इस आर्टिकल में हम जानेगे की मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System) किस तरह से काम करता है, कोनसे अंग इस प्रक्रिया में महत्वपुर्ण भूमिका निभाते है, मुखगुहा (Buccal Cavity), आमाशय (Stomach), छोटी आंत (Small Intestine), बड़ी आंत (Large Intestine) द्वारा कैसे पाचन की क्रिया पूर्ण होती है, साथ ही जानेगे की पचे हुए भोजन का अवशोषण एवं स्वांगीकरण (Absorption and Assimilation of Digestive Food) कैसे होता है, अपचित भोजन का बहिष्करण (Egestion of Indigested Food) कैसे होता है, पाचन से सम्बन्धित ग्रन्थियाँ (Glands Related to Digestion) कोन कोंनसी है, यकृत के कार्य (Function of Liver) क्या है?, अग्नाशय (Pancreas) क्या है? और पाचन से जुड़े महत्वपुर्ण तथ्य कोनसे है आदि |
बहुकोशिकीय जीवधारियों में शरीर की कोशिकाएँ अलग-अलग कार्य करने के लिए विशिष्टीकृत हो जाती हैं। इस विशिष्टीकरण के कारण इनकी रचना भी अपने-अपने कार्यों के अनुरूप भिन्न-भिन्न हो जाती हैं। इस प्रकार बहुकोशिकीय जीवधारियों के शरीर में विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं के समूह बन जाते हैं, जिसे ऊतक कहा जाता है। कई ऊतकों के समूह अंग एवं कई अंग मिलकर अंग तन्त्र बनाते हैं, जैसे—मुख, आमाशय, यकृत आदि अंग मिलकर पाचन हेतु पाचन तन्त्र बनाते हैं।
मानव पाचन तंत्र क्रिया (process of Human Digestive System)
वे जटिल भौतिक एवं रासायनिक प्रक्रियाएँ, जिनके द्वारा जटिल एवं अघुलनशील भोज्य कणों को सरल, घुलनशील एवं अवशोषण योग्य भोज्य कणों में परिवर्तित किया जाता है, पाचन कहलाता है। मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System) यानी भोजन के पाचन की क्रिया पाँच चरणों में; जैसे- अन्तर्ग्रहण, पाचन, अवशोषण, स्वांगीकरण तथा मल त्याग में पूर्ण होती है।

मनुष्य के पाचन तन्त्र में एक आहारनाल और सहयोगी ग्रन्थियाँ होती हैं। आहारनाल मुख, मुखगुहा, ग्रसनी, प्रसिका, आमाशय, क्षुद्रान्त्र (छोटी आंत), वृहदान्त्र (बड़ी आंत), मलाशय और मल द्वार से बनी होती है। सहायक पाचन ग्रन्थियों में लार अन्थि, यकृत और अग्न्याशय हैं।
मुखगुहा में पाचन (Digestion in Buccal Cavity)
मुख के अन्दर दाँत भोजन को चबाते हैं। जीभ स्वाद को पहचानती है और भोजन को लार के साथ मिलाकर इसे अच्छी तरह से चबाने के लिए सुगम बनाती है। लार में उपस्थित टायलिन या एमाइलेज एन्जाइम स्टार्च पर कार्य करता है और स्टार्च को माल्टोज शर्करा में अपघटित कर देता है तथा माल्टेज एन्जाइम माल्टोज शर्करा को ग्लूकोज में बदल देता है।

मनुष्य के ऊपरी व निचले जबड़ों में कुल 32 दाँत होते हैं। मनुष्य के दाँत गर्तदन्ती (thecodont), द्विवारदन्ती (diphyodont ) तथा विषमदन्ती (heterodont) तीन प्रकार के होते हैं। मनुष्य के जबड़े में दो कृन्तक, एक रदनक, दो अग्रचवर्णक तथा तीन चवर्णक दाँत पाये जाते हैं।
मनुष्य दन्तसूत्र

जीभ
जीभ मुखगुहा के निचले भाग पर स्थित एक मोटी मांसल रचना होती है, जिसकी ऊपरी सतह पर कई छोटे-छोटे अंकुर (papillae) होते हैं, जिन्हें स्वाद कलियाँ ( taste buds) कहते हैं। जीभ के अग्रभाग से मीठे स्वाद का पश्च भाग से कड़वे स्वाद का तथा बगल के भाग से खट्टे स्वाद का आभास होता है। टायलिन एन्जाइम के कारण भोजन के स्वाद में मिठास आ जाती है।
आमाशय में पाचन (Digestion in Stomach)
मुखगुहा से लार से सना हुआ भोजन निगल द्वार के द्वारा ग्रासनली (Oesophagus) में पहुँचता है, जहाँ से क्रमाकुंचन की प्रक्रिया द्वारा ग्रासनली से आमाशय में भोजन परन्तु पहुँचता है। आमाशय में प्रोटीन एवं वसा का पाचन प्रारम्भ हो जाता है, कार्बोहाइड्रेट का पाचन नहीं होता है।
आमाशय में पाइलोरिक ग्रन्थियों से जठर रस (gastric juice) निकलता है, जबकि ऑक्सिन्टिक या भित्तिय कोशिकाओं से HCI निकलता है। जठर रस में पेप्सिन और रेनिन एन्जाइम होते है, जिसमें से पेप्सिन प्रोटीन को पाचन कर उसे पेप्टोन्स में बदल देती है, जबकि रेनिन दूध में घुली हुई प्रोटीन केसीन को ठोस प्रोटीन कैल्शियम पैराकेसीनेट में परिवर्तित कर देती हैं। इस प्रकार दूध फट जाता है। अब पेप्सिन इस प्रोटीन (केसीन) को पेप्टोन्स में परिवर्तित कर देती है। आमाशय में वसा पाचक एन्जाइम जठर लाइपेज वसीय पदार्थों पर क्रिया कर उसे छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ देता है।
आमाशय में स्रावित HCI मुख्य रूप से भोजन के माध्यम को अम्लीय बनाता है, जिससे लार के टाइलिन की क्रिया समाप्त हो जाती है। यह अम्ल भोजन के साथ आए जीवाणुओं को नष्ट कर देता है तथा एन्जाइम की क्रिया को तीव्र कर देता है।
छोटी आंत में पाचन (Digestion in Small Intestine)
छोटी आंत में पित्त, अग्न्याशयी रस तथा आंत रस आकर मिलते हैं तथा भोजन का पाचन पूर्ण करते हैं। पित्त एवं अग्न्याशयी रस आंत के pH को क्षारीय करते हैं। इसमें तीन एन्जाइम होते हैं, जिसमें ट्रिप्सिन, प्रोटीन को पॉलीपेप्टाइड एवं अमीनो अम्ल में, एमाइलेज स्टार्च को सरल शर्करा में, जबकि लाइपेज वसीय पदार्थों को ग्लिसरॉल एवं वसीय अम्ल (fatty acid) में तोड़ देता है। छोटी आंत आहारनाल का सबसे लम्बा भाग होता है। आहारनाल के इसी भाग में पाचन की क्रिया पूर्ण होती है।
बड़ी आंत में पाचन (Digestion in Large Intestine)
बड़ी आंत में उपस्थित चूषक कोशिकाएँ (goblet cells) श्लेष्मा का स्रावण करती हैं। यहाँ पर अपचे भोजन से जल का अवशोषण होता है फलतः मल गाढ़ा हो जाता है। शाकाहारी जन्तुओं के भोजन में उपस्थित सेलुलोज का पाचन यहीं पर होता है, जहाँ विद्यमान सहजीवी जीवाणु (symbiotic bacteria) इस सेलुलोज को शर्करा में बदल देती है।
पचे हुए भोजन का अवशोषण एवं स्वांगीकरण (Absorption and Assimilation of Digestive Food)
छोटी आंत में ही पचे भोजन का अवशोषण मुख्य रूप से होता है। छोटी आंत की सतह पर अंगुलीनुमा उभार पाए जाते हैं, जिन्हें आंत रसाकुंरों (intestinal villi) कहते हैं। इन्हीं रसांकुरों पर रुधिर केशिकाएँ और लिम्फ वाहिनियाँ का जाल बिछा होता है, जो पचे भोजन के अवशोषण में सहायक होती हैं। रुधिर केशिकाओं से ग्लूकोज तथा अमीनो अम्ल का अवशोषण, जबकि वसा अम्ल एवं ग्लिसरोल का अवशोषण लसीका (lymph) द्वारा हो जाता है।
अपचित भोजन का बहिष्करण (Egestion of Indigested Food)
बड़ी आंत में जल का अवशोषण होने के बाद शेष बचा अपच भोजन मलाशय के माध्यम से मलद्वार द्वारा बाहर निकल जाता है। अंतत: इसी प्रक्रिया के साथ पाचन की क्रिया समाप्त होती है।
पाचन से सम्बन्धित ग्रन्थियाँ (Glands Related to Digestion)
लार ग्रन्थि (salivary glands) तीन जोड़ी (i) अधोजिह्वा ग्रन्थि (sublingual glands) जिह्वा के दोनों ओर, एक-एक (ii) अधोजम्भ ग्रन्थि (sub-maxillary gland) निचले जबड़े के मध्य एक-एक (iii) कर्ण पूर्व ग्रन्थि (parotid gland) कर्णों के नीचे दोनों ओर एक-एक । लार में लगभग 99% जल, लगभग 1% एन्जाइम होते हैं। इसमें टायलिन एवं लाइसोजाइम नामक एन्जाइम होता है। लार कुछ तत्व; जैसे-लैड (शीशा) Pb, मर्करी (Hg) व आयोडाइड (I2) का स्रावण करती हैं।
यकृत (liver) सबसे बड़ी ग्रन्थि है। मनुष्य में इसका भार लगभग 1.5 किलोग्राम होता है।
यकृत के शिरापात्रों (sinusoids) में कुप्फर कोशिकाएँ पाई जाती हैं, जो मृत RBCs व जीवाणुओं का भक्षण करती हैं।
यकृत के कार्य (Function of Liver)
यकृत पित्त का स्रावण करता है, जो पित्ताशय (gall-bladder) में संचित होता है संग्रह करता है। तथा ग्लाइकोजन हिपेरिन, फाइब्रिनोजन तथा प्रोथ्रॉम्बिन का स्रावण करता है।
यकृत प्रोटीन उपापचय में भाग लेता है, जिसके फलस्वरूप अमोनिया, यूरिया आदि उत्पन्न होते हैं। यकृत अमोनिया को यूरिया में बदल देता है।
यूरिया का संश्लेषण करता है तथा विटामिन A, D तथा B12 का निर्माण करता है।
अमीनो अम्लों का डीऐमीनेशन तथा विषैले पदार्थों का विषहरण (detoxification) करता है।
फैगोसाइटोसिस क्रिया द्वारा जीवाणुओं का भक्षण करता है। भ्रूणावस्था में लाल रुधिराणुओं का निर्माण करता है।
अग्नाशय (Pancreas)
यह शरीर की दूसरी बड़ी मिश्रित प्रन्थि (mixed gland) है। इसके अन्तःस्रावी भाग में निम्न प्रकार की कोशिकाएं होती है।
एल्फा कोशिकाएँ (α-cells), जो ग्लूकेगॉन हॉर्मोन स्रावित करती हैं।
बीटा कोशिकाएँ (β-cells), जो इन्सुलिन हॉमोन स्रावित करती हैं। इन्सुलिन रुधिर में शर्करा की मात्रा को नियन्त्रित करने का काम करता है। इन्सुलिन के अल्प स्रावण से मधुमेह (diabetes) नामक रोग हो जाता है।
डेल्टा कोशिकाएँ (δ-cells), जो सोमेटोस्टेटिन हॉर्मोन स्रावित करती हैं।
• अग्न्याशय का बाह्य या एक्सोक्राइन भाग जिसे एसीनी कोशिकाएँ कहते हैं अग्न्याशयी रस का स्त्रावण करता है, जो भोजन के पाचन में सहायक है।
मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System) की क्रिया सचित्र


मानव पाचन तंत्र (Human Digestive System) से जुड़े महत्वपुर्ण तथ्य
लार में उपस्थित टायलिन एन्जाइम का स्रावण पेरोटिड ग्रन्थियाँ द्वारा होता है ।
लार में उपस्थित छोटी आंत में बुनर्स ग्रन्थियों द्वारा आंत्र रस निकलता है ।
बड़ी आंत में उपस्थित सैलोबायोपैरस एवं क्लॉस्ट्रिडियम जीवाणु तथा एन्टोडोनियम नामक प्रोटोजोआ सीकम में सेलुलोज के पाचन में सहायता करते हैं ।
मनुष्य की दाँत का प्रमुख भाग डेन्टीन का बना होता है ।
पाइलोरिक वाल्व आमाशय एवं ग्रहणी के बीच पाए जाते हैं ।
बाइलीरुबिन एवं बिलीवर्डिन वर्णक पित्त रस में पाए जाते है ।
लाइसोजाइम एक प्रति जीवाणु एन्जाइम है, जो भक्षक कोशिकाओं, आँसुओं, लार एवं स्वेद स्रावों में पाया जाता है ।
मानव पाचन तंत्र का नामांकित चित्र
