Water and its properties
जल एक यौगिक (compound) है, इसका अणुसूत्र H2O होता है।
इसमें हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का अनुपात भार के अनुपात में 1:8 तथा आयतन के अनुपात में 2:1 होता है।
शुद्ध जल उदासीन होता है अर्थात् इसका pH मान 7 होता है।
शुद्ध जल विद्युत का कुचालक होता है जबकि अम्लीय जल विद्युत का सुचालक होता है।
4°C पर जल का घनत्व अधिकतम तथा आयतन न्यूनतम होता है।
जल शून्य डिग्री (0°) सेण्टीग्रेड पर सफेद बर्फ में परिवर्तित हो जाता है।
शुद्ध जल का क्वथानांक 100°C तथा द्रवणांक 0°C होता है।
वर्षा का जल शुद्ध जल होता है।
सम्पूर्ण जल का 97% भाग समुद्री वातावरण में पाया जाता है, शेष बचा हुआ 3% भाग ही स्वच्छ जल के रूप में जाना जाता है। जल का बर्फ में तथा वाष्प में परिवर्तित होना भौतिक परिवर्तन का उदाहरण है।
जल के प्रकार
जल दो प्रकार का होता है:
1. कठोर जल (Hard Water): कठोर जल साबुन के साथ फेन उत्पन्न नहीं करता है। इसमें कैल्सियम एवं मैग्नीशियम के क्लोराइड, सल्फेट व बाइकोर्बोनेट घुले रहते हैं। कठोर जल पीने के लिए उपयुक्त नहीं होता है क्योंकि इसमें घुले लवण स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद होते हैं।
2. मृदु जल (Soft Water): मृदु जल साबुन के साथ आसानी से फेन उत्पन्न करता है। यह जल पीने की दृष्टि से उपयुक्त होता है।
जल की कठोरता (Hardness of Water)
जल की कठोरता दो प्रकार की होती है
स्थायी कठोरता
जल की अस्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम (Ca)व मैग्नीशियम (Mg) के क्लोराइड तथा सल्फेट लवण घुले रहने के कारण होती है। जल की स्थायी कठोरता उसमें सोडियम कार्बोनेट मिलाकर गर्म करने से दूर हो जाती है। जल की स्थायी कठोरता उसे उबालकर आसवन करने से भी दूर हो जाता है। जल की स्थायी कठोरता दूर करने की मुख्य विधि परम्यूटिट विधि है।
अस्थायी कठोरता
जल की अस्थायी कठोरता उसमें कैल्सियम (Ca) व मैग्नीशियम (Mg) के बाइकार्बोनेट्स लवण घुले रहने के कारण होती है। जल की अस्थायी कठोरता उसे उबालकर दूर कर ली जाती है। जल में सोडियम कार्बोनेट डालकर उबालने से स्थायी तथा अस्थायी दोनों प्रकार की कठोरता दूर हो जाती है।
जल को सार्वत्रिक विलायक (Universal solvent) कहा जाता है क्योंकि इसमें कई पदार्थों को घुलाने की क्षमता होती हैं। जल का डाइइलेक्ट्रिक नियतांक अधिक होने के कारण ही इसे उत्तम विलायक माना जाता है (अपवाद-कार्बनिक पदार्थ)
ऐसी शुद्ध बर्फ जिसमें रोगाणु नहीं होते हैं और जो लगभग 2000-3000 वर्ष पुरानी होती है, ‘ब्लू आइस’ (Blue ice) कहलाती है। यह ग्रीनलैंड में पायी जाती है जहां ब्लू आइस का उपयोग व्हिस्की (Whisky) बनाने में किया जाता है।
केतली में जल उबालने पर उसकी आंतरिक परत में सफेद रंग की परत जम जाती है जो कैल्सियम व मैग्नीशियम के कार्बोनेट्स होते हैं।
जल हाइड्रोजन बन्ध (Hydrogen bond) के कारण द्रव अवस्था में पाया जाता है।
जल का शुद्धीकरण पोटैशियम परमैंगनेट, क्लोरीन गैस, पोटाश एलम, आदि द्वारा किया जाता है।
पॉली वाटर (Poly Water)
पॉली वाटर सामान्य जल को बाल के आकार की नलिका से गुजारकर बनाया जाता है। यह पृथ्वी पर एक खतरानाक वस्तु मानी जाती है।