Thorium and its properties
थोरियम (Thorium) आवर्त सारणी के ऐक्टिनाइड श्रेणी (actinide series) का प्रथम तत्व है।
थोरियम के अयस्क में केवल एक समस्थानिक (द्रव्यमान संख्या 232) पाया जाता है, जो इसका सबसे स्थिर समस्थानिक (अर्ध जीवन अवधि 1.4 x 1010 वर्ष) है। परंतु यूरेनियम, रेडियम तथा ऐक्टिनियम अयस्कों में इसके कुछ समस्थानिक सदैव वर्तमान रहते हैं, जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ 227, 228, 230, 231 तथा 234 हैं। इनके अतिरिक्त 224, 225, 226, 229 एवं 233 द्रव्यमान वाले समस्थानिक कृत्रिम उपायों द्वारा निर्मित हुए हैं।
थोरियम एक रेडियो-सक्रिय धातु है।
थोरियम धातु की खोज 1828 ई में बर्ज़ीलियस ने थोराइट अयस्क में की थी। यद्यपि इसके अनेक अयस्क ज्ञात हैं, परंतु मोनेज़ाइट (monazite) इसका सबसे महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिसमें थोरियम तथा अन्य विरल मृदाओं के फॉस्फेट रहते हैं।
संसार में मोनेज़ाइट का सबसे बड़ा भंडार भारत के केरल राज्य में हैं। बिहार प्रदेश में भी थोरियम अयस्क की उपस्थिति ज्ञात हुई है। इनके अतिरिक्त मोनेज़ाइट अमरीका, आस्ट्रलिया, ब्राज़िल और मलाया में भी प्राप्त है।
थोरियम का निष्कर्षण मुख्यतः मोनाजाइट अयस्क से किया जाता है।
यह भूरे रंग की धातु है। इसका द्रवणांक 145°C तथा क्वथनांक 2,800°C होता है। इसका आपेक्षिक घनत्व 11.23 होता है।
थोरियम के उपयोग
(1) परमाणु ऊर्जा (Atomic energy) के उत्पादन में,
(2) फोटोइलेक्ट्रिक सेल, Glow tube electrodes में, X-ray targets, Arc lamp के टंगस्टन फिलामेण्ट में,
(3) Incandescent gas mantles में, तथा
(4) कार्बनिक रसायन में उत्प्रेरक के रूप में।