. डेनीसुक (Y.N. Denisyuk) ने होलोग्राफी का प्रथम उपयोग किया। होलोग्राफी के उपयोग से भविष्य में त्रिविमीय टेलीविजन बनाया जा सकता है l
8. कॉम्पैक्ट डिस्क (CD) पर लिखने व उसको पढ़ने के लिए लेसर किरणों का उपयोग किया जाता है। CD में ढेर सारी सूचनाएं, संगीत व आंकड़ों का अंकन किया जा सकता है। बार-बार प्रयोग करने के बाद भी इन CD को कोई क्षति नहीं होती है।
9. नाभिकीय संलयन में : लेसर के प्लाज्मा हीटिंग का उपयोग रिएक्टरों में प्रयुक्त ईंधनों के कृत्रिम निर्माण में होता है। इस विधि में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए लेसर एक प्रमुख साधन है।
10. सफाई कार्य में : स्मारकों, भवनों, पुरातात्विक अवशेषों, आदि को साफ-सुथरा रखने तथा उनको नवीनता प्रदान करने के लिए हाल ही में लेसर तकनीक का विकास किया गया है।
11. सेना में लेसर का उपयोग दुश्मन के प्रक्षेपास्त्रों को नष्ट करने में किया जाता है, इसलिए इसे ‘मृत्यु किरण’ (Death ray) भी कहते हैं।
12. आजकल लेसर का प्रयोग ‘यूरेनियम के परिष्करण’ (Purification) में भी किया जाता है। परिष्कृत यूरेनियम का उपयोग परमाणु बिजली घरों (Atomic power stations) में किया जाता है। लेसर का उपयोग अनाज, चावल, आदि खाद्यान्नों में कीड़ों को मारने के लिए भी किया जा सकता है। इसके आन्तरिक लेसर प्रिंटिंग व तीक्ष्ण धार बनाने में भी लेसर का प्रयोग किया जाता है।